काबुल, : काबुल पर काबिज होने के बाद तालिबान ने भले ही कहा था कि वो बदला अभियान नहीं चलाएगा, लेकिन काबुल से आ रही रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि तालिबान अपने वादे से पूरी तरह मुकर चुका है और पूरे अफगानिस्तान में ‘गद्दारों’ और शिया मुसलमानों के खिलाफ खतरनाक अभियान चलाया जा रहा है। पश्चिमी देशों से मान्यता लेने की कोशिश करने वाले तालिबान ने अफगानिस्तान में हिटलर वाला अभियान शुरू कर दिया है।
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‘गद्दारों’ के खिलाफ तालिबान
अफगानिस्तान से आ रही रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान ने उन लोगों की तलाश करनी शुरू कर दी है, जिन्होंने या तो अफगानिस्तान सैनिकों की मदद की थी या फिर अमेरिकन सैनिकों की। ऐसे लोगों की तलाश के लिए तालिबानम ने हिटलर के नाजी स्टाइल में घर-घर सर्च ऑपरेशन चलाना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान ने उन सभी लोगों को मारने की बात कही है, जिन्होंने अफगान या अमेरिकन सैनिकों की मदद की थी। दरअसल, पिछले 20 सालों के दौरान अफगानिस्तान के हजारों लोगों ने अमेरिकन सैनिकों और अफगानिस्तान सैनिकों की तालिबान के खिलाफ मदद की थी। इनमें भारी संख्या में दुभाषिए और स्थानीय परिस्थितियों को समझने वाले लोग हैं, जिन्हें अलग करने और खत्म करने का अभियान तालिबान चला रहा है। तालिबान ने ऐसे लोगों को गद्दारों की श्रेणी में रखा है।
सरकार समर्थकों को निशाना
तालिबान ने ऐसे लोगों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है, जिन्होंने पिछले शासनकाल के दौरान सरकार का काफी साथ दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान में पिछले शासन से जुड़े लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। तालिबान अपनी भारी सशस्त्र नैतिक पुलिस के माध्यम से न तो बच्चों और न ही महिलाओं को बख्श रहे हैं। राजधानी में ब्यूटी पार्लर बंद कर दिए गए हैं, और महिलाओं के चेहरे वाले होर्डिंग और विज्ञापनों पर काला कर दिया गया है। गुरुवार को देश के स्वतंत्रता दिवस के रूप में पूर्वी शहर असदाबाद में तालिबान आतंकवादियों ने भीड़ पर गोलीबारी कर दी. जिसमें कई लोग मारे गए थे। तालिबान ने काबुल में एक रैली के पास हवाई फायरिंग भी की।
‘डोर टू डोर’ सर्च अभियान
रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान ने अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह से जुड़े लोगों को खास तौर पर खोजना शुरू कर दिया है, क्योंकि कई रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि अफगानिस्तान के पंजशीर घाटी में तालिबान के खिलाफ बहुत बड़ा बल तैयार हो रहा है। वहीं, पंजशीर घाटी में तालिबान के खिलाफ विरोधी दल का नेतृत्व करने वाले अहमद मसूद ने कहा है कि ”अशरफ गनी शासन से जुड़े लोगों को तालिबान के लोग सार्वजनिक तौर पर गोली मारकर बदला ले रहे हैं, वहीं कंधार में भारी हथियारों से लैस हक्कानी नेटवर्क के आतंकी घर-घर तलाशी अभियान चला रहे हैं”
अमेरिकी ‘लोगों’ को निशाना
संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी समूह तालिबान ने बड़े पैमाने पर अमेरिकी अत्याधुनिक हथियार जब्त कर लिए हैं और अब ऐसे हथियारों से अमेरिका समर्थित लोगों की हत्याएं की जा रही हैं। वहीं, ये आतंकी संगठन पाकिस्तान के जरिए अंतर्राष्ट्रीय मान्यता लेने की कोशिश कर रहा है। वहीं, चीन, रूस और ईरान जैसे देश पहले ही तालिबान के प्रति सरल व्यवहार दिखा चुके हैं। इन देशों का अमेरिका से छत्तीस का आंकड़ा है और माना जा रहा है कि तालिबान को मान्यता देकर ये देश जो बाइडेन को सबक सिखाना चाहते हैं।
तालिबान के पास लिस्ट
संयुक्त राष्ट्र ने इस संबंध में चौकाने वाली चेतावनी भी जारी कर दी है। यूनाइटेड नेशंस के विशेष सलाहकारों की एक सिक्रेट रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान के पास उन सभी मददगारों की लिस्ट है, जिन्होंने अमेरिका और अफगान सैनिकों की मदद की थी। ऐसे लोगों के लिए तालिबान ने अल्टीमेटम भी जारी किया है। तालिबान ने कहा है कि ऐसे लोग अगर खुद सरेंडर नहीं करते हैं, या सामने नहीं आते हैं, तो फिर तालिबान इनके परिवार के सदस्यों को मारना शुरू कर देगा। ऐसे में अब अमेरिका की मदद करने वाले लोगों की स्थिति काफी खराब हो गई है। वहीं, अमेरिका की तरफ से भी ऐसे लोगों की कोई खास मदद नहीं की जा रही थी। अमेरिकी की तरफ से आश्वासन देकर इन्हें छोड़ दिया गया।