चीन के खिलाफ बड़े कदम उठा सकता है अमेरिका : मैकनेनी


वाशिंगटन। अमेरिका और चीन के बीच कोरोना वायरस को लेकर विवाद तो चल ही रहा था, वहीं अब हांगकांग में नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून ने भी दोनों देशों के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। अमेरिका ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह उस पर बड़ी कार्रवाई करने जा रहा है, लेकिन यह बात सामने नहीं आई है कि वह बीजिंग को किस तरह सबक सिखाएगा। व्हाइट हाउस ने इस बात की जानकारी दी है। कोरोना वायरस महामारी के सामने आने के बाद से अमेरिका और चीन के रिश्तों में कड़वाहट बढ़ गई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोविड-19 प्रकोप को संभालने को लेकर चीन को निशाने पर लेते रहे हैं। उन्होंने तो कोरोना को चीनी वायरस की संज्ञा तक दे दी थी। गौरतलब है कि, इस वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका ही है। इन दोनों देशों के बीच हांगकांग में लाए गए विवादित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लेकर भी तनातनी है। इसके अलावा चीन में अमेरिकी पत्रकारों के जाने पर प्रतिबंध, उइगुर मुस्लिमों के खिलाफ अत्याचार और तिब्बत में सुरक्षा, ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें लेकर अमेरिका और चीन के बीच काफी तनाव है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कायले मैकनेनी ने संवाददाताओं से कहा, चीन पर उठाए जाने वाले कदमों को लेकर मैं राष्ट्रपति के बयानों से ज्यादा नहीं बता सकती हूं। लेकिन जल्द ही आप चीन पर उठाए जाने वाले कदमों के बारे जानेंगे। इस बात की मैं पुष्टि कर सकती हूं। मैकनेनी व्हाइट हाउस चीफ आॅफ स्टाफ, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और राज्यों के सचिव सहित शीर्ष प्रशासन के अधिकारियों द्वारा हाल ही में दिए गए बयानों पर एक सवाल का जवाब दे रही थी। इन बयानों में इस बात को लेकर इशारा किया जा रहा था कि राष्ट्रपति आने वाले दिनों में चीन के खिलाफ कड़े कदम उठा सकते हैं। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ’ब्रायन ने संवाददाताओं से कहा, चीन ने हांगकांग पर कब्जा कर लिया है।
ओ’ब्रायन हाल ही में, चीन द्वारा लाए गए नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की ओर इशारा कर रहे थे, जिसे ब्रिटेन की पूर्व कॉलोनी पर चीन ने थोपा है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि आप आने वाले दिनों में चीन पर उठाए जाने वाले कुछ कड़े कदमों को देखेंगे। अमेरिका के इतिहास में कोई भी ऐसा राष्ट्रपति नहीं रहा जो डोनाल्ड ट्रंप की तरह चीन के खिलाफ खड़ा हो। वह व्यापार असंतुलन को रोकने के लिए चीन पर भारी टैरिफ लगाने वाले पहले राष्ट्रपति हैं।