अमरीका चुनाव: ट्रंप और बाइडन के अलावा वो उम्मीदवार जो मैदान में हैं


ब्रॉक पियर्स, मार्क चार्ल्स और जेड सिमन्स, ये सभी अमरीका के राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ रहे हैं

अमरीका में 230 साल से ज्यादा वक्त से राष्ट्रपति बन रहे हैं, लेकिन केवल पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन ही ऐसे एकमात्र शख्स रहे हैं जो निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुने गए थे.

अमरीकी राजनीति के दो शिखर हैं. एक रिपब्लिकन पार्टी और दूसरी डेमोक्रेटिक पार्टी. चुनावों के वक्त पूरी मीडिया कवरेज और कैंपेन डोनेशनों पर इन दोनों पार्टियों का दबदबा इतना ज्यादा रहता है कि किसी बाहरी शख्स के जीतने के आसार तकरीबन नामुमकिन हो जाते हैं.

लेकिन, वे लोग कैसे मिजाज वाले होते हैं जो कि इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी यह सोचते हैं कि मुझे तो हर हाल में चुनाव लड़ना है?

9 अक्टूबर तक ऐसे लोगों की संख्या 1,216 थी जो कि ऐसा दमखम दिखाने के लिए अड़े हुए थे. हालांकि, इन सबका गंभीरता का स्तर अलग-अलग था. इन लोगों ने राष्ट्रपति पद की दौड़ में हिस्सा लेने के लिए फेडरल इलेक्शन कमीशन के यहां पर्चे दाखिल किए हैं.

बीबीसी ने इनमें तीन उम्मीदवारों से बात की है. इनमें से एक कॉन्सर्ट पियानिस्ट और मॉटीवेशनल स्पीकर हैं, एक अमरीकी मूल के ही आईटी टेक्नीशियन और एक क्रिप्टो अरबपति हैं.

अमरीकी केवल मौजूदा दो विकल्प देखेगें और ये पसंदीदा नहीं हैंजेड सिमन्स

जेड सिमन्स एक बहुआयामी व्यक्तित्व वाली महिला हैं. वे पूर्व ब्यूटी क्वीन, प्रोफेशनल कॉन्सर्ट पियानिस्ट, मॉटीवेशनल स्पीकर, रैपर, मां और एक विधिवत रूप से नियुक्त की गई पादरी हैं.

वे खुद को एक गैर-पारंपरिक उम्मीदवार मानती हैं. लेकिन वे ये भी कहती हैं, “ये एक असाधारण वक्त भी तो है.”

वे कहती हैं, “मैं एक सिविल राइट्स एक्टिविस्ट की बेटी हूं. मेरे पिता ने मेरी इस तरह से परवरिश की है कि अगर आप कहीं अन्याय देखते हैं, तो आप खुद से पूछें कि क्या आपको इस मौके पर खड़ा होना चाहिए.”

वे कहती हैं कि उनका मकसद आर्थिक, शैक्षिक और क्रिमिनल जस्टिस रिफॉर्म्स के जरिए एक बराबरी के मौकों वाला माहौल तैयार करना है. इसी भावना के साथ उनका मकसद “देश के इतिहास का सबसे कम खर्चीला कैंपेन चलाना है.”

सिमन्स कहती हैं, “मेरे हिसाब से बेहद घृणित बात है कि राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए तकरीबन एक अरब डॉलर की पूंजी चाहिए होती है, जबकि योग्यता यह है कि आप 35 साल के हों, एक अमरीका में पैदा हुए शख्स हों और यहां 14 साल से रह रहे हों. हम यह पैसा लोगों की मदद पर खर्च कर सकते हैं.”

तो वे लिबरल हैं या कंजर्वेटिव?

वे कहती हैं, “यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किससे पूछ रहे हैं. बर्नी ब्रदर्स से लेकर कंजर्वेटिव ईसाई पादरियों तक तमाम लोग हमारी नीतियों को पसंद कर रहे हैं.” वे कहती हैं कि एक मंत्री और धर्म से जुड़े एक शख्स के तौर पर उनका बैकग्राउंड यह नहीं दिखाता है कि वे कंजर्वेटिव हैं.

वे कहती हैं, “मुझे लगता है कि जीसस हमारे इतिहास के सबसे रैडिकल लोगों में से एक थे. और मुझे लगता है कि अगर आप उनके काम करने के तरीके को देखें तो आप शायद उन्हें प्रोग्रेसिव कहेंगे.”

जेड के लिए अपने कैंपेन की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि लोग बस ये जान जाएं कि वे भी अस्तित्व रखती हैं.

