चीन ने बताया है कि सीमा पर ऊंचाई पर तैनात उसके पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों के लिए उसने क्या-क्या हाईटेक तैयारियां कर ली हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स अख़बार लिखता है, चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल वू चिएन ने गुरुवार को सीमा पर तैनात जवानों के नए साज़ो सामान को लेकर जानकारी साझा की लेकिन उन्होंने भारत का नाम नहीं लिया.
हालांकि, यह साफ़ समझा जा रहा है कि पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच जारी गतिरोध के कारण ही ऐसा किया गया है.
सैन्य अधिकारी द्वारा साझा की गई जानकारी से ऐसा पता चलता है कि चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ चाइना (सीपीसी) सीमाई क्षेत्रों में एक लंबे गतिरोध की ओर देख रही है.
वू ने कहा, “हाल में सेंट्रल मिलिट्री कमिशन (चीन की शीर्ष सैन्य इकाई जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रपति शी जिनपिंग करते हैं) के लॉजिस्टिक्स सपोर्ट डिपार्टमेंट और दूसरे संबंधित विभागों ने कुछ नए सुधार किए हैं और हाईटेक तरीक़े अपनाए हैं. हाईटेक का मतलब ऊंचे पठारों और पहाड़ों की जलवायु में तैनात अफ़सरों और जवानों के रहने और ट्रेनिंग की परिस्थितियों को बेहतर करना है.”
वू ने बताया कि जवानों के रहने के लिए एक सेल्फ़-पावर्ड शेल्टर दिया जा रहा है जो गर्म रहेगा, इसको अफ़सर और जवान ख़ुद ही बना सकते हैं और यह ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर है.
वू ने कहा, “वे इलाक़े जहां पर बाहर का तापमान माइनस 40 डिग्री सेल्सियस और ऊंचाई 5,000 मीटर से अधिक है वहां पर इन शेल्टरों के अंदर का तापमान गारंटी रूप से 15 डिग्री सेल्सियस से अधिक रह सकता है.”
इसके अलावा सैन्य प्रवक्ता ने बताया कि जवानों के लिए नए स्लीपिंग बैग्स, कोल्ड-प्रूफ़ जूते भी बनाए गए हैं. साथ ही फ़ूड स्टोरेज के लिए नए थर्मल इंसुलेशन उपकरण और बेहद ठंड वाले ऊंचे पहाड़ी इलाक़ों के लिए एक नए प्रकार के इंस्टेंट फ़ूड्स का ट्रायल चल रहा है.
‘भारत की झिझक चीन पर नज़र रखने के आड़े आ सकती है’
भारत और अमरीका के बीच हुई 2+2 बैठक के दौरान मंगलवार को अमरीका ने भारत से कहा था कि भारत को चीन से आमना-सामना पूरी दुनिया देख रही है और भारत की कोई भी हिचकिचाहट चीन के विस्तारवादी एजेंडे पर नज़र रखने की कोशिशों को नुकसान पहुंचाएगी.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया अख़बार के अनुसार, अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने अपने भारतीय समकक्ष एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बातचीत में यह बात कही.
इस बैठक में अमरीकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर भी थे.
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ जारी गतिरोध को लेकर अमरीका ने भारत के साथ एकजुटता दिखाते हुए कहा था कि अमरीका पक्ष मामले से अवगत है.
पोम्पियो की चीन पर कड़ी टिप्पणी के बाद चीन ने अमरीका को दो देशों के आपस के मामले में दख़ल न देने को कहा है.
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत के साथ सीमा तनाव पर बातचीत अच्छी दिशा में है और किसी तीसरे पक्ष की कोई गुंजाइश नहीं है.
विपक्ष के विरोध के बावजूद सूचना आयुक्तों के नाम तय
विपक्ष की आपत्ति के बावजूद केंद्र सरकार मुख्य सूचना आयुक्त और दो सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को मंज़ूरी देने जा रहा है.
इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के अनुसार, भारतीय विदेश सेवा (आईएफ़एस) के पूर्व अफ़सर और सूचना आयुक्त यशवर्धन कुमार सिन्हा को मुख्य सूचना आयुक्त और पत्रकार उदय महूरकर और डिप्टी कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल सरोज पुनहानी की सूचना आयुक्त के पदों पर नियुक्ति लगभग तय है.
इन पदों की नियुक्ति के लिए बनी चयन समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं. इसमें शामिल कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस फ़ैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है.
उनका कहना है कि इन पदों के चयन के लिए केवल शॉर्टलिस्टिंग की एक औपचारिकता भर की गई है.
चौधरी का कहना है कि मुख्य सूचना आयुक्त के पास सर्विस डिलिवरी, क़ानून, विज्ञान, मानवाधिकार और आम जनता की चिंताओं का एक घरेलू अनुभव का होना ज़रूरी है जो एक आईएफ़एस अफ़सर के पास नहीं होता है.
एनसीआर में प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र का नया क़ानून
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश पास करके नई प्रदूषण निरोधी एजेंसी का गठन किया है.
हिंदुस्तान टाइम्स अख़बार के मुताबिक़, इस एजेंसी की शक्तियां उत्तरी भारत के पांच राज्यों तक होंगी. यह एजेंसी वायु को ख़राब करने वाले स्रोतों के ख़िलाफ़ काम कर सकेगी, साथ ही नियमों के बनाने और लागू करने के अलावा उत्सर्जन मानकों को मॉनिटर भी करेगी.
इसके अलावा यह नियमों का उल्लंघन करने वालों पर 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी लगा सकती है और पांच साल तक के लिए सज़ा भी सुना सकती है.
क़ानून मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से वायदा किया था जिसके बाद यह अध्यादेश जारी किया गया है. एनसीआर के लिए 18 सदस्यीय कमीशन फ़ॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट गठित किया गया है.
इसमें एनसीआर और एनसीआर से लगते पांच राज्यों हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के प्रशासन के अलावा, केंद्रीय मंत्रालयों और एनजीओ के सदस्य भी होंगे.