वाराणसी (काशीवार्ता)। पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी और अब लॉकडाउन के बाद लगातार बढ़ती महंगाई, आर्थिक मंदी की मार से अलग। इन सब झंझावतों के बीच कुटीर उद्योग लगातार संकट से घिरता जा रहा है। वर्तमान में कच्चे माल के दाम चढ़ने से नमकीन उद्योग के समक्ष तो दुश्वारियां ही दुश्वारियां नजर आने लगी है।
हालात यह है कि प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए तैयार माल का कीमत बढ़ाना उद्यमियों के लिए मुमकिन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में आर्थिक मार ने उद्यमियों की कमर ही तोड़ दी है। काशी बिस्कुट एण्ड कंफेक्शनरी व्यापार मंडल की सिगरा स्थित संगठन कार्यालय पर गुरुवार को हुई बैठक की अध्यक्षता करते हुए अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा ने सरकार की नीतियों पर रोष जताते हुए कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों व कॉरपोरेट घरानों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार उनको लगातार सहूलियत दे रही है। लेकिन कुटीर उद्यमियों को आगे बढ़ाने के लिए कोई भी नीति नहीं बना रही है। हालात यह है कि एक-एक कर कुटीर उद्योग बंद होते जा रहे हैं। जो चल भी रहे हैं, वह आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। इसके बीच सरसों तेल और दाल की कीमतों में वृद्धि ने आग में घी का काम किया है। सरसों तेल जहां 400-500 रुपये प्रति टीन महंगा हुआ है तो वहीं विभिन्न प्रकार की दालों के दाम में तेजी आयी है। सरकार सामानों की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने में नाकाम है। हालात यह है कि कुटीर उद्यमियों के लिए कारखाना चलाना मुश्किल हो गया है। वक्ताओं ने कहा कि सरकार ने जब से फाइव ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने की घोषणा की है, तब से उद्योग-धंधों का कारोबार लगातार गिरावट पर है। नमकीन, कंफेक्शनरी और बेकरी उद्योग का हाल बेहाल है। अगर सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो आने वाले दिनों में कल-कारखाना बंद हो जाएंगे और कामगार बेरोजगार हो जाएंगे। बैठक में सुशील लखवानी, अशोक गुप्ता, जितेंद्र गुप्ता, दीप्तिमान देव गुप्ता, संजय गुप्ता, मनीष गुप्ता, जय निहलानी, विकास गुप्ता, जित्तन चौधरी, सत्यप्रकाश जायसवाल, हाजी शाहिद कुरेशी, राजीव वर्मा, शरद श्रीवास्तव, अंबे सिंह आदि थे।