(राजेश राय)
वाराणसी।काशीवार्ता।भेलूपुर के बर्खास्त पुलिस कर्मियों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है।हाईकोर्ट ने कहा कि बिना पक्ष सुने और बिना निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए पुलिस कर्मियों को बर्खास्त करना गलत है।हाईकोर्ट ने इस मामले में विभागीय नियमावली 14(1) का पालन करने का निर्देश शासन को दिया है।हालांकि हाईकोर्ट के आदेश के बाद अभी बर्खास्त पुलिस कर्मियों को बहाल नहीं किया गया है।लेकिन आदेश की प्रति मिलते के बाद शासन में खलबली मची है।समझा जाता है कि हड़बड़ी में लिए गए इस निर्णय की गाज किसी न किसी अफसर पर गिरेगी। वाराणसी के आला पुलिस अधिकारी भी हाईकोर्ट के आदेश से चिंतित और परेशान है।इसके लिए कोर्ट में लचर पैरवी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार किसी भी सरकारी अधिकारी को सेवा से बर्खास्त करने के पहले निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना जरूरी होता है।इसमें प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत भी शामिल है।आरोपी का बिना पक्ष सुने उसे दंडित नहीं किया जा सकता है।भेलूपुर डकैती कांड में आननफानन में तत्कालीन इंस्पेक्टर रमाकांत दुबे सहित पांच पुलिस कर्मियों को एफआईआर दर्ज होने के पांच दिन के अंदर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।इनमे दो दरोगा भी शामिल हैं ।सूत्रों ने बताया कि ऐसा लखनऊ के दबाव पर किया गया।हालांकि वाराणसी के बड़े पुलिस अधिकारी हड़बड़ी में कोई फैसला नहीं करना चाहते थे। इसके तत्काल बाद बर्खास्त पुलिस कर्मी अदालत की शरण में चले गए।
दूसरी तरफ पता चला है कि ऊपर के दबाव में बर्खास्त पुलिस कर्मियों की गिरफ्तारी की तैयारी शुरू हो गई है।इनके खिलाफ एनबीडब्ल्यू वारंट जारी हो चुका है।इस मामले में इन्हे अदालत से अग्रिम जमानत की उम्मीद अत्यंत कम है।वैसे पुलिस महकमे में इस कांड को लेकर काफी असंतोष है।भेलूपुर कांड सहित कई अन्य मामलों में कई पुलिस कर्मियों को पिछले दिनों निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना बर्खास्त कर दिया गया था। सूत्रों के अनुसार सभी मामलों में आरोपी कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।अगर अदालत से इन्हे राहत मिलती है तो शासन की और किरकिरी होगी। ज्ञात हो कि भेलूपुर इलाके में पिछले दिनों एक करोड़ चालीस लाख की डकैती पड़ी थी।इस सिलसिले में मुख्य आरोपी अजीत मिश्रा सहित पांच लोग गिरफ्तार हैं।पुलिस की प्रारंभिक जांच में उस समय के इंस्पेक्टर रमाकांत दुबे सहित पांच पुलिस कर्मी भी घटना में लिप्त पाए गए थे।