हम यहां आपको पैरालिसिस के संबंध में जानकारी देंगे जो की एक लकवा ग्रस्त रोगी के लिए जरुरी होती हैं, जैसे :- लकवा के लक्षण, लकवा होने के कारण, इसके इलाज के लिए आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे आदि।
लकवा : कारण, लक्षण, बचाव, खानपान और उपचार- मांसपेशियों में एक विशेष प्रकार का ऊतक है जो हमारे शरीर को स्थानांतरित करने में सक्षम बनाता है. यह तंत्रिका तंत्र के नियंत्रण में है, जो शरीर के सभी हिस्सों से संदेश भेजता है. कभी-कभी तंत्रिका कोशिकाओं, या न्यूरॉन्स, जो मांसपेशियों को नियंत्रित करते हैं, रोगग्रस्त या घायल हो जाते हैं जब ऐसा होता है, तो एक व्यक्ति स्वेच्छा से यानी अपनी मर्जी से मांसपेशियों को स्थानांतरित करने की क्षमता खो देता है इसी को हम लकवा कहते हैं. यानी रोगी अपने शरीर के किसी अंग पर नियंत्रण करने की क्षमता खो देता हैं इसी प्रक्रिया को हम लकवा कहते हैं। लकवे का असर व्यक्ति के शरीर के किसी भी अंग पर हो सकता हैं, ज्यादातर ऐसे अंगों पर यह दौरा पढता जिस अंग की मांसपेशियां कमजोर हो। लकवा के प्रकार-पैरालिसिस के कई प्रकार होते हैं, यह शरीर के किसी भी अंग पर लग सकता है। जीभ में लकवा लगना आम है, कई लोगों की जीभ लटक जाती हैं जिससे वह ठीक से बोल भी नहीं पाते उन्हें भोजन करने में भी परेशानियां उठानी पड़ती हैं।
एकांग लकवा- जब किसी व्यक्ति के शरीर के किसी एक अंग में लकवा लगता है तो उसे एकांग का लकवा कहते है।
पूर्णांग का लकवा- किसी व्यक्ति के शरीर के दोनों हाथ और दोनों पैर लकवा ग्रस्त हो जाते हैं तो उसे पूर्णांग लकवा कहा जाता है े
निम्न अंग का लकवा- शरीर के निचले हिस्से के किसी अंग पर लकवा लगने को ही निम्न अंग का लकवा कहते है।
चेहरे का लकवा- यह लकवा चेहरे पर लगता हैं, यानी चेहरे के किसी एक हिस्से पर इसका प्रभाव होता हैं. जिस हिस्से पर इसका प्रभाव हो वह लटक जाता है। लकवा के और भी कई प्रकार हैं लेकिन जो हमने आपको यहां पर बताये हैं यह सबसे सामान्य हैं यानी ज्यादातर लोगों को इन्ही अंगों में लकवा लगता हैं।
लकवा होने के कारण- लकवा लगने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जो की इस तरह है :-
धमनियों में किसी खराबी के कारण भी पैरालिसिस हो सकता है।
मस्तिष्क की नसों के फटने से भी यह रोग होने की संभावना रहती है।
सिर (मस्तिष्क) में खून बहने से भी लकवे की शिकायत हो जाती है।
जिन लोगों को ब्रेन ट्यूमर और कैंसर रोग है उनको भी यह लकवा लगने का डर रहता है।
चोट के कारण भी ज्यादातर लकवा लगते हैं. ज्यादातर रोगी ऐसे ही देखने को मिलते है जिन्हें चोट के कारण पैरालिसिस हो सकता है।
व्यक्ति के शरीर में खून की कमी होने से भी यह रोग हो सकता है।
अचानक किसी भी चीज के बारे में अच्छी या बुरी खबर सुनने से भी ज्यादा खुशी या ज्यादा गम के सदमे के कारण भी पैरालिसिस हो सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होने से भी ज्यादातर व्यक्तियों को लकवा लगता है।
