22 अक्टूबर को डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडन के बीच तीसरी प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान बहस के संचालक ने जो बाइडेन से पूछा कि कोरोना वायरस पर चीन के पारदर्शिता न दिखाने पर वो चीन को किस तरह सज़ा देंगे?
बाइडेन ने जवाब दिया, ”चीन को दंडित करने के लिए मैं अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार कार्रवाई करूंगा. चीन को भी अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार ही चलना होगा.”
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन पर कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारियाँ छुपाने और इसे दुनियाभर में फैलने देने का आरोप लगाते रहे हैं. चीन इन आरोपों को ख़ारिज करता रहा है.
अमरीका में कोरोना वायरस से 2,30,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. अमरीकी अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान हुआ है.
अमरीका की डेलावेयर यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान इस बयान को भ्रामक मानते हैं.
उन्होंने कहा, ”बहस से पहले भी विदेश मामलों के जानकारों में ये राय थी कि बाइडन चीन को लेकर कमज़ोर है.”
ट्रंप पर आरोप है कि उन्होने शुरुआत में चीन को रिझाने की कोशिश की और कोरोना वायरस के बाद वो प्रतिबंधों और कार्यकारी आदेशों की इकतरफ़ा नीति पर चले.प्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान
प्रोफ़ेसर ख़ान कहते हैं, ”चीन न सिर्फ़ अमरीकी वर्चस्व को चुनौती दे रहा है बल्कि अंतरराष्ट्रीय नियमों और व्यवस्था को भी चुनौती दे रहा है. अगर बाइडन के बयान को देखें तो ऐसा लगेगा कि चीन एक नियमों का पालन करने वाला देश है और उसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए.’
मुक़्तधर ख़ान के मुताबिक़, जो बाइडन की विदेश नीति का ये कमज़ोर पक्ष है कि वो चीन पर कार्रवाई करने को लेकर हिचक रहे हैं.
अमरीका और चीन के संबंधों में कई मुद्दों को लेकर गिरावट आई है. जैसे, कोरोना महामारी को लेकर चीन का रुख, तकनीक, हांगकांग, व्यापार, दक्षिण चीन सागर, वीगर मुसलमान, टिकटॉक, ख़्वावे, जासूसी और साइबर धमकियाँ.
पीईडब्ल्यू (प्यू) के एक शोध के मुताबिक दो तिहाई अमरीकी चीन को लेकर नकारात्मक विचार रखते हैं.
बोस्टन यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफ़ेसर आदिल नजम कहते हैं, ”अमरीकी विदेश नीति में मुद्दा नंबर एक, मुद्दा नंबर दो और मुद्दा नंबर तीन, सब चीन ही है.”
लेकिन अभी ये स्पष्ट नहीं है कि चीन पर आक्रामक होने से वोट मिलेंगे या नहीं, वो भी तब जब घरेलू मुद्दों की कोई कमी ही न हो.
2017 में जारी अमरीका की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में चीन का ज़िक्र 33 बार किया गया है.
इस दस्तावेज़ में कहा गया है, ”चीन और रूस अमरीकी ताक़त, प्रभाव और हितों को चुनौती देते हैं और उसकी सुरक्षा और संपन्नता को ख़त्म करने का प्रयास करते हैं. चीन और रूस एक ऐसी दुनिया का निर्माण करना चाहते हैं जो अमरीकी मूल्यों और हितों के उलट हो.”
प्रांतों के गवर्नरों को फ़रवरी में दिए गए भाषण में अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने चीन की से पेश संभावित ख़तरों का ज़िक्र किया था.
उन्होंने कहा था, ”चीन ने हमारी कमज़ोरियों का विश्लेषण किया है. उसने हमारी स्वतंत्रताओं का फ़ायदा उठाने का फ़ैसला किया है ताकि वो संघीय स्तर पर, प्रांतीय स्तर पर और स्थानीय स्तर पर हमसे आगे निकल सके.”
ट्रंप प्रशासन ने चीन के ख़िलाफ़ समर्थन जुटाने के लिए वैश्विक अभियान शुरू किया है. ट्रंप बार-बार ये कहते रहे हैं कि बाइडन चीन को लेकर नरम हैं.
अगर जो बाइडन राष्ट्रपति बनते हैं तो उनका रुख क्या होगा? क्या बाइडेन भी ट्रंप की ही तरह चीन के कारोबार पर अधिक टैक्स लगा सकेंगे और दूसरे क़दम उठा सकेंगे?वो कारोबार, मानवाधिकार, जलवायु परिवर्तन, हांग कांग और कोरोनावायरस के मुद्दे पर चीन से कैसे निबटेंगे?