बिहार में राजनीतिक हलचल के बीच विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने इस्तीफा दे दिया है। हालांकि पहले विकास कुमार सिन्हा की ओर से दावा किया जा रहा था कि वह इस्तीफा नहीं देंगे लेकिन आज सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया। हालांकि, इस दौरान उन पर लगे आरोपों का उन्होंने जवाब भी दिया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मैंने अपने कार्यकाल के दौरान सदन की गरिमा बनाए रखने की कोशिश की। सदन से अपने आखिरी वक्तव्य में विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि मैंने हमेशा नियमों के तहत काम किया। उन्होंने कहा कि मुझे अध्यक्ष पद से हटाने का कुछ सदस्यों का संकल्प था। लेकिन मुझे फैसला करने का अवसर नहीं दिया गया। अविश्वास प्रस्ताव अस्पष्ट है। 9 माननीय सदस्यों का जो पत्र मिला उसमें से 8 नियम के मुताबिक नहीं थे।
विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि कुर्सी ‘पंच परमेश्वर’ है। सभापीठ पर संदेह जताकर आप क्या संदेश देना चाहते हैं? लोग निर्णय लेंगे। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मेरे खिलाफ आरोप अस्वीकार्य हैं, सच सामने लाए बिना पद नहीं छोड़ने का फैसला किया था। विजय कुमार सिन्हा ने यह भी कहा कि वह पहले ही इस्तीफा देना चाहते थे। लेकिन उन पर अनर्गल आरोप लगाए गए। यही कारण था कि उन्होंने यह जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब देना हमारे नैतिक जिम्मेदारी बन गई। उन्होंने कहा कि मुझ पर मनमानी, कार्यशैली को लेकर, तानाशाही करने को लेकर आरोप लगाए गए और जवाब देना भी जरूरी था।
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इससे पहले विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि जब विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में मेरे विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया गया तब मैंने अपने ऊपर विश्वास की कमी के रूप में नहीं देखा। बल्कि आसन के प्रति अविश्वास के रूप में देखा। उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस जो सभा सचिवालय को दिया गया उसमें नियम और संसदीय शिष्टाचार के अस्पष्ट रूप में अनदेखी की गई है। नोटिस में कुछ निराधार आरोप लगाए गए हैं, कुछ माननीय सदस्यों ने तर्क के बिना मेरी कार्यशैली को अलोकतांत्रिक और तानाशाह जैसा बताया है। इन तथ्यहीन आरोपों के बीच यदि मैं त्याग पत्र देता हूं तो यह न केवल व्यक्तिगत निष्ठा और आत्मसम्मान के विरुद्ध होगा। अत: मैं बिहार विधानसभा अध्यक्ष के रूप में मेरे विरुद्ध लगाए गए अविश्वास प्रस्ताव का प्रतिकार करते हुए मैं इस्तीफा नहीं दूंगा।