स्नायु संस्थान की कमजोरी होने पर ही यह बीमारी जन्म लेती है।
बताये गए यह सभी कारण लकवा को जन्म देते हैं, ऐसे में जरुरी हैं की आम स्वस्थ्य व्यक्ति भी इन सभी कारणों पर ध्यान है।
लकवा के लक्षण- इस बीमारी में रोगी का आधा मुंह टेढ़ा हो जाता है। गर्दन टेढ़ी हो जाती है, मुंह से आवाज नहीं निकल पाती है। आंख, नाक, भौंह व गाल टेढ़े पड़ जाते हैं, फड़कते हैं और इनमें वेदना होती है। मुंह से लार गिरा करती है। जब किसी व्यक्ति के शरीर में किसी अंग पर लकवा लगने वाला होता है तो वह पहले ही लक्षण दिखाने लगता हैं। यानी की ऐसा नहीं हैं की सीधे ही किसी एक दिन लकवा लग जाता हैं, बल्कि इस बीच शरीर के जिस अंग पर लकवा लगना है वह पहले ही संकेत देने लगता हैं तो आइये जाने उस संकेतों के बारे में।
स्नायु की शिथिलता- जब भी शरीर में लकवा लगने वाला होता है तो शरीर के स्नायु धीमे हो जाते हैं, वह ठीक तरह से काम करना बंद कर देते हैं. उदाहरण के लिए अगर किसी को जीभ में लकवा लगने वाला है तो उसे इस तरह से लक्षण दिखाई देने लगेंगे झ्र कई बार जीभ उसके इशारे से इधर उधर नहीं मुड़ेगी, कई बार एहसास होगा की जीभ हिल नहीं रही है, जीभ का शुन्य पढ़ जाना आदि इस तरह से शरीर के सभी अंग लक्षण देने लगते हैं।
जिस भी व्यक्ति को लकवा लगने वाला होता है उसमे उत्साह की कमी देखी जा सकती है जैसे-
सीढ़ियां उतरने व चढ़ने में दिक्कत आना।
हाई ब्लड प्रेशर का बढ़ना।
पूरी नींद नहीं आना।
भूख कम लगना।
लकवा लगने वाले अंग की स्पर्श शक्ति का कमजोर होना।
लिखने व पढ़ने, बोलने में समस्या आने लगती है।
लकवा ठीक होने में कितना समय लगता है- कई लोगों का यह रोग जिंदगी भर ठीक नहीं होता हैं वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनका पैरालिसिस कुछ महीनो के भीतर ही ठीक जाता हैं। यह इस बात पर भी निर्भर करता हैं की आप मरीज की देखभाल किस तरह से कर रहे हैं। लकवा ठीक होने का कोई एक पक्का समय नहीं होता है यह उसके उपचार पर निर्भर करता हैं। हमने अब तक आपको लकवा के लक्षण व कारण साथ ही इसके प्रकार आदि के बारे में जानकारी दी हैं अब हम बात करेंगे लकवा का इलाज करने के बारे में. इसके लिए हम लकवा का आयुर्वेदिक उपचार के लिए घरेलु नुस्खे आदि के बारे में जानेगे े
लकवे के इलाज में सहायक औषधियां-
वृहत चिंतामणि का रस : यह एक चमकतारी दवा हैं जो की शरीर के दाए तरफ के हिस्से में लगे पैरालिसिस के लिए रामबाण होती है े इसका उपयोग भी बहुत ही आसान हैं, इसमें छोटी-छोटी सी गोलियां होती हैं. पैरालिसिस के रोगी को इस दवा का सेवन दोनों समय सुबह व शाम शुद्ध शहद के साथ करना होता हैं। वृहत चिंतामणि रस की दवा के अंदर से जो छोटी-छोटी गोलियां निकलेंगे वह बहुत ठोस रहेंगी तो आप इन्हें किसी वस्तु से बारीक-बारीक पीसकर उपयोग में लाये. रोजाना इस दवा के प्रयोग से शरीर में दायी तरफ लगा हुआ लकवा दूर हो जाता हैं।
