नौकुचियाताल की खूबसूरत झील के नौ कोनों के पानी का रंग है नीला


अगर आप पक्षियों से प्यार करते हैं तो भी ये जगह आपको काफी अच्छी लगेगी। नौकुचियाताल में पक्षियों की अनेक प्रकार की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। सफेद पक्षी, नीली झील और झील में खिले कमल के फूल नाव में बैठ कर ये नजारा देखा अद्भुत होता है। आप लोगों ने नैनीताल की नैनी झील के बारे में तो सुना ही होगा। शायद देखा भी हो क्योंकि नैनी झील काफी मशहूर है। लेकिन नैनीताल के पास एक ताल और है नौकुचियाताल। क्या आपने इसके बारे में सुना है, अगर नहीं तो आज हम आपको बताते हैं। नौकुचियाताल की दूरी नैनीताल से करीब 26.2 कि॰मी॰ है। नैनीताल से नौकुचियाताल का रास्ता खूबसूरत नजारों से भरा है। इस झील के टेढ़े-मेढ़े कुल नौ कोने हैं जिसकी वजह से ही इस झील का नाम नौकुचियाताल पड़ गया है। चारों तरफ से हरे भरे पहाड़ियों से घिरी झील की गहराई 175 फीट है और ये झील नैनीताल जिले की सभी झीलों में सबसे गहरी है।
एड्वेंचर्स स्पोर्ट: नौकुचियाताल के आसपास आपको अपने मनोरंजन के लिए कई तरह के एडवेंचर हैं जैसे कयाकी, पैडल बोट, चप्पू से खेने वाली आरामदायक नौका, झील के पानी में जोर्बिंग, झील में पैरासेलिंग, पहाड़ से पैराग्लाइडिंग, जंगल ट्रेकिंग, माउंटेन बाइकिंग जैसे तमाम तरह की चीजें हैं जो आपकी यात्रा को मनोरंजक बना देगी।
खूबसूरती: अगर आप पक्षियों से प्यार करते हैं तो भी ये जगह आपको काफी अच्छी लगेगी। नौकुचियाताल में पक्षियों की अनेक प्रकार की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। सफेद पक्षी, नीली झील और झील में खिले कमल के फूल नाव में बैठ कर ये नजारा देखा अद्भुत होता है। इस ताल में 20-25 पौण्ड तक की मछलियाँ आसानी से मिल जाती हैं। मछली के शिकार करने वाले और नौका विहार शौकीनों की यहाँ भीड़ लगी रहती है। इस ताल के पानी का रंग गहरा नीला है। यह भी आकर्षण का एक मुख्य कारण है। पर्यटकों के लिए यहाँ पर खाने और रहने की सुविधा है। धूप और बारिश से बचने के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था की गयी है।
नौकुचियाताल का धार्मिक महत्व: वैसे तो हमारे देश के लोग काफी धार्मिक हैं। भगवान में हमारी आस्था है वैसी ही इस झील का भी धार्मिक महत्व भी है। नौकुचियाताल के लोगों की ये मान्यता है कि अगर इस ताल के नौ
कोनों को कोई इंसान एक नजर में देख ले तो उसे मोक्ष प्राप्त होगा और वो हमेशा के लिए अमर हो जाएगा। लेकिन झील के किसी भी कोने से खड़े होके देखने पर झील के केवल 7 कोने ही दिखाए देते। हालाँकि यह केवल एक मान्यता भर है वैज्ञानिक दृष्टि से इसका कोई महत्व
नहीं है।