लव जिहाद की घटनाओं को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के धर्मांतरण अध्यादेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब तलब किया है. यूपी सरकार को चार जनवरी तक विस्तृत जवाब दाखिल करना होगा. इसके बाद याचिकाकर्ताओं को अगले दो दिनों में अपना हलफनामा दाखिल करना होगा. हाईकोर्ट में सात जनवरी को फिर सुनवाई होगी.
चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच ने अध्यादेश पर अंतरिम रोक लगाए जाने से फिलहाल इंकार किया है. अदालत ने कहा कि अध्यादेश पर कोर्ट अंतिम निर्णय ही सुनाएगी. यूपी सरकार ने अदालत के सामने दलीलें रखते हुए कहा कि क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इस तरह का अध्यादेश बेहद ज़रूरी हो गया था.
इस मामले की चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस पीयूष अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की. यूपी सरकार के अध्यादेश के खिलाफ तीन जनहित याचिकाएं दाखिल की गईं थी. याचिकाओं में अध्यादेश को गैर ज़रूरी बताते हुए इसे रद्द किए जाने की मांग की गई थी. जिस पर हाई कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है.
क्या है लव जिहाद कानून
इस प्रस्तावित कानून के तहत, धर्म छिपाकर किसी को धोखा देकर शादी करने पर 10 साल की सज़ा होगी.शादी के लिए धर्मांतरण रोकने विधेयक में प्रावधान है कि लालच ,झूठ बोलकर या जबरन धर्म परिवर्तन या शादी के लिए धर्म परिवर्तन को अपराध माना जाएगा.
साथ ही नाबालिग,अनुसूचित जाति जनजाति की महिला के धर्मपरिवर्तन पर कड़ी सजा होगी. सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने वाले सामाजिक संगठनों के खिलाफ कार्रवाई होगी. धर्म परिवर्तन के साथ अंतर धार्मिक शादी करने वाले को सिद्ध करना होगा कि उसने इस कानून को नहीं तोड़ा है. लडक़ी का धर्म बदलकर की गई शादी को शादी नही माना जाएगा.