वीर योगेंद्र रस : यह रस भी ऊपर दिए गए रस की तरह ही असरकारी हैं, दोनों में फर्क सिर्फ इतना हैं की वह रस शरीर के दाएँ तरफ के लकवे का इलाज करता हैं और यह वीर योगेंद्र रस शरीर के बाई तरफ के हिस्से का उपचार करता हैं। इस रस का प्रयोग भी दोनों समय सुबह व शाम शुद्ध शहद के साथ करना होता हैं। इसमें भी ठोस गोलियां ही होती हैं उनको बारीक करके ही प्रयोग में लाना हैं।
राई, अकरकरा, शहद तीनों 6-6 ग्राम लें। राई और अकरकरा को कूट-पीसकर कपड़छन कर लें, और शहद में मिला लें। इसे दिन में तीन-चार बार जीभ पर मलते रहें। लकवा रोग दूर होगा।
25 ग्राम छिला हुआ लहसुन पीसकर, 200 ग्राम दूध में उबालें, खीर की तरह गाढ़ा होने पर उतारकर ठंडा होने पर मरीज को खिलाएं ।
सौंठ और उड़द उबालकर इसका पानी पीने से लकवा ठीक होता है। यह आजमाया हुआ प्रयोग है।
लहसुन की 5-6 कली पीसकर उसे 15 ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम लेने से भी रोगी को इस रोग से बाहर निकलने में मदद मिलती है े
तीन फल : अंगूर, सेब और नाशपाती इन तीनो के सेवन से पैरालिसिस ठीक हो जाता हैं. ऐसा एक आयुर्वेदिक चिकित्सक का कहना हैं, उनका कहना हैं की उन्होंने कई व्यक्तियों को इन फलों के जरिये पैरालिसिस से बचाया हैं. उनके अनुसार इन तीनो फलों में पैरालिसिस दूर करने की अद्भुत क्षमता होती हैं. इन फलों के रस का प्रयोग आप बच्चों का पैरालिसिस ठीक करने के लिए भी कर सकते हैं. अगर आपके किसी परिजन को यह रोग हुआ हैं तो आप इन फलों का प्रयोग जरूर करे. सेब, अंगूर और नाशपाती इन तीनो को मिलाकर रस बनाये और उस रस का सेवन करे.
विटामिन बी12 लें : लकवा ठीक करने में विटामिन बी12 का अहम योगदान होता हैं. इसलिए आप इन सभी तरह की चीजों का सेवन करे जिनमे विटामिन बी12 भरपूर मात्रा में मिलता हो. दूध, दही, लहसुन, मट्ठा, बेंगन, करेला, जमीकंद, पक्का पपीता, कच्चा नारियल, आलुकुलथी, टिंडा, तुरई, बथुआ, मेथी की सब्जी, सूखे मेवे, खजूर आदि इन सभी का सेवन करना चाहिए। साथ ही सभी तरह के फलों का रस पीते रहना चाहिए।
दूध : आपके आहार में काबोर्हाइड्रेट का सेवन थकान से लड़ने के लिए काफी उपयोगी है. दूध और प्रोटीन की अच्छी मात्रा के साथ काबोर्हाइड्रेट को पूरक करने से आपको ताजा और ऊजार्वान महसूस होगा. इसके अलावा, दूध में मौजूद कैल्शियम आपकी मांसपेशियों और हड्डियों के लिए आवश्यक है। यह उन्हें लंबे समय तक मजबूत और स्वस्थ रखता है।
अंडे: एक पौष्टिक और अच्छी तरह से संतुलित आहार एक व्यक्ति को थकान से लड़ने में मदद करता है। आज की आधुनिक दुनिया में, हम में से ज्यादातर नाश्ता छोड़ते हैं यह बिल्कुल अच्छी बात नहीं है. सुबह का नाश्ता दिन का सबसे महत्वपूर्ण खाना होता है. इसके अलावा, अपने नाश्ते में कुछ अंडे जोड़ने से आपको बहुत ऊर्जा मिलेगी जो की पैरालिसिस के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होती हैं इससे उनका शरीर ऊजार्वान बना रहता हैं।
