अब खुदरा व्यापारियों में होने लगी है घबड़ाहट, परिवार का क्या होगा


(युगल किशोर जालान)
वाराणसी (काशीवार्ता)। जनपद में लगातार कोरोना संक्रमित मिलने से लॉकडाउन के विरोधियों की बोलती बंद हो गई है। अब तो शिशु और बच्चे भी कोरोना की चपेट में आ रहे हैं। लगातार कोरोना संक्रमितों की मृत्यु के बाद लाकडाउन के विरोधी कहने लगे हैं ‘जान है तो जहान है’। खुदरा व्यापारी भी कहने लगे हैं कि दुकानें खोलने का समय घटाकर नौ से सात की जगह 11 से पांच बजे तक कर देना चाहिए। वाराणसी शहर की चारों दिशाओं में कोरोना वायरस संक्रमण के फैलाव की मुख्य वजह लॉकडाउन के निर्देशों की अवहेलना ही माना जा रहा है।
कोरोना संक्रमित मरीजों की कान्टेक्ट ट्रेसिन्ग पता न चलने से भी समझदार लोगों को लाकडाउन का महत्व समझ में आने लगा है। लोगों को समझ में आने लगा है कि गलियों और सडकों पर टहलने पर कोरोना से संक्रमित होने का खतरा बना रहता है। अब व्यापारी वर्ग कहने लगा है कि आपदा की इस घड़ी में जो खुद और अपने परिवार को कोरोना से सुरक्षित रख सकेगा वही अगले वर्ष सपरिवार खुश रहेगा। लाकडाउन घोषित होने के पूर्व ही किराना व्यापार मंडल ने जनपद में लॉकडाउन की मांग जिलाधिकारी से कर दी थी। कोरोना की गिरफ्त में आने वालोँ में शिक्षक, चिकित्सक, चिकित्साकर्मी, व्यापारी, उद्योगपति, पुलिसकर्मी, सेना के जवान, बैंक कर्मचारी, फल-सब्जी व दूध विक्रेता, मजदूर, आटो चालक, सेवानिवृत सरकारी कर्मचारी, सीनियर सिटीजन सहित विभिन्न वर्ग के लोग शामिल हैं। इसी को देखते हुए लोग कह रहे कारोबार मे घाटा हो रहा तो उसकी आगे चलकर भरपाई हो जाएगी लेकिन जिन्दगी ही नहीं बची तो परिवार का क्या होगा। पिछले दिनों रोजाना पूरा बाजार खोलने की मांग करने वाले ही अब चाहते हैं कि 10 घंटे नहीं, फिलहाल इस महीने सिर्फ छह घंटे 11 से पांच बजे तक ही दुकानें खुलें। खुदरा दुकानदारों का कहना है कि होम डिलिवरी बिजनेस बढने से कोरोना त्रासदी के दौर में दुकानों पर ग्राहकों की संख्या बहुत कम हो गयी है। शहर के विभिन्न इलाकों में स्थित खुदरा दुकानदारों का कहना है कि अब लोग बहुत जरूरी सामान खरीदते हैं। टेलरिन्ग (दर्जी) के पेशे से जुडे लोगों की स्थिति काफी खराब है। कुछ लोगों की तो इस वित्तीय वर्ष में बोहनी भी नहीं हुई है। ऐसी ही स्थिति जूता-चप्पल के दुकानदारों की है। फुटवियर रिटेलरों की जिस दिन बोहनी हो जाती है वे कहते हैं लगता है आज सुबह किसी भाग्यवान का चेहरा देख कर घर से निकले थे।