वाराणसी (काशीवार्ता)। कोरोना का दो वर्ष का कठिन समय बीतने के बाद पटरी पर लौटती जिंदगी के बीच जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए कटिबद्ध प्रदेश की योगी सरकार लगातार प्रयास कर रही है। योगी-2 का कार्यकाल अभी शुरू हुआ है और मुख्यमंत्री ने अपने सभी मंत्रियों को हिदायत भी दी है कि उनके कार्यों की सौ दिन में समीक्षा की जाएगी। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अधिकारी अपनी कार्यशैली से सरकार के मंसूबों पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं। प्रदेश सरकार एलोपैथी के साथ ही आयुष विंग को भी आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। इसी के तहत प्रदेश के सभी जिलों में आयुर्वेदिक, होमियोपैथी व यूनानी पद्धति से इलाज के लिए आयुष विंग की स्थापना करने के साथ ही चिकित्सकों व पैरा मेडिकल स्टाफ की तैनाती कर लाखों रुपये वेतन के मद में खर्च कर रही है। बावजूद इसके पीएम के संसदीय क्षेत्र में पं.दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के आयुष विंग में तैनात कर्मचारी या तो आते ही नहीं या अस्पताल आने के बाद अपने कमरे में रहते ही नहीं हैं। ऐसा ही एक मामला होम्योपैथी का प्रकाश में आया है। होम्योपैथी विंग में तैनात चिकित्सक अस्पताल में सोने के लिए आते हैं। जी हां इस विंग में तैनात चिकित्सक को जब एक मरीज दिखाने पहुंचा तो चिकित्सक अपनी कुर्सी पर खरार्टे भरते नजर आये। लगभग 30 मिनट इंतजार करने के बाद उक्त मरीज बिना इलाज कराए चिकित्सक को कोसते हुए चला गया। अब प्रश्न यह उठता है कि सरकारी विभागों के निजीकरण का कर्मचारी इसी लिए विरोध कर रहे हैं कि यदि संस्थान का निजीकरण हो जाएगा तो उन्हें कार्य करना पड़ेगा और सरकार मरीजों के इलाज के लिए जो लाखों रुपये पारिश्रमिक देती है वो उन्हें नहीं मिलेगा।