कार्बन आधारित र्इंधन से जलवायु हो रहा प्रदूषित : प्रो. चेतन


वाराणसी (काशीवार्ता)। जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए ऊर्जा साक्षरता प्रशिक्षण समय की मांग है। हर साल जलवायु परिवर्तन की स्थिति बिगड़ती जा रही है, इसे कम करने के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रयास पर्याप्त साबित नहीं हो रहे हैं। उक्त बातें आईआईटी मुम्बई के प्रो. चेतन सिंह सोलंकी ने गुरुवार को विश्व संवाद केन्द्र काशी के मुख्य सभागार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी दक्षिण भाग के पर्यावरण गतिविधि द्वारा आयोजित बैठक में कही। जलवायु परिवर्तन एवं सौर उर्जा संसाधनों के उपयोग विषय पर आधारित बैठक में उन्होंने बताया कि दुनिया की 80 प्रतिशत से अधिक ऊर्जा आवश्यकताएं प्राकृतिक संसाधनों जैसे कोयला, तेल इत्यादि से पूरी हो जाती हैं। कोयला, तेल और गैस जैसे कार्बन आधारित ईंधन के उपयोग के माध्यम से जलवायु विनाश हो रहा है। उन्होंने अनुमान लगाया कि विश्व की जलवायु घड़ी के अनुसार, वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेंटी. के स्तर को छूने में लगभग 6 वर्ष शेष हैं। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति से जलवायु परिवर्तन को कम करने की दिशा में अभी से कार्य करने का आग्रह किया। वक्ता ने आगे कहा कि ये ईंधन कार्बन से बने होते हैं और पेट्रोल, डीजल, एलपीजी, सीमेंट, सामग्री, उत्पादों के रूप में इन ईंधनों के उपयोग से कार्बन डाईआॅक्साइड और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है। ये ग्रीनहाउस गैसें 300 वर्षों तक वायुमंडल में रहती हैं और ग्रह के गर्म होने के कारण के साथ जलवायु में परिवर्तन का कारण बनती हैं। उन्होंने कहा कि हमें पृथ्वी पर कम से कम भार डालना होगा मतलब हम एनर्जी को कम से कम इस्तेमाल करें। इसके लिए हमें अपनी आदतों को बदलना होगा। काशी दक्षिण भाग प्रचारक विक्रांत ने कहा कि वर्तमान में जलवायु के साथ पूरे पर्यावरण में परिवर्तन गंभीर चिंता का विषय है। आजकल हम भौतिक सुविधाओं के लिए अनेकों प्रकार के ऐसे संसाधनों का प्रयोग कर रहे हैं जो वायुमंडल के लिए कैंसर जैसी है। हम क्षणिक सुख के लिए अपने भविष्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहे हैं। कार्यक्रम का प्रारंभ मंचासीन अधिकारियों द्वारा भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। कार्यक्रम में काशी दक्षिण भाग के पर्यावरण संयोजकों के अलावा ऊर्जा स्वराज फाउन्डेशन, हरियाली फाउंडेशन, नमामि गंगे, खुला आसमान आदि समाज सेवी संस्थाओं के सदस्य भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन काशी दक्षिण भाग पर्यावरण संयोजक एवं कार्यक्रम संयोजक मनोज कुमार मिश्र ने किया।