रामराज्य के भागीदार बनकर विभीषण अमर हो गये


वाराणसी

साकेत भूषण श्रीराम के साथ राक्षस राज विभीषण भी विराजेंगे

• राक्षस राज विभीषण भी रामराज्य में सहयोग देकर अमर हो गये।

• राक्षस राज विभीषण, माता त्रिजटा, सुषेन वैद्य की भी मूर्तियां लगेंगी।

• भारत और श्रीलंका के मैत्री सम्बन्ध को मजबूत करेगा मंदिर।

विशाल भारत संस्थान एवं श्री इन्द्रेश आश्रम के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित प्रतिदिन 108 बार हनुमान चालीसा हवनात्मक महायज्ञ के सातवें दिन साकेत भूषण श्रीराम मंदिर निर्माण के लिये गुरू शुक्राचार्य, राक्षस राज विभीषण, माता त्रिजटा, सुषेन वैद्य के नाम का शिलापूजन किया गया। लमही के इन्द्रेश नगर में बनने वाले श्रीराम मंदिर के परिसर में त्रेतायुग के मैत्री संबंध को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से राक्षसों के गुरू शुक्राचार्य, राक्षस राज विभीषण, माता त्रिजटा, सुषेन वैद्य की प्रतिमा लगायी जायेगी। इससे भारत और श्रीलंका के मैत्री संबंध और मजबूत होंगे।

लंका विजय के समय विभीषण, त्रिजटा और सुषेन वैद्य के भगवान श्रीराम के शरणागत हुये। विभीषण को अमरता का वरदान मिला। कहा जाता है कि विभीषण आज भी जीवित हैं।

वैदिक ब्राह्मणों पंडित अनुज पाण्डेय एवं पंडित प्रदीप शास्त्री ने वैदिक रीति रिवाजों से मुख्य यजमान इन्द्रेश कुमार को संकल्प दिलाया और मायज्ञ सम्पन्न कराया।

इस अवसर पर मुख्य यजमान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार ने कहा कि रामराज्य की स्थापना में सहयोग देने वाले ऋषि पुत्रों, देवताओं एवं राक्षस कुल के लोगों की मूर्तियां पूजी जायेंगी। इससे यह स्पष्ट संदेश जाता है कि प्रभु श्रीराम ने जाति-पांति, शत्रु-मित्र, देश, भाषा का भेद किये सबको गले से लगाया। उनकी शरण में जो भी आया उनको अमरता का वरदान मिला। राक्षस राज विभीषण को तो प्रभु ने अपना मित्र बनाकर राक्षस कुल का उद्धार कर दिया। राक्षसी प्रवृत्ति में परिवर्तन आया और राम राज्य में देवताओं और असुरों का संग्राम समाप्त हो गया। राम का नाम संबंध और समाधान का है।

रामपंथ के प्रवर्त्तक गुरू डा० राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि राम राज्य की परिकल्पना को साकार करने के लिये मन में इन सभी विग्रहों को रखना होगा। राम के प्रति आस्थावाद भी राष्ट्र का हित कर सकती है। रामपंथ के मंदिर भारत एवं श्रीलंका के मजबूत संबंधों के इतिहास की कथा सुनाते रहेंगे। यह भी बतायेंगे कि प्रभु ने शत्रु के शरणागत भाई विजीषण को भी गले लगाकर विश्व बन्धुत्व का संदेश दिया।

इस अवसर पर चट्टो बाबा, रमेश शर्मा, मो० अजहरूद्दीन, नीलेश दत्त, मोईन खान, अर्चना भारतवंशी, नजमा परवीन, नाजनीन अंसारी, डा० मृदुला जायसवाल, खुशी रमन, उजाला, इली, दक्षिता, धनंजय यादव, जगदीश पाठक, सनी सिंह, मुकेश प्रताप सिंह आदि लोगों ने भाग लिया।