हर वर्ष हिमाचल प्रदेश के मंडी शहर में शिवरात्रि का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यहां 7 दिनों तक चलने वाला शिवरात्रि महोत्सव प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय मेले के रूप में मनाया जाता है। त्योहार की लोकप्रियता व्यापक है और इसलिए इसे अंतरराष्ट्रीय त्योहार के रूप में जाना जाता है। अपने 81 मंदिरों से त्योहार में आमंत्रित देवताओं और देवियों की बड़ी संख्या को ध्यान में रखते हुए मंडी शहर को ह्यपहाड़ियों की वाराणसीह्ण का खिताब मिला है। पूरे देश में शिवरात्रि का त्योहार बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है, लेकिन हिमाचल के हर त्योहार की अपनी एक खास विशेषता और महत्ता है।
इसलिए हिमाचल में चाहे कोई भी त्योहार हो या फिर मेले, हर उत्सव की अपन
ी ही धूम होती है। वैसे ही शिवरात्रि का त्योहार हिमाचल में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। खासकर हिमाचल के अंतरराष्ट्रीय मंडी उत्सव की तो बात ही निराली है। उत्तर-पश्चिमी भारत में भगवान शिव की पौराणिक गाथाएं गहरी जडं़े जमाए हुए हैं। इसलिए मंदिरों में भी शिव पूजन को बहुत महत्त्व दिया जाता है। ग्रामीण लोगों के लिए यह सबसे बड़ा त्योहार होता है इसलिए सब खुलकर खर्च करते हैं। यूं तो पूरा वर्ष इस त्योहार के लिए लोग बचत करते हैं, परंतु त्योहार से एक मास पूर्व वास्ताविक तैयारी प्रारंभ होती है। देव परंपरा के संरक्षण व धार्मिक अनुष्ठानों में मंडी नगर का विशेष ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक तथा पुरातात्विक महत्त्व रहा है, जिससे यह नगर छोटी काशी के नाम से विख्यात है। हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में जहां शिवरात्रि अत्यंत श्रद्धा से मनाई जाती है, वहीं मंडी के मेले को अंतरराष्ट्रीय मेले के रूप में मनाया जाता है। यह धार्मिक उत्सव मंडी नगर में बड़े उत्साह से सैकड़ों वर्षों से मनाया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में इस बार भी कई देवी-देवता शिरकत करेंगे। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के लिए देवता सजने शुरू हो गए हैं। गांव में न केवल उत्सव को लेकर देवलुओं में उत्साह है, बल्कि देवताओं में भी सुंदर दिखने की होड़ लगी रहती है। देवताओं के शृंगार का काम देवताओं के खास कारीगर और देवलू करते हैं। खास बात यह है कि केवल शिवरात्रि के लिए ही कुछ देवता खास तौर पर शृंगार करते हैं, जबकि वर्ष भर ये देवता स्वर्ण आभूषणों व नगों को नहीं पहनते हैं। इसकी खास वजह यह है कि देवता शिवरात्रि जलेब में शामिल होने आते हैं, जिसे शिव की बारात कहा जाता है। मंडी के पड्डल मैदान में 22 फरवरी से मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि माहोत्सव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। हालांकि इस बार शिवरात्रि 21 फरवरी को मनाई जा रही है, लेकिन मंडी में शिवरात्रि का मेला 22 फरवरी से विधिवत शुरू होगा और 28 फरवरी तक चलेगा। महोत्सव की पुरातन परंपराओं को सहेजने के साथ इस बार लीक से कुछ हटकर भी होगा। महोत्सव के लिए इस बार 216 देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में प्राचीन जलेब की परंपराओं का निर्वहन किया जाएगा। जब तक मंडी शहर के राज माधवराय की पालकी नहीं निकलती, तब तक शिवरात्रि महोत्सव की शोभायात्रा नहीं चलती है। राजदेवता माधोराय की पालकी प्राचीन परंपराओं के अनुसार जलेब की रौनक के साथ पड्डल से वापस मंदिर तक पहुंचाई जाएगी। वापसी में राजदेवता माधोराय की पालकी संग कुछ देवी-देवताओं के साथ मंत्री भी पैदल लौटेंगे। 22 से 27 फरवरी तक छह सांस्कृतिक संध्याएं होंगी। हिमाचली कलाकारों को भी मौका दिया जाएगा। इसके अलावा एक-एक सांस्कृतिक संध्या पंजाबी और बॉलीवुड कलाकारों के नाम होगी। 22, 25 व 28 फरवरी को निकलेगी जलेब- 22 से 28 फरवरी तक मनाए जाने वाले इस महोत्सव का आगाज मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करेंगे। वह 22 फरवरी को प्रथम जलेब की अगुवाई करेंगे। मध्य जलेब 25 फरवरी को निकलेगी। तीसरी व अंतिम जलेब में 28 फरवरी को राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय शामिल होंगे।