एक किताब इन दिनों खासा चर्चा में है, नाम है जस्टिस फॉर द जज: एन ऑटोबायोग्राफी। इस किताब को देश के पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई ने लिखा है। पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने राम मंदिर के मसले पर बेंच के ऐतिहासिक फैसले के बाद हुई पार्टी का भी जिक्र अपनी इस आत्मकथा में किया है। उन्होंने लिखा है कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद पर 9 नवंबर, 2019 को सर्वसम्मति से ऐतिहासिक फैसला सुनाने के के बाद मैं उस बेंच के अन्य जजों को डिनर के लिए होटल ताज मानसिंह लेकर गया था। वहां सभी ने पसंदीदा डिनर ऑर्डर करने के साथ ही वाइन पी थी।
जिसके बाद उनके इस बात का जिक्र मीडिया में खूब होने लगा और एक निजी चैनल की तरफ से एक साक्षात्कार में पूर्व सीजेआई से पूछा गया कि क्या ये असंवेदनशील नहीं होगा, खासकर उन लोगों के लिए जो शायद फैसला हार चुके हैं। इस पर गोगोई ने जवाब देते हुए कहा कि ये कोई जश्न नहीं था। क्या आपका मन नहीं करता आप कहीं बाहर जाएं और खाना खाएं। बेंच में शामिल सभी जजों ने चार महीने तक जमकर काम किया। हम सभी ने इतनी मेहनत की, हमने सोचा कि हम एक ब्रेक लेंगे। क्या हमने कुछ ऐसा किया है जो उचित नहीं है? जज भी स्वर्ग से नहीं आए हैं।
किताबों में कई घटनाओं का जिक्र
गौरतलब है कि पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने अपने जीवन और करियर के दौरान हुए नाटकीय घटनाक्रमों को पुस्तक का स्वरूप दिया है। इसमें उनके उच्चतम न्यायालय का प्रधान न्यायाधीश बनने से पहले फेमस संवाददाता सम्मेलन, यौन उत्पीड़न के आरोप और टैबलॉयड पत्रकारिता के प्रभाव से जुड़ी घटनाएं भी शामिल की गई हैं। इसके साथ ही न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बेबाकी से अपनी राय रखते हुए इसे समाज जितना ही पुराना बताया है।