छत्तीसगढ़ में एक बार फिर नक्सलियों ने बड़ा हमला किया है. घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने बीजापुर में सुरक्षाबलों के 22 जवान शहीद कर दिए. एक जवान अब भी लापता है. जानकारी के मुताबिक, 200 से 300 नक्सलियों ने जवानों पर हमला कर दिया. सुरक्षाबलों के जवान नक्सली कमांडर हिडमा को पकड़ने गए थे. लेकिन घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने तीन तरीकों से जवानों पर हमला बोल दिया. नक्सलियों ने गोलियां भी चलाईं, रॉकेट लॉन्चर भी छोड़े और नुकीले हथियारों से भी हमला किया. एक जवान का तो नक्सलियों ने हाथ भी काट डाला और फिर उसे मार दिया.
सरकार के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में 8 जिले नक्सल प्रभावित हैं. इनमें बीजापुर, सुकमा, बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर, राजनंदगांव और कोंडागांव शामिल हैं. सुरक्षाबल या पुलिस जब भी नक्सलियों को पकड़ने जाती है, तो ये नक्सली उन पर हमला कर देते हैं. गृह मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट और लोकसभा में दिए जवाब के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 साल में यानी 2011 से लेकर 2020 तक छत्तीसगढ़ में 3 हजार 722 नक्सली हमले हुए. इन हमलों में हमने 489 जवान खो दिए.
साल | नक्सली हमले | शहीद हुए जवान |
2011 | 465 | 80 |
2012 | 370 | 46 |
2013 | 355 | 44 |
2014 | 328 | 60 |
2015 | 466 | 48 |
2016 | 395 | 38 |
2017 | 373 | 60 |
2018 | 392 | 55 |
2019 | 263 | 22 |
2020 | 315 | 36 |
कुल | 3,722 | 489 |
ये आंकड़े इसलिए भी हैरान करने वाले हैं. क्योंकि छत्तीसगढ़ से ज्यादा नक्सल प्रभावित झारखंड है. यहां 13 जिले नक्सल प्रभावित हैं. उसके बावजूद झारखंड में नक्सली हमले छत्तीसगढ़ की तुलना में कम होते हैं. अगर देखा जाए तो पिछले 10 साल में छत्तीसगढ़ में जहां 3,722 नक्सली हमले हुए, वहीं इसी दौरान झारखंड में 3,256 हमले हुए. एक ट्रेंड ये भी है कि झारखंड में जहां नक्सली हमलों में कमी आ रही है, वहीं छत्तीसगढ़ में हमले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. सरकार इन्हें नक्सली हमले नहीं कहती, बल्कि वामपंथी उग्रवाद हमले बताती है.
पिछले 6 साल में छत्तीसगढ़ और झारखंड में हुए नक्सली हमले
साल | छत्तीसगढ़ | झारखंड |
2015 | 466 | 310 |
2016 | 395 | 323 |
2017 | 373 | 251 |
2018 | 392 | 205 |
2019 | 263 | 200 |
2020 | 315 | 199 |
कुल | 2,204 | 1,488 |
10 साल में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से ज्यादा आम लोग मारे गए
2011 से लेकर 2020 तक छत्तीसगढ़ में जितने भी नक्सली हमले हुए, उसमें नक्सलियों से ज्यादा आम लोग मारे गए. ये आंकड़े सरकार के ही बताए गए हैं. पिछले 10 सालों में राज्य में सुरक्षाबलों ने एक तरफ 656 नक्सलियों को मार गिराया, वहीं दूसरी तरफ नक्सली घटनाओं में 736 आम लोगों की जान गई. सुरक्षाबलों ने सबसे ज्यादा नक्सली 2016 में मारे थे. उस साल 135 नक्सली मारे गए थे. उसके बाद 2018 में 125 नक्सली मारे गए.
साल | आम नागरिकों की मौत | नक्सली मारे गए |
2011 | 124 | 34 |
2012 | 63 | 38 |
2013 | 67 | 38 |
2014 | 62 | 35 |
2015 | 53 | 48 |
2016 | 69 | 135 |
2017 | 70 | 80 |
2018 | 98 | 125 |
2019 | 55 | 79 |
2020 | 75 | 44 |
कुल | 736 | 656 |
छत्तीसगढ़ में नक्सली हमलों में मारे गए नागरिकों और शहीद जवानों के आंकड़ों को जोड़ें, तो पिछले 10 साल में यहां 1,225 मौतें हुई हैं. ये देश के बाकी किसी भी नक्सल प्रभावित राज्यों में सबसे ज्यादा है.
खर्च बढ़ रहा, लेकिन हमले नहीं रुक रहे
नक्सली हमलों से निपटने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से राज्य सरकार को मिलने वाली आर्थिक मदद बढ़ रही है. लेकिन हमले कम नहीं हो रहे हैं. 2017-18 में केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को 92 करोड़ रुपए दिए थे, जो 2020-21 में बढ़ाकर 140 करोड़ रुपए हो गए. इसके बावजूद छत्तीसगढ़ सबसे ज्यादा मौतों के मामले में टॉप पर है.