जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य पूरा हुआ : अजय राय


वाराणसी (काशीवार्ता)। मेरे जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य बड़े भाई अवधेश राय के हत्यारों को सजा दिलाना था। ये मैंने उसी दिन तय कर लिया था, जब भाई की चिता जल रही थी। मुख़्तार अंसारी के खिलाफ गवाही न देने के लिए मेरे और दो अन्य गवाह कतवारु व विजय पांडे उर्फ विजय गुरु पर कई बार दबाव बनाने की कोशिश की गई। मगर हममें से कोई नहीं टूटा। सभी की गवाही और न्यायपालिका की वजह से आज दोषी को उम्र कैद की सजा मिल सकी है। ये बातें पूर्व मंत्री व कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष अजय राय ने काशीवार्ता से बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कहा, 32 साल बाद अवधेश राय हत्याकांड में आये न्यायालय के फैसले का मैं तहे दिल से स्वागत करता हूँ। मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था, तभी तो मैं अपने रास्ते से डिगा नहीं। इस मामले में 369 सुनवाई के बाद कल वाराणसी की एमपी एमएलए कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। राय ने कहा, यदि उनके भाई की हत्या नहीं हुई होती तो वे आज राजनीति में नहीं होते। दरअसल, उस घटना के बाद लोगो ने राय को भाई के हत्या का बदला लेने के लिए बहुत उकसाया, लेकिन उन्होंने गोली का बदला गोली से न देने की बजाय उसे कानून से शिकस्त देने की ठानी और 1993 में छोटी सी उम्र में राजनीति में आ गये। पिंडरा क्षेत्र की जनता ने उन्हें पांच बार विधायक बनाया। हालांकि उस वक्त परिस्थितियां विपरीत थी। किंतु अजय राय ने अपना संघर्ष जारी रखा। न्यायालय के फैसले से स्व. अवधेश राय की बेटी हनी बहुत खुश है। उसका कहना है, मेरे पिता की हत्या के बाद से अजय चाचा ने ही उसका ख्याल रखा। हनी की मां पहले ही गुजर चुकी हैं। उसने कहा, मुझे पूरा भरोसा था कि चाचा एक दिन इंसाफ की ये लड़ाई जरुर जीतेंगे।
मुझे व मेरे मुवक्किल को सुरक्षा मिले : अनुज यादव

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वादी के वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव ने कहा कि इस फैसले से मैं गौरवान्वित हुआ। इस केश मे जीत हासिल करने के लिए मैंने हर स्तर से अध्ययन करने के बाद बहस किया। जबकि इसके विपरीत विपक्षी ने हर स्तर पर भ्रमित करने प्रयास किया। परन्तु अदालत ने आखिर में उचित निर्णय दिया, जो सराहनीय है। इससे समाज में एक अच्छा संदेश जायेगा। लोग भयमुक्त होंगे। उन्होंन अपनी एवं अपने मुवक्किल की सुरक्षा की मांग की।