निकाय चुनाव में अबकी भाजपा की राह आसान नहीं


वाराणसी (काशीवार्ता)। काशी में इस बार का निकाय चुनाव बड़ा ही दिलचस्प होने वाला है। इस बार भाजपा के लिए न तो मेयर की राह आसान रहने वाली है न ही पार्षदों की। मेयर के लिए विपक्ष ने कायदे से घेराबंदी की है। सपा ने ठाकुर तो कांग्रेस ने कायस्थ बिरादरी से प्रत्याशी उतारा है। पार्षद पद के अबकि ढेरों निर्दलीय उम्मीदवार सबके लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। चूंकि भाजपा से पहले मेयर के लिए ठाकुर प्रत्याशी का नाम तय हुआ था, जिसे बाद में किन्ही कारणों से बदल कर ब्राह्मण प्रत्याशी को मैदान में उतारा गया। इसको लेकर एक जाति विशेष में नाराजगी है। हालांकि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वाराणसी आ रहें हैं और पार्टी को उम्मीद है कि वे स्थिति को संभाल लेंगे। फिलहाल, शहर का कायस्थ वोट हमेशा से भाजपा के साथ रहा है। किंतु इस बार कांग्रेस ने अनिल श्रीवास्तव को मैदान में उतार कर इसमें सेंध लगाने की पूरी कोशिश की है। अनिल श्रीवास्तव कैंट विधानसभा से चुनाव लड़ते आये हैं, उन्हें इस विधान सभा में अच्छा वोट मिलता है। हालांकि वे भाजपा प्रत्याशी को हरा तो नहीं पाये, लेकिन अमूमन दूसरे नंबर पर तो रहते ही हैं। सपा ने यहां से डॉ.ओ.पी.सिंह को मैदान में उतारा है। वे कई बार जिले में सबसे अधिक मतो से चुनाव जीत चुके हैं। इस बार उनके लिये मैदान थोड़ा बड़ा जरुर है, पर वे जीत का पूरा दंभ भर रहे हैं। जीतने का दावा तो कांग्रेस प्रत्याशी अनिल श्रीवास्तव भी कर रहे हैं किंतु ऊंट किस करवट बैठेगा ये आने वाला समय ही बताएगा। बहरहाल, भाजपा प्रत्याशी अशोक तिवारी धुंआधार प्रचार अभियान पर हैं। उन्हें पूरा भरोसा है कि 28 साल से जनता ने भाजपा पर जो भरोसा जताया है वह इस बार भी टूटने वाला नहीं है। उधर, वार्डो में भी लड़ाई कम दिलचस्प नहीं है। भारी संख्या में निर्दलीयों के आने से सभी दलों का समीकरण बिगड़ गया है। दरअसल, पार्षद का चुनाव दल की अपेक्षा खुद के प्रभाव पर लड़ा जाता है। लगातार वार्ड में सक्रिय रहने वाले प्रत्याशी अक्सर बड़े बड़े दलों को नाकों चने चबवा देते हैं। इस बार का माहौल भी कुछ ऐसा ही है। अब देखना यह है कि इन निर्दलीयों की बाजी कितनी बीस रहने वाली है।