वाराणसी (काशीवार्ता)। विद्युत कर्मियों के शुरू हुए कार्य बहिष्कार व व्यापक आंदोलन के चलते समूचे पूर्वांचल में विद्युत व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। आंदोलन के बीच लगातार दूसरे दिन बिजली नदारद होने से वाराणसी में शहर से गांव तक आज भी लोग बूंद-बूंद पानी को तरसते नजर आए। इसके पूर्व भीषण गर्मी, मच्छरों के प्रकोप के बीच लोगों ने पूरी रात जागकर बिताई। आज सुबह बिजली नदारद रही तो पानी के अभाव में लोगों की नित्य क्रिया भी प्रभावित हो गई। नदेसर, मिंट हॉउस, वरुणा ब्रिज, आशापुर न्यू कालोनी, तिलमापुर, सारनाथ, हिरावनपुर में आज भी बिजली नदारद थी। बताया गया कि कई इलाकों में24घण्टे से ज्यादा समय से आपूर्ति ठप है। कटौती वाले तमाम इलाकों में आज सुबह से लोग बाल्टी, गैलन लेकर मिलों दूर से पानी लाते देखे गए। कई लोग दुकानो से बोतल बन्द पानी मंगा रहे थे ताकि प्यास बुझे व हलक तर किया जा सके। पानी के अभाव में कई घरों में आज चूल्हे भी नहीं जले तो कईयों को चाय के लिए भी तरसना पड़ा। इसके पूर्व हड़ताल शुरू होने के कुछ समय बाद व्यवस्था छिन्न भिन्न हुई तो देर रात तक तमाम आला अधिकारी व्यवस्था संभालने के लिए उप केंद्रों का दौरा करते रहे। लेकिन कई जगह कर्मचारी नदारद रहे तो कई लोकल फाल्ट होने की बात कह कन्नी काट गये, इससे आंदोलित कर्मचारियों की चाल कामयाब रही। तकनीकि जानकारी के अभाव में उपकेंद्रों पर तैनात लेखपाल, अमीन व पुलिस वाले भी किंकर्तव्य विमूढ़ ही दिखे। काफी जद्दोजहद के बाद कुछ उपकेंद्रों की आपूर्ति चालू हुई तो चन्द मिनट बाद ही लाईन ट्रिप कर बन्द भी हो गई । जिससे अधिकारियों की पहल का भी कोई विशेष फायदा नहीं हुआ। रात में बिजली दुर्व्यवस्था से उबले लोगों ने लेढुपुर, चांदपुर समेत कई उपकेंद्रों पर जहां हंगामा किया वहीं बाबतपुर के सेहमलपुर में चक्का जाम भी हुआ। जिला प्रशासन ने आंदोलन से निपटने और विद्युत व्यवस्था सुचारु करने के लिए तीन कण्ट्रोल रूम बनाए थे लेकिन इसका भी कोई फायदा नजर नहीं आया। भिखारीपुर कण्ट्रोल रूम व सिगरा स्थित सिटी कमांड सेंटर का नंबर ज्यादा समय व्यस्त रहा। रात में कई बार लोग कमिश्नरी कार्यालय में लगा फोन घनघनाते रहे लेकिन कोई उठाने वाला नहीं था। व्यवस्था को कोसते लोग हताश व निराश भी हुए। तमाम विद्युत उपकेंद्र के दीवारों से भी कर्मचारियों ने नंबर मिटा दिए थे जिससे उपभोक्ता बेहद परेशान रहे। इलाकाई जेई व अधिकारी भी अपना फोन बंद कर दिए थे। कुल मिलाकर जिले के अधिकांश इलाकों में आला अधिकारियों के दावे हवा में रह गए और आंदोलन से निबटने की सारी तैयारियां भी धड़ाम हो गई।