“ऐसे वक्त में जबकि ब्लैक लाइव्स मैटर और काले लोगों की आवाज मायने रखती है जैसे आंदोलन चल रहे हैं. इन्हें लेकर मीडिया जमकर लिख रहा है, इसके बावजूद ब्लैक मीडिया समेत मेरे बारे में बताने के लिए कोई राजी नहीं है.”

हालांकि, रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों के नाम हर राज्य में मतपत्र पर होंगे, लेकिन निर्दलीयों के लिए इसके लिए कई तरह की शर्तें हैं.

सिमन्स का नाम ओक्लाहामा और लुइसियाना में मतपत्र पर होगा, लेकिन 31 दूसरे राज्यों में उन्हें एक राइट-इन कैंडिडेट के तौर पर दर्ज किया गया है. इसका मतलब है कि अगर वोटर उनका नाम लिखकर देते हैं तो ही उनका वोट गिना जाएगा.

वे इन विपरीत चीजों को समझती हैं. इसके बावजूद वे मानती हैं कि वे राष्ट्रपति बनने में कामयाब रहेंगी. भले ही ऐसा इस साल न हो, फिर कभी हो.

‘मैंने सेवा करते हुए जिंदगी गुजारने का फैसला किया है’ब्रॉक पियर्स

ब्रॉक पियर्स एक बाल कलाकार रहे हैं. लेकिन, उनका दूसरा करियर टेक आंत्रप्रेन्योर के तौर पर रहा है. वे शायद एक क्रिप्टो करेंसी अरबपति भी हैं.

वे राष्ट्रपति क्यों बनना चाहते हैं? इसकी आंशिक वजह यह है कि वे देश के मौजूदा हालात को लेकर बेहद चिंतित हैं.

वे कहते हैं, “मुझे लगता है कि हमारे पास भविष्य के लिए कोई विजन ही नहीं है. हम 2030 में किस तरह की दुनिया में रह रहे होंगे. हम कहां जाना चाहते हैं. आपके पास कुछ मकसद होना चाहिए. मुझे लगता है कि ज्यादातर एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने का ही काम हो रहा है. बहुत कम लोग ऐसे हैं जो बड़े बदलावों वाले आइडियाज दे रहे हैं. माहौल बेहद खराब है. मेरे पास एक प्लान है.”

गुजरे चार साल से पियर्स पोर्टो रिको में सामाजिक कामों पर फोकस कर रहे हैं. हाल में ही उनके फाउंडेशन ने लाखों डॉलर की पूंजी जुटाई है ताकि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ रहे लोगों को पीपीई किट्स दी जा सकें.

अगले चार साल तक अमरीका की प्राथमिकताएं क्या होनी चाहिए? इस पर वे कहते हैं कि देश को महज नाम के लिए ग्रोथ करने के रास्ते पर नहीं चलना चाहिए. वे कहते हैं कि इसकी बजाय अच्छी जिंदगी बनाने, आजादी और खुशियां हासिल करने पर फोकस होना चाहिए.’फर्स्ट किड’ मूवी में ब्रॉक पियर्स (बायें)

राजनीतिक तौर पर पियर्स से जीतना मुश्किल है. रोलिंग स्टोन ने उन्हें क्रिप्टो करेंसी का हिप्पी किंग बताया है. वे गांजे को कानूनी मान्यता देने की मांग करते हैं. वे फोर्ब्स की अमीरों की लिस्ट में रखे जाने से इतने दुखी थे कि उन्होंने अपने पहले एक अरब डॉलर दान देने का ऐलान कर दिया था.

उनका व्यक्तिगत आजादी को लेकर मजबूत भरोसा है और वे रिपब्लिकन उम्मीदवारों को हजारों डॉलर दान दे चुके हैं.

“जिस तरह से मुझमें लिबरल झुकाव है उसी तरह से मेरे अंदर कंजर्वेटिव रुझान भी है. मुझे लगता है कि अब सामूहिक रूप से सोचने का वक्त आ गया है क्योंकि हर तरह की विचारधाराएं हमें कुछ न कुछ जरूर सिखाती हैं.”

39 साल के पियर्स की जिंदगी विवादों से अछूती नहीं रही है. जब वे 19 साल के थे तब तीन पुरुष एक्टरों ने उन पर सेक्शुअल असॉल्ट का आरोप लगाया था. पियर्स ने इनकार कर दिया था कि उन्होंने कुछ भी गलत किया है.

आरोप लगाने तीनों लोगों ने अपने केस वापस ले लिए और उन्हें कभी निजी मुआवजा भी नहीं मिला. लेकिन, इस घटनाक्रम की बातें सुर्खियां बन रही हैं और उनके लिए राष्ट्रपति पद की दौड़ इससे चुनौतीभरी हो गई है.

