किसानों की आत्मनिर्भरता के लिए की परिचर्चा


वाराणसी (काशीवार्ता)। भारत सरकार के जैव प्रोद्योगिकी विभाग द्वारा वित्तपोषित एवं फॉर्ड फाउंडेशन व भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी की ओर से संचालित बॉयोटेक-किसान परियोजना के लिए चयनित चार जिलों में से एक वाराणसी के बंगालीपुर, भिखारीपुर, जोगापुर, चित्तापुर आदि गांवों का काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं फॉर्ड फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर पंजाब सिंह के नेतृत्व में विशेषज्ञ सदस्यों की टीम ने 25 सिंतबर को किसानों के लिए फील्ड विजिट व किसान गोष्ठी में उनके साथ परिचर्चा की। भारत सरकार द्वारा बॉयोटेक किसान परियोजना के माध्यम से किसानों को खेती के दौरान बीज शोधन व विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों के विषय में विस्तृत जानकारी साझा की गई। इस क्रम में कृषि विज्ञान संस्थान, बीएचयू के पूर्व निदेशक प्रो. शिवराज सिंह, भारतीय सब्जी अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक डा. नीरज सिंह, बीएचयू के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं परियोजना के सह अन्वेषक डा. संतोष कुमार सिंह, फॉर्ड फाउंडेशन के ट्रस्टी डा. उमेश सिंह व दशरथ सिंह, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के जन सम्पर्क अधिकारी डा. राजेश सिंह, कृषि विज्ञान केंद्र, कल्लीपुर के प्रमुख डा. नरेंद्र रघुबंशी, डॉ. समीर पांडेय सहित अन्य लोगों ने किसानों से संवाद किया और उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों का समाधान भी किया। वैज्ञानिकों की टीम ने सर्वप्रथम बंगालीपुर गांव का निरीक्षण किया। इस अवसर पर प्रो. पंजाब सिंह ने किसान भाइयों से कहा कि पूरा देश किसानों पर ही निर्भर है। इस दृष्टिकोण से आप की जिम्मेदारी है कि आप बीजों की अच्छी प्रजातियों का चुनाव करें, खेती को बहुत अच्छे व तकनीकी ढंग से करें। बीज उत्पादन के क्षेत्र में आगे बढ़ने का प्रयास अत्यधिक लाभदायक सिद्ध होगा। इस माध्यम से रोजगार का सृजन करके आत्मनिर्भर हुआ जा सकता है। प्रो. सिंह ने कहा कि किसानों को खेती के अलावा और भी अन्य कृषि कार्यो में अपनी भागीदारी करनी चाहिए जैसे मछली पालन, कुक्कुट पालन, बकरी पालन, मशरुम उत्पादन आदि जिससे किसानों की आमदनी बढ़ पाए और जीवन स्तर में सुधार हो सके। प्रो. शिवराज सिंह ने कहा कि”खेती हमारी पहचान है” और हमें अपनी पहचान को और आगे ले जाना है। उन्होंने संतुलित खेती करने पर जोर दिया। वैज्ञानिक डा. नीरज सिंह नें फसल सुरक्षा पर चर्चा करते हुए किसानों को सब्जी उत्पादन में फसल सुरक्षा के दृष्टिकोण से सलाह प्रदान की और कहा कि गांवों में सबसे बड़ी समस्या पोषण एवं किसानों के उत्पादों का सही कीमत का न मिलना है। जिसके लिए फाउंडेशन एवं सरकार प्रयासरत है। डा. संतोष कुमार सिंह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रो में औषधि फसलों से किसानों को अच्छा लाभ प्राप्त हो रहा है। कहा कि उन्होंने किसान भाइयों को औषधीय आधारित खेती की तरफ रुझान करने को प्रेरित किया। डा. समीर पांडेय ने जैविक उत्पादों की मांग देश भर में बढ़ रही है, हर व्यक्ति जैविक कृषि उत्पादों को खरीदने एवं खाने में दिलचस्पी दिख रहा है। हमारे किसानों को उन उपभोक्ताओं को ध्यान में रखते हुए जैविक खेती की ओर रुख करना होगा जिससे उन्हें अपने उत्पाद का अच्छा मूल्य प्राप्त हो। इस अवसर पर परियोजना में कार्यरत यंग प्रोफेशनल मधुकर पटेल, आदर्श कुमार, कमलेश यादव एवं सैकड़ों की संख्या में किसान उपस्थित थे।