बीएचयू की लापरवाही पड़ रही भारी


वाराणसी(काशीवार्ता)। कोरोना पॉजिटिव मरीजों की रिपोर्ट तैयार करने को लेकर बीएचयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की लापरवाही भारी पड़ रही है। आलम यह है कि लेवल -1 के क्वारेंटाइन किए गए संदिग्ध लोगों की जॉच के सैंपल 12- 14 दिन पर लिए जा रहे हैं। जबकि कोरोना जांच से संबंधित नमूने लेने के 10-12 दिन बाद रिपोर्ट मिल रही है। ऐसे में अन्य भर्ती पॉजिटिव मरीजों के संपर्क में आकर लेवल -1 के संदिग्ध केस भी लेवल-3 में तब्दील होने की प्रबल संभावना बनी हुई है।

गौरतलब है कि जांच की इस कच्छप गति पर पूर्व में जिलाधिकारी ने नाराजगी जताते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी को बीएचयू के चिकित्सकों के साथ वार्ता कर दो शिफ्ट में काम कराने के साथ अन्य पहलुओं पर विचार करने को कहा था ताकि रिपोर्ट अतिशीघ्र प्राप्त हो।दरअसल, विगत 24 जून को चौक थाना क्षेत्र के भूलेटन निवासी 40 वर्षीय प्रतिष्ठित केमिकल व्यवसायी बतौर संदिग्ध केस के तहत पाण्डेयपुर स्थित ईएसआईसी हॉस्पिटल में क्वारेंटीन किए गए थे। विगत 5 जुलाई को उनकी सैम्पलिंग बीएचयू भेजी गई थी। लेकिन छह दिन बीतने पर भी उनकी रिपोर्ट नहीं आ सकी। परिजनों की मानें तो वहां भर्ती होने के बाद गंदगी और गर्मी की शिकायत को लेकर केमिकल व्यवसायी की वहाँ मौजूद डॉक्टर से हल्की नोंकझोंक हुई थी। आरोप है कि उसके दो दिन बाद से ही डॉक्टर उनमें कोरोना के लक्षण दिखने की बात कहकर मानसिक रूप से कमजोर कर रहे हैं। जबकि केमिकल व्यवसायी पूरी तरह स्वस्थ हैं और उनकी रिपोर्ट भी अभी नहीं आई है। यही शिकायत कमोवेश बीएचयू अथवा ईएसआईसी हास्पिटल में भर्ती अन्य मरीजों की भी है। ईश्वर की कृपा से स्वस्थ्य होकर घर लौटने वाले मरीज बातचीत में सिर्फ प्रशासनिक व्यवस्था को ही नहीं कोस रहे अपितु उपचार के लिए नियुक्त किये गए चिकितसकों एवं पैरामेडिकल स्टाफ की कार्यशौली को भी बेहद घृणित बता रहे।