नई दिल्ली, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक नम्बी नारायणन के जासूसी केस की गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने वैज्ञानिक नम्बी नारायणन के खिलाफ 1994 के जासूसी मामले में सीबीआई को जांच के आदेश दिए हैं। नारायणन ने इस मामले में उन्हें फंसाने की कथित साजिश की केंद्रीय एजेंसी को जांच देने का स्वागत किया है। इसरो के पूर्व वैज्ञानिक ने फैसले के बाद कहा कि मैं खुश हूं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले की जांच के लिए सीबीआई को तीन महीने की मोहलत दी है यानी तीन महीने के अंदर सीबीआई को अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में देनी होगी। इस मामले में 2018 में बनी एक उच्च-स्तरीय जांच समिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। उच्चतम न्यायालय ने नम्बी नारायणन से जुड़ी 1994 के जासूसी मामले में साल 2018 में शीर्ष अदालत ने बरी कर दिया था और केरल सरकार को उन्हें 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था।
ISRO जासूसी कांड क्या है, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की
आपको बता दें कि एयरोस्पेस इंजीनियर नंबी नारायणन जब जासूसी कांड में फंसे थे। उस वक्त इसरो के सायरोजेनिक्स विभाग के चीफ थे। नवंबर 1994 में उनपर भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़ी कुछ गोपनीय जानकारियों को विदेशों में शेयर करने का आरोप लगा, जिसके बाद उनको केरल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि बाद में सीबीाई जांच में यह पूरा मामला फर्जी साबित हुआ। इस अपमान का बदला लेने और 1998 में खुद के बेदाग साबित होने के बाद नंबी नारायणन ने उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी, जिन्होंने उन्हें इस जासूसी कांड मे फंसाया था। इसके लिए पूर्व जज जस्टिस डी के जैन को इस पूरे मामले के लिए नियुक्त किया गया।