वाराणसी । भगवान शिव का अति प्रिय महीना सावन का पांचवा और अंतिम सोमवार है। 3 अगस्त को राखी के पर्व को लेकर बाबा श्री काशी विश्वनाथ का दर्शन के लिए बनारसियों की खाफी भीड़ उमड़ी है। कोरोना काल से लगाए गए लॉकडाउन में पांचवें और अंतिम सोमवार को मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोला गया है। हालांकि शहर में लॉकडाउन लगा हुआ है, इस बार सावन में पांच सोमवार पड़ा था।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण विशेष व्यवस्था की गई है, द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में वैसे तो हर साल अन्य राज्यों और जिलों से लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती थी, लेकिन इस बार नियम और व्यवस्था में परिवर्तन किया गया है। वैश्विक महामारी कोरोना से लगाए गए लॉकडाउन नियम के कारण बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं पर रोक लगी हुई है, लेकिन पिछले 4 सोमवार की अपेक्षा सावन के आखिरी दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े है।
बाबा का झूलनोत्सव श्रृंगार, विशेष आरती
सावन के पांचवें सोमवार पर बाबा विश्वनाथ का सपरिवार झूलनोत्सव शृंगार किया जाएगा। प्राचीन परंपरा के अनुसार बाबा की रजत पंचबदन प्रतिमा पूर्व महंत आवास से काशी विश्वनाथ मंदिर जाएगी। श्रावण पूर्णिमा पर होने वाले शृंगार में देवी पार्वती और प्रथमेश गणेश बाबा की गोद में विराजमान किए जाते हैं। उन्हें मंदिर के गर्भगृह में झूले पर बैठा कर विशेष आरती की जाती है। सावन में झूलनोत्सव और कजरी की परंपरा काशी में रही है, काशी शिव की नगरी है, भगवान शिव माँ पार्वती के साथ झूला झूलते हैं और कजरी का आनंद लेते हैं ये परंपरा काशी में रही है। 3 अगस्त को शाम 5:00 बजे टेढ़ी नीम स्थित महंत आवास से बाबा विश्वनाथ की रजत पंचबदन प्रतिमा पालकी पर सजाकर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ले जाई जाएगी। कोरोना संक्रमण को देखते हुए पालकी ले जाने की चुनिंदा लोगों को इजाजत दी गई है।
रक्षा बंधन के साथ ग्रह-नक्षत्रों का अद्भुत संयोग
सावन के अंतिम सोमवार का विशेष महत्व है, और यह कई मायनों में बहुत खास है। इस दिन रक्षा बंधन के साथ-साथ ग्रह-नक्षत्रों का अद्भुत संयोग भी बन रहा। इन शुभ योग में आसानी से भगवान शिव की पूजा और उपासना करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। सोमवार को बाबा दरबार मेें चल प्रतिमाओं का झूला श्रृंगार देर शाम गर्भ गृह में होगा। मान्यता के अनुसार ये सारी चल प्रतिमा महंत आवास से मंदिर ले जाई जाती है और मंदिर कपाट बंद होने के बाद महंत परिवार सभी प्रतिमाओं को आवास में पुनः विराजमान करते हैं।
श्रद्धालुओं के लिए बरती गई सावधानियां
द्वादश ज्योतिर्लिंग में प्रमुख बाबा श्री काशी विश्वनाथ के दरबार में श्रावण मास के पांचवें और अंतिम दिन बनारसी दर्शनार्थियों की भीड़ हैं, पिछले वर्षों की भांति ज्यादा संख्या में ज्यादा दूरी पर बैरिकेडिंग कराया गया है, रेड कारपेट बिछाया गया है, बिल्लियों से लेकर के नीचे जमीन पर सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने के लिए सफेद निशान भी बनाया गया है, एक बार मे मंदिर में 5 लोगों को ही अनुमति हैं, मंदिर में किसी भी दीवार या रेलिंग को छूना सख्त मना है, बाबा को जल अर्पित कर सकते हैं, लेकिन बाबा का स्पर्श दर्शन पर भी रोक है, मंदिर में प्रवेश के पहले चेकिंग के साथ बिना मास्क के किसी को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है, मंदिर के गेट पर ही थर्मल स्कैनिंग करके अंदर जाने को दिया जा रहा है।
श्रद्धालुओं ने किए बाबा के दर्शन
बाबा के दर्शन करने आए भक्त ने बताया की बहुत बढ़िया दर्शन हुआ पूरे सोशल डिस्टेंसिंग के साथ और व्यवस्था पूरी तरह से ठीक है, बिना मास्क और सैनिटाइजेशन के कोई अंदर प्रवेश नहीं कर सकता है। भक्तों ने बताया कि शिवलिंग पर जल चढ़ा के हाथ जोड़ के वापस आए, और बाबा काशी विश्वनाथ से मांगे की मेरे परिवार और पूरे दुनिया को कोरोना नाम के इस महामारी वायरस से मुक्ति दिलाइए।