वाशिंगटन। दुनियाभर में कोरोना संक्रमण के कारण भयावह होते हालातों के बीच अमेरिका से एक सुकून देने वाली खबर आई है। अमेरिका में अब 12 से 15 साल के किशोरों को भी कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी। अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने 12 से 15 साल के किशोरों को फाइजर-बायोएनटेक की कोरोना वैक्सीन का आपातकालीन टीका लगाने की मंजूरी प्रदान कर दी है। एफडीए ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि आज अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने कोरोनो वायरस की रोकथाम के लिए फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण का विस्तार किया। अब इसमें 12 से 15 साल के किशोरों को शामिल किया गया है।
एफडीए के कार्यकारी आयुक्त जेनेट वुडकॉक ने इस कदम को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि बच्चों के माता-पिता और अभिभावक इस बात के लिए आश्वस्त हो सकते हैं कि हमने सभी उपलब्ध डेटा की कठोर और गहन समीक्षा के बाद ही वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दी है। एफीडीए का कहना है कि फाइजर-बायोएनटेक की कोविड-19 वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। ट्रायल में 12-15 साल के 2000 से अधिक वॉलंटियर्स को वैक्सीन दी गई थी। टेस्ट के डेटा में पाया गया कि वैक्सिनेशन के बाद इन बच्चों में कोरोना संक्रमण का कोई केस नहीं मिला। वहीं, कंपनी दावा है कि उसकी वैक्सीन 100 फीसदी असरदार है। 18 साल के लोगों की तुलना में 12 से 15 साल की उम्र के जिन बच्चों को वैक्सीन की डोज दी गई, वो कोरोना से संक्रमित नहीं हुए।
भारत में भी तीसरी संभावित लहर को लेकर डॉक्टरों ने अंदेशा जताया है कि इस दौर में बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। इस लिहाज से फाइजर की वैक्सीन पर बात आगे बढ़ती है तो भारत के लिए ये अच्छा कदम हो सकता है। उधर मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में कैडिला भी 12 साल से अधिक उम्र के किशोरों के लिए कोरोना वैक्सीन लाने पर काम कर रही है। बताया जा रहा है कि अहमदाबाद की कंपनी ने बच्चों पर वैक्सीन का फेज-3 ट्रायल भी किया है, ऐसे में अगर इसे मंजूरी मिलती है तो भारत में टीकाकरण में इस्तेमाल होने वाली चौथी वैक्सीन हो सकती है। इससे पहले सीरम की कोविशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और रूस की स्पूतनिक-वी को इमरजेंसी यूज की मंजूरी दी गई है।