मथुरा श्री कृष्ण जन्म भूमि की 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व को लेकर अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह द्वारा सिविल जज सीनियर डिविजन के यहां लगाई गई याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन कंडोलेंस होने की वजह से सुनवाई नहीं हो सकी. जिसके चलते अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह द्वारा एक और याचिका न्यायालय में लगाई गई है, जिसमें ठाकुर केशव देव मंदिर के पत्थरों को मस्जिद दीवाने खास जामा मस्जिद आगरा फोर्ट की सीढ़ियों में लगाए जाने का दावा किया गया है.
याचिकाकर्ता अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह द्वारा न्यायालय से मांग की गई है कि वो आर्कोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया (Archaeological Survey of India) से सर्वे रिपोर्ट कराए जिससे स्पष्ट हो सके. न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 10 मई मुकर्रर की है, अब सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत में अगली सुनवाई 10 मई को होगी.
कार्यकर्ता शैलेन्द्र सिंह द्वारा दायर याचिका में, वाराणसी की एक अदालत द्वारा 8 अप्रैल को दिए गए आदेश का हवाला भी दिया गया था, जिसमें काशी विश्वनाथ मंदिर को खत्म करने वाले ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एक पुरातात्विक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया गया था, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाहों ने मंदिर की धज्जियां उड़ाने के बाद किया था.
वहीं दूसरी तरफ इस मामले में अपने आधार को सही ठहराने के लिए उस आदेश के खिलाफ वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद समिति और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा रही है. सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में शेलेंद्र सिंह की याचिका में तर्क दिया गया था कि बुंदेला राजा राजा बीर सिंह देव द्वारा 33 लाख की लागत में बनाए गए शानदार मंदिर को जनवरी 1670 में मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था.