केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद जम्मू कश्मीर को लेकर कोई भी बैठक हुई हो और उसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता है। यह माना जा रहा है कि भाजपा के केंद्र में आने के बाद से ही जम्मू-कश्मीर की स्थिति को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार होने के नाते अजीत डोभाल ही मॉनिटर करते रहे हैं। ऐसी स्थिति हमने आर्टिकल 370 के हटने के वक्त भी देखा था। जब आर्टिकल 370 हटाए जाने की सुगबुगाहट हो रही थी उस समय अजीत डोभाल भी काफी सक्रिय थे। जानकार अभी भी यही बताते हैं कि आर्टिकल 370 के हटाए जाने को लेकर जितने भी प्लान बने उसमें अजीत डोभाल की राय सबसे प्रमुख रही। कुल मिलाकर हम यह जरूर कह सकते हैं कि कश्मीर को लेकर मोदी सरकार की हर मर्ज की दवा अजीत डोभाल ही हैं। आर्टिकल 370 के हटाए जाने से पहले और उसके बाद जिस तरीके से अजीत डोभाल सक्रिय रहें। इससे इस बात का तो अंदाजा भली-भांति लगाया जा सकता है कि वर्तमान सरकार में उनकी क्या उपयोगिता है। अगर हम यह कहे कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे भरोसेमंद व्यक्तियों में से एक हैं तो इसमें दो राय नहीं होगी। आमतौर पर अब तक हमने यही देखा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नेपथ्य में ही रहकर ही सरकार को सलाह देने का काम किया करते थे। लेकिन अजीत डोभाल के मामले में फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा है। कश्मीर से आर्टिकल 370 के हटने के बाद से ही अजीत डोभाल सार्वजनिक होते रहे हैं। उन्होंने लोगों से मिलने जुलने की भी शुरुआत कर दी। 1968 बैच के केरल कैडर के अजीत डोभाल कश्मीर से आर्टिकल 370 के हटने के पहले से ही वहां सक्रिय हो गए थे। उन्हीं के कहे अनुसार वहां सैन्य कर्मियों की भी अतिरिक्त तैनाती की गई थी। जब कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाई गई तब अजीत डोभाल ने शुरुआत के दिनों में पूरे 1 पखवारे तक वहां कैंप किया। इसी दौरान उनकी वह तस्वीर भी खूब वायरल हुई जब वह तनावग्रस्त इलाकों में से एक शोफियां में स्थानीय लोगों के साथ बिरयानी खाते दिखाई दिए। इतना ही नहीं उनके जम्मू कश्मीर पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों के साथ बात करते हुए वीडियो भी वायरल हुए। इन सब से इस बात का एहसास सभी को हो रहा था कि कश्मीर को लेकर अजीत डोभाल कितने सक्रिय हैं।