बादाम : बादाम में विटामिन ए होता है जो की शरीर को सक्रिय करने में बहुत सहायक होता है. यह शरीर को सामान्य रूप से कमजोरी से लड़ने में भी मदद करता है. इसलिए, यह मांसपेशियों की कमजोरी के लिए आदर्श विकल्प है. पैरालिसिस के रोगी को बादाम का हर रूप में प्रयोग करना चाहिए।
मुलेठी: लिकोरिस यानी मुलेठी एक जड़ीबूटी है जो मांसपेशियों की कमजोरी के सामान्य लक्षणों से लड़ती है. यह अधिवृक्क हार्मोन को प्रेरणा देता है, जो शरीर द्वारा स्वाभाविक रूप से उत्पादित होते हैं, एक व्यक्ति को बहुत अधिक ऊर्जा प्रदान करते हैं. इसलिए पैरालिसिस से ग्रस्त रोगी को मुलेठी का रोजाना सेवन करते रहना चाहिए।
तांबे के बर्तन का पानी- तांबे के बर्तन का पानी पिने से कई रोग दूर होते हैं, यह लकवे के रोग में लाभकारी सिद्ध होता हैं. इसके लिए आप रोजाना रात को सोने से पहले एक तांबे के बर्तन में पानी भरकर रखे व फिर अगली सुबह उठने के तुरंत बाद ही तांबे के बर्तन का पानी पि जाए. दिन में भी हो सके तो तांबे के बर्तन का पानी ही पीते रहना चाहिए ऐसा करने से दुगने लाभ होते हैं शरीर स्वस्थ रहता हैं कब्ज, हाई ब्लड प्रेशर, एसिडिटी आदि पाचन से सम्बंधित रोग बिलकुल भी नहीं होते।
तुलसी: तुलसी प्रत्येक रोग में अपनी अहम भूमिका निभाती हैं. लकवा में भी तुलसी का सेवन बहुत लाभप्रद रहता हैं इसके साथ ही तुलसी का लकवा में दो अन्य तरीको से भी उपयोग किया जाता हैं जो की इस तरह से है झ्र एक बर्तन में थोड़े तुलसी के पत्ते डालकर उसे पानी से भर दें फिर तेज आग पर इसे देर तक उबाले व फिर इसकी भांप लें. इस तरह तुलसी के पत्तों की भांप लेने से लकवाग्रस्त रोगी को बहुत लाभ होता हैं।
और जिन व्यक्तियों को पैरालिसिस होने का डर रहता हैं उनको यह प्रयोग जरूर करना चाहिए- तुलसी के पत्ते तोड़कर उसकी एक माला बनाये और इस माला को अपनी कमर में बांध लें ऐसा करने से इस रोग के होने की संभावना काफी कम हो जाती है।
शरीर के एक तरफ लकवा लगने पर- शरीर में एक तरफ लकवा लगने को ङ्मल्ली २्रीि िस्रं१ं’८२्र२ भी कहते हैं. जिनको भी यह लकवा हो उसे अनुम विलोम प्राणायाम करना चाहिए इससे रोगी को बहुत लाभ होता है े रोजाना सुबह के समय नियमित रूप से 1 घंटे तक अनुम विलोम प्राणायाम करे. अनुम विलोम प्राणायाम से दोनों स्वरों का सञ्चालन होता हैं जिससे मस्तिष्क के दोनों भाग में रक्तसंचार होने लगता हैं यह प्रयोग स्वयं बाबा रामदेव द्वारा बताया गया हैं।
लकवा से बचने के उपाय-
पैरालिसिस से बचने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करते रहना चाहिए। रोजाना सुबह उठकर अनुम विलोम प्राणायाम करना चाहिए। शरीर पर तेल की मालिश व मसाज करवाते रहना चाहिए। घर्षण स्नान, कटी स्नान भी लेते रहना चाहिए। हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के उपाय भी करते रहना चाहिए। हल्का और पौष्टिक आहार लेते रहना चाहिए। भरपूर मात्रा में पानी पीते रहे, हो सके तो तांबे के बर्तन के पानी का उपयोग ज्यादा करे।