अनुष्का शर्मा-विराट कोहली और एक जीत की कहानी


विराट कोहली के लिए ये शनिवार ख़ास था.

बल्लेबाज़ी का स्टाइल ख़ास. चेहरे पर मुस्कुराहट ख़ास.

खुशी जाहिर करने का स्टाइल ख़ास और चेन्नई के ख़िलाफ़ मिली जीत भी ख़ास.

रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के कप्तान विराट कोहली ने शनिवार को आईपीएल-13 का अपना सबसे बड़ा स्कोर (नाबाद 90 रन) बनाया. उनकी कप्तानी में बैंगलोर ने चेन्नई सुपर किंग्स पर अब तक की सबसे बड़ी जीत (37 रन से) हासिल की.

रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के फैन्स ने इस ‘बहुत ख़ास’ प्रदर्शन की एक ‘ख़ास’ वजह खोज ली.

फैन्स के मुताबिक विराट कोहली के ‘स्पेशल शो’ का क्रेडिट अगर किसी को मिलना चाहिए तो वो हैं अनुष्का शर्मा. विराट कोहली की पत्नी.

अनुष्का शनिवार को दुबई में हुए मैच के दौरान मैदान में मौजूद थीं. बैंगलोर और विराट कोहली के एक फैन ने दावा किया कि जैसे ही ब्रॉडकास्टर के कैमरे ने अनुष्का को दिखाया, मैच की सूरत 180 डिग्री तब्दील हो गई.

हालांकि, मैच का रुख बदलने में अनुष्का शर्मा की मौजूदगी प्रेरणा की कितनी वजह बनी ये किसी के लिए भी बता पाना मुश्किल होगा, लेकिन ये सच है कि बैंगलोर और विराट कोहली की पारी के दौरान शनिवार को दो तरह के अंदाज़ दिखे.

बैंगलोर की टीम ने 16 ओवर में सिर्फ़ 103 रन बनाए थे. तब विराट कोहली के बल्ले से 30 गेंदों में 34 रन निकले थे. लेकिन अगली 22 गेंदों में विराट ने 56 रन बना दिए और कुल 52 गेंदों पर नाबाद 90 रन तक पहुंच गए तो आखिरी चार ओवर में बैंगलोर की टीम 66 रन जोड़कर 169 रन के स्कोर तक पहुंच गई.

दुबई के असमान उछाल वाले विकेट पर ये स्कोर अच्छा बताया गया. विराट कोहली और बैंगलोर के फैन्स का तर्क है कि जब विराट कोहली की नाकामी के लिए अनुष्का पर सवाल उठाए जाते हैं तो इस जबरदस्त प्रदर्शन के लिए उन्हें क्रेडिट क्यों नहीं मिलना चाहिए?

बहरहाल, जीत का क्रेडिट विराट कोहली के खाते में दर्ज हुआ और उनकी टीम को मिल गए दो अंक.

हर रोल में हिट विराट

बल्ले से धमाल करने के बाद विराट कोहली ने कप्तानी के मोर्चे पर भी कमाल किया.

टीम में क्रिस मॉरिस को शामिल करने का फ़ैसला सही साबित हुआ. उन्होंने सिर्फ़ 19 रन देकर तीन विकेट झटके. सिर्फ 16 रन देकर दो विकेट लेने वाले वॉशिंगटन सुंदर भी कप्तान की उम्मीदों पर खरे उतरे.

छह मैच में चार जीत के साथ विराट कोहली की टीम अंक तालिका में चौथे नंबर पर है.

चेन्नई पर मिली बड़े अंतर की जीत ने उनका रन रेट भी बेहतर किया है.

खो गया मैजिक?

दूसरी तरफ, हर जगह और हर मैच में ख़ास करने की उम्मीद जगाते रहे महेंद्र सिंह धोनी एक बार फिर फेल हो गए.

हालांकि, बैंगलोर की पारी के 16 ओवरों तक धोनी का हर दांव कामयाब दिख रहा था. एबी डिविलियर्स और एरोन फिंच जैसे दिग्गज बल्लेबाज़ उनकी रणनीति से चित हो चुके थे.

शार्दुल की गेंद पर डिविलियर्स का कैच तो ख़ुद धोनी ने ही थामा था लेकिन आखिरी चार ओवरों में विराट कोहली और शिवम दुबे ने उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया.

भरपाई बल्ले से हो सकती थी लेकिन धोनी एक बार फिर नाकाम रहे. वो छह गेंदों में सिर्फ़ 10 रन ही बना सके. टीम का कोई और बल्लेबाज़ ऐसा प्रदर्शन नहीं कर सका जिससे बैंगलोर को चुनौती दी जा सके.

कप्तानी का कार्तिक स्टाइल

क्रिकेट में किसी खिलाड़ी के बारे में राय बदलने के लिए दो मैच काफी हैं. कोलकाता नाइट राइडर्स के कप्तान दिनेश कार्तिक इसकी गवाही दे सकते हैं.

सिर्फ़ दो मैच पहले तक कार्तिक केकेआर पर बोझ बताए जा रहे थे. कार्तिक का बल्ला खामोश था और उनकी कप्तानी पर सवाल उठ रहे थे. सुनील गावस्कर जैसे दिग्गज तक ने उनकी जगह इयॉन मोर्गन को कप्तानी देने का सुझाव दे दिया था.

लेकिन अब दो मैचों ने कार्तिक की मानो दुनिया ही बदल दी है और उनकी कप्तानी ने तो हर किसी को हैरान कर दिया है.

कार्तिक ने शनिवार को किंग्स इलेवन पंजाब के मुंह से जीत का निवाला छीन लिया. ऐसा ही कुछ उन्होंने बुधवार को चेन्नई के साथ किया था.

कार्तिक ने इन दो जीत के साथ कप्तानी का नया अंदाज़ पेश किया है. अमूमन दूसरे कप्तान विरोधी टीम पर शुरुआत से दबाव बनाते हैं जबकि कार्तिक मैच के आखिरी लम्हों में बल्लेबाज़ों को एक-एक रन के लिए तरसाने की रणनीति आजमा रहे हैं.

पंजाब और चेन्नई के ख़िलाफ़ ये रणनीति कारगर हो चुकी है. चेन्नई ने 10 ओवर तक मैच पर पकड़ बनाने के बाद घुटने टेक दिए तो पंजाब की टीम 15 ओवर तक जीत के रास्ते पर बढ़ते-बढ़ते आखिरी पांच ओवर में रास्ता भटक गई.

कोलकाता के लिए अच्छी बात ये है कि पंजाब के ख़िलाफ़ शनिवार को कार्तिक का बल्ला भी बोल उठा. उन्होंने सिर्फ़ 29 गेंदों में 58 रन की पारी खेली. उन्हें मैन ऑफ़ द मैच भी चुना गया.

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