वाराणसी (काशीवार्ता)। आस्था का केंद्र तथा विश्व-विख्यात अघोरपीठ “बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड” में लोलार्क-षष्ठी का पर्व श्रद्धा-भक्ति व हर्सोल्लास के साथ मनाया गया ! रविन्द्रपुरी कॉलोनी स्थित, “बाबा कीनाराम स्थल” में 2 सितंबर को कई किलोमीटर लंबी लाइन में लोग, भोर से ही दर्शन पूजन व स्नान के लिए प्रतीक्षा- रत होकर खष्टि के दिन महिलाएं संतान प्राप्ति व रोगमुक्त होने के लिए क्रीकुण्ड में स्नान की। तदुपरांत पूज्य पीठाधीश्वर बाबा सिद्धार्थ गौतम राम का दर्शन पूजन किया ! “बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड” के पीठाधीश्वर, अघोराचार्य बाबा सिद्धार्थ गौतम राम, द्वारा ( परिसर स्थित ) समस्त औघड़ संतों की समाधियों की पूजा-अर्चना किया। इससे पहले स्वयंसेवकों द्वारा साफ-सफाई व श्रमदान किया गया । व्यवस्था हेतु स्वयंसेवक हर जगह मुस्तैद दिखे ।
2 दिन पहले से ही क्रीं-कुण्ड मंदिर परिसर के आस-पास, मेले जैसा माहौल बना रहा। गौरतलब है कि अघोर परम्परा के आधुनिक स्वरुप के जनक- अधिष्ठाता कहे जाने वाले महान संत अघोराचार्य महाराजश्री बाबा कीनाराम के जन्म के छठे दिन (छठी) के उपलक्ष्य में, अघोरपीठ पर मनाया जाने वाला ये पर्व हर साल भादो महीने की षष्ठी के दिन मनाया जाता है ! क्रीं-कुण्ड (तालाब) है जहां विशेष तौर पर इस दिन महिलाएं स्नान करती हैं। संतान प्राप्ति के लिए, महिलाएं पहले अस्सी स्थित लोलार्क कुण्ड पर स्नान करती हैं और फिर तुरंत क्रीं-कुण्ड आकर स्नान करती हैं। कहा जाता कि बाबा कीनाराम ने अपने आध्यात्मिक तपोबल से इन दोनों कुण्डों को जागृत किया था। क्रीकुण्ड में संतान प्राप्ति व रोग द्वेष कलेश से मुक्ति पाने के लिए सप्ताह में 2 बार रविवार व मंगलवार कुल मिलाकर 5 बार लगातार स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, तथा लोलार्क कुण्ड में खष्टि के दिन प्रतिवर्ष 1 बार स्नान करने से सभी दुखों का निवारण होता हैं।