आरोपः काशी विश्वनाथ मंदिर में टिकटधारियों को स्पर्श दर्शन, नेमियों को दर्शन भी नहीं, पीएम और सीएम को लिखा पत्र


varanasi-श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में नियमित दर्शनार्थियों और साधु-संन्यासियों ने भेदभाव का आरोप लगाया है। पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, मंडलायुक्त और मुख्य कार्यपालक अधिकारी को पत्र लिखकर नियमित श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन में टिकटधारियों और नियमित दर्शनार्थियों में भेदभाव को दूर करने की मांग की है। 

शुक्रवार को नियमित दर्शनार्थियों ने बताया कि मंदिर प्रशासन को आस्था व श्रद्धा पर आय बड़ी नजर आ रही है। पर्यटकों की तुलना में नेमी व साधु संन्यासियों को हेयदृष्टि से देखा जा रहा है। मंदिर प्रशासन द्वारा 350 रुपये का मंगला आरती का टिकट लेने वालों को आरती के बाद स्पर्श दर्शन की छूट है, जबकि नेमी व साधु संन्यासियों को कोरोना का भय दिखाकर सात बजे के बाद मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है। अगर मंगलाआरती में टिकट लेने वालों को स्पर्श दर्शन की अनुमति दी जा सकती है तो ब्रह्ममुहूर्त में चार बजे नेमी व साधु संन्यासियों को दर्शन की अनुमति क्यों नहीं दी जा सकती है। मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि मामला संज्ञान में नहीं है, इसकी जांच कराने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

नागरिकों और तीर्थ पुरोहितों ने मलबा हटाने की उठाई मांग दशाश्वमेध घाट पर निर्माण कार्य के बाद काफी लंबे समय से मलबा छोड़ दिया गया है। इससे घाट की सुंदरता प्रभावित होने के साथ ही आवागमन में भी परेशानी हो रही है। लोगों और तीर्थ पुरोहितों ने मलबे को जल्द से जल्द हटाने की मांग की है। गंगा सेवा समिति कन्हैया त्रिपाठी ने बताया कि पिछले दिनों ठेकेदार को फोन कर मलबा हटाने का अनुरोध किया था, लेकिन यहां नया मलबा लाकर गिरा दिया गया।

उन्होंने बताया कि बरसात के कारण गंगा के जलस्तर में बढ़ोत्तरी होने से पहले अगर मलबा नहीं हटाया गया तो यह बहकर गंगा में मिल जाएगा। इससे गंगा की तलहटी में गाद जमा होगी और घाट पर स्नान करने वालों को परेशानी झेलनी होगी। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि यथाशीघ्र मलबा नहीं हटाया गया तो हम वैधानिक कार्रवाई एवं विरोध प्रदर्शन को बाध्य होंगे।