निर्माण के बाद अब सड़कें ऊंची नहीं होंगी


वाराणसी(काशीवार्ता)। शहरवासियों को अब सड़क ऊंची मकान नीचे की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।अब पीडब्ल्यूडी नई तकनीक से सड़कों के निर्माण की योजना बना रहा है। इसमें सड़क की पुरानी परत को उखाड़ कर उसे रीसाइकल कर पुन: बिछाया जायेगा। इसके लिए विभाग रीसाइकल मशीन के उपयोग पर विचार कर रहा है। पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता केके सिंह ने बताया कि जब भी सड़क दुबारा बनती है तो वह ऊंची हो जाती है। फलस्वरूप किनारे के मकान और दुकान नीचे हो जाते हैं। इससे बरसाती पानी घरों में प्रवेश कर जाता है। बनारस में अनेक मुख्यमर्गो पर इस समस्या को देखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि लखनऊ मुख्यालय से रीसाइकल मशीन से सड़क निर्माण की बाबत बात हुई है, लेकिनइसमें सबसे बड़ी बाधा धन की है। उक्त मशीन की कीमत लगभग आठ नौ करोड़ है जिसे खरीदना छोटे ठेकेदार के वश की बात नहीं है। विभाग नियमानुसार उक्त मशीन को नहीं खरीद सकता। फिर भी समस्या के समाधान का प्रयास किया जा रहा है। ज्ञात हो कि पिछले दिनों काशी वार्ता ने शहर की इस समस्या को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। सर्किट हाउस कचहरी से लेकर नदेसर , अंधरापुल, सिगरा लहुराबीर, कबीरचौरा आदि इलाकों की सड़कें पिछले एक डेढ़ दशक में दो तीन फीट तक ऊंची हो गई है। इसके चलते लोगों के मकान दुकान आदि नीचे हो गए हैं।पिछले दिनों रविंद्रपुरी कॉलोनी में सड़क ऊंची होने का मुद्दा पीडब्ल्यूडी मंत्री जतिन प्रसाद के समक्ष उठा। मंत्री की फटकार के बाद फिर से सड़क को नीचा किया गया।
रोज नए कारनामे दिखा रहा लोक निर्माण विभाग
वाराणसी(काशीवार्ता)। पीडब्ल्यूडी विभाग के रोज नए नए कारनामें सामने आ रहे है।अभी रविंद्रपुरी कॉलोनी की सड़क ऊंची करने का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि शहर की कई सड़कों पर एक नया नजारा देखने को मिला। पांच जून को जब देश विदेश में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा था उसी दिन पीडब्ल्यूडी विभाग शहर के बचे खुचे पेड़ों का गला घोटने में लगा था।जी 20 की तैयारी के सिलसिले में सड़कों पर कोलतार बिछाते वक्त पीडब्ल्यूडी ने यह भी नहीं देखा कि पेड़ों की जड़ों तक कोलतार पहुंचने से पेड़ों का दम घुट जायेगा। पीडब्ल्यूडी की इस लापरवाही का नजारा फातमान रोड पर देखा जा सकता है। नियमत: पेड़ों के इर्दगिर्द कम से कम दो फीट की गोलाई में कोई निर्माण नहीं होना चाहिए। ऐसा इसलिए कि पेड़ों को आॅक्सीजन और बरसात में पानी मुकम्मल तरीके से मिलता रहे। बड़े शहरों में सरकारी विभाग इस नियम के प्रति सचेत रहते हैं, इसलिए वहां हरियाली कायम रहती है। अपने बनारस की तो हर बात निराली है। पीडब्ल्यूडी ने न केवल पेड़ों के इर्दगिर्द कोलतार बिछा दिया बल्कि वाल टू वाल कार्पेटिंग कर दी। इससे भूगर्भ जल रिचार्ज की संभावना भी जाती रही।
पेड़ों के इर्द गिर्द हवा व पानी के लिए जगह जरूरी
पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता केके सिंह ने काशीवार्ता से कहा कि पेड़ों को भी जीने का हक है। उनकी जड़ और तने के इर्दगिर्द खुली जगह होनी चाहिए ताकि उन्हें हवा पानी मिल सके। अगर ठेकेदार ने इसका ध्यान नहीं रखा तो यह गलत है। वे इसकी जांच कराएंगे। उन्होंने कहा कि पीडब्ल्यूडी ने सर्किट हाउस सहित कई सड़कों पर पौधरोपण किया है। विभाग पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति सचेत है। कहा कि फातमान रोड पर बड़ी संख्या में पेड़ लगाने के लिए वे वन विभाग से बात करेंगे।