वाराणसी (काशीवार्ता)। भाई-बहन के अमर प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन कल पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। बहनें अपने भाई की कलाई पर स्नेह का बंधन बांधकर लंबी उम्र की कामना करेंगी।बदले में भाई उन्हें उपहार देकर स्नेहाशीष से सराबोर करेंगे। इस प्रकार एकबार फिर कच्चे धागे से बंधकर भाई-बहन का प्यार परवान चढ़ेगा। कोरोना काल के चलते हालांकि इस बार परिस्थितियां भिन्न होंगी। संक्रमण के चलते दो गज की दूरी का पालन करते हुए रस्मों की अदायगी की जाएगी। सावन माह की पूर्णिमा को पड़ने वाले इस प्रमुख पर्व के लिए कई शादीशुदा बहनें दो-चार दिनों पूर्व ही मायके आ गईं तो कुछ के आने का सिलसिला लगातार जारी है। संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए इस बार तमाम लोग बाजार में बनी मिठाइयों से परहेज भी कर रहे हैं। इस निमित्त तमाम घरों में मिठाइयां व पकवान बनाये जा रहे हैं। बहनें बाजार में बिक रही अत्त्याधुनिक राखियों की खरीददारी कर रही हैं। उधर,भाई भी बहनों को उपहार देने के लिए उनकी मनपसंद चीजें खरीद रहे हैं।पर्व को ध्यान में रखते हुए शासन के निर्देश पर स्थानीय प्रशासन ने 55 घंटे के लॉकडाउन में छूट दी है। इसके चलते आज भी मिठाई एवं राखी की दुकानों को खोलने की छूट दी गई। हालांकि प्रशासन द्वारा सोमवार की बंदी वापस लेने से कल बाजार पूरी तरह खुलेंगे।
अबकी सावन पूर्णिमा पर सोमवार का अद्भुत संयोग है जो इसे खास बना रहा है। पूर्णिमा दो अगस्त की रात 8.36 बजे लग जाएगी जो तीन अगस्त को रात 8.21 बजे तक रहेगी। तीन अगस्त को सुबह 8.29 बजे तक भद्रा के कारण बहनें, भाइयों की कलाई पर राखी सुबह 8.30 बजे से पूर्णिमांत यानी रात 8.21 बजे तक बांध सकेंगी। शास्त्र सम्मत है कि रक्षाबंधन में पराह्यण व्यापिनी तिथि ली जाती है। यदि पूर्णिमा दो दिन हो या उस दिन भद्रा हो तो उसका त्याग करना चाहिए। भद्रा में रक्षा पर्व व फागुनी दोनों ही वर्जित है। कारण यह कि श्रावणी में राजा व फागुनी में प्रजा का अनिष्ट होता है। सावन पूर्णिमा पर स्नान-दान का भी विधान है। सावन का अंतिम सोमवार होने से रुद्राभिषेक-पूजन आदि के विधान अनुष्ठान भी पूरे किए जाएंगे। इसी दिन वैदिक ब्राह्माण श्रावणी उपाकर्म के विधान भी पूरे करेंगे। हालांकि कोरोना संकट के कारण सभी अनुष्ठान घर में ही करने होंगे।