फेडरल इलेक्शन कमीशन के आंकड़ों से पता चलता है कि ब्रॉक पियर्स ने अपने कैंपेन पर 37 लाख डॉलर खर्च किए हैं.

लेकिन, अगर वे नहीं जीत पाए तो? पियर्स कहते हैं कि उनके पास दूसरी योजना भी है. वे कहते हैं, “मुझे लगातार न्यू यॉर्क और मिनेसोटा के गवर्नर के लिए लड़ने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है. मैं जहां भी जाता हूं लोग कहते हैं कि ब्रॉक आप ही चीजें दुरुस्त कर सकते हैं.”

‘जिन चीजों पर इस देश की बुनियाद रखी गई थी उन्हें बदलना होगा’मार्क चार्ल्स

निर्दलीय उम्मीदवारों के पक्ष में एक बात यह है कि उन्हें प्लेटफॉर्म हासिल करने के लिए किसी पार्टी के बहुसंख्यकों को खुश नहीं करना पड़ता है. वे अपने बूते लड़ते हैं और जिन मसलों को वे निजी तौर पर ठीक समझते हैं उन्हें लेकर आगे बढ़ते हैं.

मार्क चार्ल्स इसका बड़ा उदाहरण हैं.

प्रोफेशनल तौर पर वे एक कंप्यूटर प्रोग्रामर के तौर पर काम करते हैं और टेक सपोर्ट देते हैं. लेकिन, वे एक दृढ़निश्चयी सोशल जस्टिस कैंपेनर भी हैं जो कि मूल अमरीकियों और हर तरह की आबादी पर असर डालने वाले मसलों पर बोलते हैं.

उनका मकसद ऐसे वोटर्स के लिए एक वैकल्पिक कैंडिडेट बनना है जो कि ट्रंप या बाइडन की राय से इत्तेफाक नहीं रखते हैं.

चार्ल्स नावाजो विरासत से आते हैं. इसी पहचान ने उनकी उम्मीदवारी को शक्ल दी है और उनके अमरीका को लेकर विचारों को तय किया है.

जिस जमीन पर वॉशिंगटन डीसी का निर्माण किया गया है वह पिसाटावे लोगों की थी.

वे कहते हैं, “ये कोलंबस के समुद्र में रास्ता भटक जाने से बहुत पहले से उनकी जमीन थी. मैं उनकी जमीन पर रहने को लेकर शुक्रगुजार हूं.”

2000 के दशक की शुरुआत में चार्ल्स अपने परिवार समेत जाकर नावाजो रिजर्वेशन के एक दूर-दराज के घर में बस गए. वे कहते हैं, “क्योंकि मैं जीवन के एक पारंपरिक तरीके को अपनाना चाहता था.” मैं यहां 11 साल रहूंगा.मार्क चार्ल्स

परिवार ने इस दूर-दराज की कम सुविधा वाली जिंदगी को जीने के लिए खुद को तैयार किया. लेकिन, उन्होंने इस बात का अंदाजा नहीं लगाया था कि वे खुद को कितना अलग-थलग महसूस करेंगे.

वे कहते हैं, “गैर-मूल निवासियों के जो समूह हमने इन रिजर्वेशन में देखे वे ऐसे थे जो कि या तो हमारी तस्वीरें लेने आते थे या वहां चैरिटी करने आते थे. ऐसा कोई शायद ही आया हो जो कि हमारे साथ रिश्ते बनाना चाहता हो.”

“इसके साथ ही हम अपने लोगों के साथ ऐतिहासिक रूप से हुए अन्याय को भी देख रहे थे. मैं खुद को असुरक्षित और आक्रोशित महसूस कर सकता था.” उन्होंने खुद से वादा किया कि वे दूसरों को लेकर नफरत रखने की बजाय लोगों से जुड़ेंगे और लोगों में एक समझ विकसित करेंगे.

वे वास्तविकता में एक समावेशी और आधुनिक अमरीका बनाना चाहते हैं जिसमें गैर-बराबरी की कोई जगह न हो.

वे कहते हैं, “हमारा संविधान वी द पीपुल..के साथ शुरू होता है और इसमें महिलाओं का कोई जिक्र नहीं है. खासतौर पर इसमें मूल निवासियों को बाहर रखा गया है और इसमें अफ्रीकियों को एक शख्स का तीन बटा पांच शख्स माना गया है.”

उनका कैंपेन इसी से जुड़ा हुआ है. वे कहते हैं कि अगर हम चाहते हैं कि यह देश लोगों का हो तो हमें नस्लीयता, लिंगभेद और श्वेत श्रेष्ठता जैसी जिन चीजों पर इस देश की बुनियाद रखी गई है उन्हें बदलना होगा.