आसान से दूर होती हैं पाचन संबंधी दिक्कतें


अधिकतर लोगों को पाचन संबंधी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसमें पेट में गैस और कब्ज काफी प्रमुख है। वैसे तो इस समस्या के निदान के लिए खानपान पर अधिक ध्यान देने की सलाह दी जाती है, लेकिन इसके अतिरिक्त अगर आप पवनमुक्तासन का अभ्यास करते हैं तो इससे आपको इस समस्या का सामना करना ही नहीं पड़ेगा। तो चलिए जानते हैं पवनमुक्तासन करने के तरीके और इससे होने वाले लाभों के बारे में-
करने का तरीका- पवनमुक्तासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाएं। इसके बाद आप दोनों पैरों को फैलाएं और इनके बीच की दुरी को कम करें। अब दोनों पांव उठाएं और घुटने मोड़ें। इसके बाद आप अपने हाथों की मदद से घुटने के नीचे अपनी पिंडलियों के पास पकड़ें। अब सांस छोड़े, घुटनों को दबाते हुए छाती की ओर लाएं। सिर उठाएं तथा घुटनों को छाती के निकट लाएं जिससे ठोड़ी घुटनों को स्पर्श करने लगे। कुछ देर इस अवस्था में रूकें। इसके बाद सांस लेते हुए पैरों को जमीन पर लेकर आएं।


बरतें सावधानी- पवनमुक्तासन का अभ्यास करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है। सबसे पहले तो अगर आपको हर्निया या सायटिका की समस्या है, तो इस आसन को करने से बचें। इसके अतिरिक्त गर्भावस्था, पीठ में दर्द या कमर में चोट लगने पर भी इस आसन का अभ्यास करने की सलाह नहीं दी जाती। वहीं अगर आप पहली बार योगाभ्यास कर रहे हैं तो किसी प्रशिक्षक की देखरेख में ही इसका अभ्यास करें।
जानें लाभ- पवनमुक्तासन का एक सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह पेट में गैस और कब्ज की परेशानी से राहत दिलाता है। इसके अलावा यह पेट की चर्बी को कम करने में मददगार है। पवनमुक्तासन का नियमित अभ्यास करने से धीरे-धीरे पेट की चर्बी कम होने लगती है। यह आसन रीढ़ की हड्डी के लिए भी बेहद लाभकारी है। इस आसन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी मजबूत एवं लचीली बनती है। अगर आप अपने फेफड़ों को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो पवनमुक्तासन का अभ्यास अवश्य करें। इसके अतिरिक्त इससे आपका हृदय भी अच्छा रहता है। पवनमुक्तासन शरीर में ब्लड सकुर्लेशन को बेहतर बनाता है और आंतरिक अंगों की कार्यक्षमता को भी बेहतर बनाता है।