फूंक रहे हैं सीवर सफाई पर प्रतिमाह 22 लाख


वाराणसी (काशीवार्ता)। सीवर सफाई की समस्या से प्रतिदिन जूझ रहे इस शहर के लिए जलकल के पास कोई कार्य योजना तैयार नहीं है। शिकायत दर्ज होने पर होती है कार्रवाई। मजे की बात यह भी है कि कार्रवाई कब तक होगी इसकी कोई मियाद नहीं होती। जबकि प्रतिमाह सीवर के नाम पर 22 लाख जलकल ठेकेदारों को देता है। बताया जाता है कि वर्ष 2009 में सीवर सफाई का कार्य नगर निगम से लेकर जलकल को शासन ने सौंप दिया था। इसके बाद जलकल ने 90 वार्डों को 5 जोन में बांटकर सीवर सफाई के लिए ठेकेदार नियुक्त कर दिया। इनसे सीवर सफाई का कार्य जलकल के जेई के माध्यम से कराने की कवायद की गई। यह कंट्रोल रूम में प्राप्त शिकायतों के आधार पर वार्ड में सफाई का काम कराते हैं। जानकारों ने बताया कि जब यह व्यवस्था नगर निगम के पास थी तब नगर स्वस्थ अधिकारी के स्तर पर पूरे 90 वार्डों की सीवर सफाई के लिए एक कार्य योजना तैयार की जाती थी, जिसमें बरसात के पूर्व प्रत्येक वार्ड की गली पिट मेनहोल, सीवर लाइन की सफाई कार्य योजना तैयार की जाती थी। प्रत्येक वार्ड के सेनेटरी इंस्पेक्टरों के नेतृत्व में संविदा के कर्मचारियों के सहयोग से कार्य कराया जाता था। सड़क की बड़ी सीवर की ट्रंक लाइनों को बकेट मशीन के सहयोग से साफ कराया जाता था। इसमें लगी एक बाल्टी मशीन के सहयोग से भारी मात्रा में सिल्ट निकालने का काम करती थी, जिससे बरसात में कहीं भी जलजमाव नहीं हो पाता था। अब स्थिति काफी बदल गई है। आज जलकल सीवर सफाई का कार्य तो कराता है, लेकिन उसके पास कोई कार्य योजना ना होने से कहीं भी पूरी तरह से सीवर लाइन की सफाई नहीं हो पाती। लिहाजा समस्या बनी रहती है। निगम सूत्रों ने बताया कि सीवर सफाई की समस्या को लेकर कई बार मिनी सदन में पार्षदों ने काफी हो हल्ला मचाया, सदन का बहिष्कार किया लेकिन समस्या आज भी जस की तस बनी है। शहर के विभिन्न वार्डों में सीवरों की सफाई व्यवस्था ठीक ढंग से ना होने से जनता बेहाल है। वहीं विभागीय से लेकर ठेकेदार तक इस व्यवस्था का जमकर लाभ उठा रहे हैं।