धाम के मुमुक्षु भवन में मोक्ष के लिए आते हैं वृद्धजन


वाराणसी(काशीवार्ता)। ‘काश्यां मरणात् मुक्ति’, ऐसी मान्यता है कि काशी में मृत्यु से मुक्ति मिलती है। माना जाता है कि यहां मृत्यु के उपरांत खुद भगवान शिव मणिकर्णिका घाट पर जीव को तारक मंत्र देते हैं, जिससे उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता है कि महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर चिता की अग्नि कभी बुझती नहीं है। इन्हीं मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए मणिकर्णिका घाट के निकट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में मुमुक्षु भवन का भी निर्माण कराया है। यहां बीमार, आसक्त बुजुर्गों की सेवा नि:शुल्क की जाती है। तीन मंजिला इस भवन में 40 बेड हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी योजना श्रीकाशी विश्वनाथ धाम की बागडोर संभाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सनातन और काशी की धार्मिक मान्यताओं का विशेष ध्यान रखे हुए हैं। काशी में मुमुक्षु भवन का काफी पौराणिक महत्व है। जीवन का अंतिम समय काशी पुराधिपति भगवान शिव के धाम में उनके चरणों में व्यतीत करने को मिले तो लोग अपने आप को भाग्यशाली मानते हैं। मुमुक्ष भवन को संचालित करने वाली तारा संस्था के मैनेजर कोमुदी कांत आम्टे ने बताया कि अभी तक 41 वृद्ध लोग यहाँ प्रवास कर चुके हैं। जिसमे से 3 बुजुर्गों को काशी विश्वनाथ धाम के मुमुक्ष भवन से मुक्ति मिली है। मुमुक्षु भवन में एक बार में करीब एक महीने तक रहने की व्यवस्था दी जाती है। यहां रहना खाना सभी चीजे नि:शुल्क होती हैं। काशीवास करने आये वृद्धजन यहां नियमित कीर्तन भजन और बाबा के दर्शन करते हैं। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में इसके लिए तीन मंजिल का मुमुक्षु भवन बना है। भूतल प्लस दो मंजिल की ये इमारत 1161 वर्ग मीटर में निर्मित है। पहली मंजिल पर महिला एवं दूसरी मंजिल पर पुरुष दोनों के लिए अलग वार्ड है, जबकि पहली मंजिल पर पति पत्नी के साथ रहने की भी अलग से व्यवस्था है। ये इमारत पूर्व दिशा में गंगा की तरफ बढ़ने पर मंदिर चौक के बाद है। श्री काशी विश्वनाथ धाम के विस्तारीकरण और सौंदर्यीकरण से श्रद्धालुओं को बाबा का सुगम दर्शन होने लगा है। साथ ही धाम में धार्मिक, आध्यात्मिक व सामाजिक गतिविधियों के लिए कई भवनों का निर्माण हुआ है, जिसकी अलग-अलग उपयोगिता है।
वृद्धोंं की यहां होती है नि:शुल्क सेवा, प्रवास के भी नहीं लगते पैसे