कैंट पर जाम का हो रहा मुकम्मल इंतजाम


(विशेष प्रतिनिधि)
वाराणसी(काशीवार्ता)। लगता है नगर में तुगलकी अफसरों की भरमार हो गयी है। अगर ऐसा न होता तो आये दिन बे सिर पैर की योजनाएं न बनती। ताजा मामला कैंट रेलवे स्टेशन से लेकर अंधरापुल तक नाईट बाजार लगाने का निर्णय है। जानकारी के अनुसार स्टेशन के सामने फ्लाईओवर के नीचे स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत लगभग पांच दर्जन दुकानों का निर्माण कराया जा रहा है। इन दुकानों में खाने पीने के व्यंजन बिकेंगे। जिसमें शहर से लोगबाग रात बिरात आएंगे,खाएंगे पियेंगे और तफरीह करेंगे। पहली नजर में इस योजना में कोई कमी नजर नहीं आती।
अब इसके दूसरे पहलू पर ध्यान देना जरूरी है। सर्वविदित है कि कैंट का इलाका कभी हर समय जाम की चपेट में रहता था। एक तरफ रोडवेज तो दूसरी तरफ रेलवे स्टेशन से निकलने वाले यात्रियों की भीड़। पूरे इलाके में टेम्पो, रिक्शा बसों ट्रकों की रेलमपेल। इससे 24 घण्टे पूरा इलाका जाम में फंसा रहता था। जब त्राहिमाम मचा तो जाम से बचने के लिये सरकार ने फ्लाईओवर बनाने का फैसला लिया। सालों की जद्दोजहद के बाद फ्लाईओवर तैयार हुआ तो जाम से थोड़ी राहत हुई। इसके अलावा शहर को जाम से बचाने के लिये अनेक योजनाएं बनी जिसमे फुलवरिया फोरलेन कज्जाकपुरा रेलवे क्रासिंग पर फ्लाईओवर आदि शामिल हैं। शहरवासी संतोष की सांस ले रहे थे कि चलो कुछ काम तो हो रहा है।
लेकिन इसी दौरान नगर निगम के तहत काम करने वाले स्मार्ट सिटी विभाग ने पता नहीं किसकी सलाह पर कैंट स्टेशन के सामने नाईट बाजार बनाने का फैसला लिया। जाहिर सी बात है कि जब बाजार लगेगा तो ग्राहक भी आएंगे। अब ग्राहक पैदल तो आएंगे नहीं। 54 दुकानों में अगर एक सौ ग्राहक भी आये तो उनके दुपहिया चार पहिया वाहन कहाँ खड़े होंगे ? स्टेशन के सामने सैकड़ो टेम्पो रिक्शा वैसे ही धमाचौकड़ी मचाते रहते हैं। ऐसे में दुकानों में खाने पीने वाले ग्राहकों की गाड़ियां कहाँ खड़ी होंगी इसका जबाब किसी के पास नहीं है। जाहिर सी बात है कि फिर जाम लगेगा। ऐसे में चौकाघाट फ्लाईओवर बनाने का पूरा उद्देश्य ही विफल हो जाएगा। इस तुगलकी योजना का सबसे पहला विरोध रोडवेज ने किया।वजह स्प्ष्ट थी। प्रतिदिन रोडवेज की सैकड़ो बसें डिपो से निकलती हैं और बाहर से आती हैं। दुकाने बनने से उनके आने जाने और डिपो में मुड़ने में काफी परेशानी होगी। विरोध पर कुछ दिन काम रुका रहा परन्तु आश्चर्यजनक रूप से काम पुन: शुरू हो गया है। सम्भवत: ऊपर से कुछ दबाव पड़ा होगा। फ्लाईओवर के नीचे दोनों तरफ ग्रिल लगा कर घेराबन्दी की जा रही है। इसके चलते सर्विस रोड की चौड़ाई भी कम हो गयी है। लेकिन स्मार्ट सिटी को इससे क्या मतलब।उन्हें तो ऊपर से आये पैसे को किसी तरह खपाना है,शहर में जाम लगे तो लगे।
विदित हो कि मैदागिन से गोदौलिया तक स्मार्टसिटी ने पाथवे बनाया और जब व्यापारियों ने विरोध किया तो तोड़ा। जनता के धन के अपव्यव का इससे बढ़ कर दूसरा उदाहरण नहीं मिलेगा। अब कैंट स्टेशन पर हाथ लगाया है। हैरानी की बात है कि न तो कोई जनप्रतिनिधि और न ही किसी जागरूक संगठन ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है। एक तरफ तो नई काशी बनाने की बात चल रही है तो दूसरी तरफ कुछ अफसरों के अविवेकपूर्ण निर्णय के चलते शहर के आंतरिक भाग में दुकानें बना कर घनत्व बढ़ाया जा रहा है। इससे न तो शहरवासियों का भला होगा न व्यापारियों का।