छत्तीसगढ़ के बालोद ज़िले में डेढ़ साल की बच्ची के चेहरे और शरीर को कथित रूप से सिगरेट से जलाने वाले पुलिसकर्मी अविनाश राय को नौकरी से बर्ख़ास्त कर दिया गया है.
पुलिस का कहना है कि घटना किन परिस्थितियों में हुई, इसकी जांच की जा रही है.
बालोद के पुलिस अधीक्षक जीतेंद्र मीणा ने बीबीसी से कहा,”आरोपी पुलिसकर्मी को गिरफ़्तार कर न्यायालय में पेश किया गया. इसके अलावा जाँच की अर्ज़ी दुर्ग ज़िले के पुलिस अधीक्षक को भेजा गया था, जिस पर कार्रवाई करते हुए अभियुक्त को नौकरी से बर्ख़ास्त कर दिया गया है.”
अभियुक्त की बर्ख़ास्तगी के आदेश में कहा गया है कि “आरक्षक द्वारा प्रदर्शित क्रूरतम और अमानवीय कृत्य के लिये जाँच किया जाना युक्तियुक्त रूप से व्यवहार्य नहीं है क्योंकि क्रूरतम अमानवीय कृत्य की प्रमाणिकता के ठोस पैमाने प्रत्येक परिस्थितियों के लिये सुनिश्चित नहीं किये जा सकते.”
आदेश के मुताबिक़, “ऐसी प्रवृत्ति के कर्मचारी के विरुद्ध कठोर कार्रवाई विभाग और जनहित के लिये अत्यंत आवश्यक हैं, ताकि समाज में विभाग के उच्च स्तरीय मानकों की छवि बरकरार रहने के साथ ही विभागीय व्यवस्था सुदृढ़ बनी रहे.”
क्या हैं आरोप?
पुलिस के अनुसार, अभियुक्त अविनाश राय का तबादला इसी महीने की पाँच तारीख़ को बालोद से दुर्ग ज़िले में किया गया था.
आरोप है कि अविनाश राय बालोद ज़िले के सिवनी में जहाँ किराये के मकान में रहते थे, वहाँ अपना सामान लेने के लिये पहुँचे और उहोंने रात को मकान मालिक की डेढ़ साल की बच्ची को उसे पापा कहने के लिये कहा.
पुलिस के अनुसार बच्ची ने जब उसे पापा नहीं कहा तो अभियुक्त ने उसे सिगरेट से जगह-जगह जला दिया.
पुलिस का कहना है कि गुरुवार की रात 10:30 बजे के आसपास पीड़ित बच्ची की माँ ने बालोद पुलिस में मामले की रिपोर्ट दर्ज़ कराई.
बच्ची को समय से नहीं मिला इलाज
पुलिस ने गुरुवार को मामले की रिपोर्ट दर्ज कर ली थी लेकिन पुलिस के अनुसार शनिवार तक बच्ची को कोई इलाज नहीं मिल पाया था.
मामला जब मीडिया के सामने आया तो शनिवार को बच्ची को इलाज के लिये बालोद ज़िला अस्पताल और फिर वहां से रायपुर के सरकारी अस्पताल भेजा गया लेकिन रायपुर में भी देर शाम तक बच्ची का इलाज शुरू नहीं हो पाया था.
बीबीसी के पास जो दस्तावेज़ उपलब्ध हैं, उससे पता चलता है कि रिपोर्ट दर्ज होने के अगले दिन यानी शुक्रवार की शाम को भारत सरकार के उपक्रम स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के दुर्ग ज़िले में स्थित जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में बच्ची का इलाज किया गया था.
यहाँ के दस्तावेज़ों में शुरुआती तौर पर जो जानकारी दर्ज़ की गई है, उसके अनुसार चावल पकाते समय गरम पानी का छींटा गिरने से बच्ची के शरीर का कुछ हिस्सा जल गया था.
अस्पताल के दस्तावेज़ में पीड़ित बच्ची के नाम-पते के साथ जो फ़ोन नंबर दर्ज़ किया गया है, वो बर्ख़ास्त पुलिसकर्मी का बताया जा रहा है.
बर्ख़ास्त पुलिसकर्मी अविनाश राय के परिजनों का दावा है कि शुक्रवार की शाम को अविनाश राय ही बच्ची और उसकी माँ को लेकर अस्पताल पहुंचे थे, जहाँ बच्ची का इलाज किया गया.
मामले में कई पेंच
पीड़ित बच्ची की माँ लोक गायिका हैं और पिछले कई सालों से अलग-अलग लोक संगठनों से जुड़ कर काम करती रही हैं.
पीड़ित बच्ची के पिता नागपुर में रहते हैं और बच्ची अपनी माँ के साथ रहती है.
पीड़ित बच्ची की माँ ने कहा, “इसी साल 19 जून को मेरी 14 साल की बेटी ने फाँसी लगा कर जान दे दी थी. उसके बाद अब दूसरी बेटी के साथ यह घटना हुई है.”
उन्होंने स्वीकार किया कि बच्ची को इलाज के लिये वह आरोपी के साथ ही शुक्रवार को अस्पताल पहुंची थीं.
माँ बच्ची के जलने को लेकर पहले कहा कि माड़ (चालव का पानी) गिरने से बच्ची जल गई थी लेकिन बाद में स्वीकार किया कि बर्ख़ास्त पुलिसकर्मी ने ही शराब के नशे में सिगरेट से बच्ची को जलाया है.
सामाजिक कार्यकर्ता और हाईकोर्ट की वकील प्रियंका शुक्ला ने कहा कि मामले में वे पीड़ित पक्ष के साथ लगातार संपर्क में हैं और इस मामले में कई तरह की बातें सामने आ रही हैं.
उन्होंने बीबीसी से कहा,”इस मामले में कई पेंच समझ में आ रहे हैं लेकिन किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाज़ी होगी. पूरे मामले की गंभीरता से जांच ज़रुरी है. सरकार ने आरोपी को बर्खास्त किया है, यह स्वागत योग्य कदम है.”