कालोनी की सड़कें बनी जीटी रोड


वाराणसी (काशीवार्ता)। श्री काशी विश्वनाथ धाम के भव्य स्वरूप लेने के बाद वाराणसी में बाबा के दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं के साथ ही पर्यटकों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। इसमें कोई शक नहीं है कि विकास की गंगा बहेगी तो लोग इसकी बानगी देखने जरुर आयेंगे। मगर स्थानीय प्रशासन इसे सुव्यवस्थित नहीं कर पा रहा है। इनसे आने वाली भीड़ नियंत्रित नहीं हो पा रही।
दरअसल, किसी समस्या का समाधान करने के बजाय जब हम उसे छिपाने लगे तो समझ लीजिए मर्ज और बढ़ने वाला है। यही काम स्थानीय प्रशासन कर रहा है। जब कोई वीवीआईपी आता है तो ये जल्दी-जल्दी शहर को चमकाने में लग जाते हैं। इस दौरान बहुत सी कमियों को छुपा भी लेते हैं। होता क्या है कि कमियों को ढक तो दिया जाता है, लेकिन बाद में उसे ठीक नहीं किया जाता। नतीजन समस्या कैंसर का रूप ले लेती है। पिछले कुछ महीनों में या ये कह लीजिए कोरोना काल के बाद से वाराणसी आने वाले पर्यटकों को संख्या काफी बढ़ी है। मुख्य सड़कों पर आवागमन बढ़ने पर प्रशासन ने कई मार्गों पर रिक्शा, टोटो के अलावा दूसरे यात्री वाहनों के संचालन पर रोक लगा दिया। नतीजा ये वाहन कालोनियों का रास्ता पकड़ लिए। दिनभर इनकी भाग दौड़ यहां देखी जा सकती है। ये कैंट स्टेशन से सवारी लेकर सिगरा रोड होकर गांधी नगर, कस्तूरबा नगर, सिद्धगिरी बाग, जद्दूमंडी से श्रीनगर कालोनी होते हुए लक्सा थाने पहुँच जाते हैं। अब यहां से यात्री आराम से पैदल ही विश्वनाथ मंदिर तक मार्च करते हैं। इस बीच ये यात्री वाहन जिन कालोनियों से गुजरते हैं वहां के लोगों की आत्मा कांप जाती है। जिस रफ्तार से ये गाड़ी चलाते हैं, शायद जीटी रोड पर भी गाड़िया नहीं चलती होंगी। पर इन्हें कौन समझाए, जिला प्रशासन ने इन्हें कालोनियों के रास्ते जाने का लाइसेंस जो दे दिया है। पूर्व में चोरी आदि के भय से इन रिहायशी कॉलोनियों में गेट लगे। जिन्हें कमोबेश बंद रखा जाने लगा। मुहल्ले वालों ने अपने खर्च पर गार्ड रख लिए। जबकि हमारे सुरक्षा के लिए, हमारे ही टैक्स के पुलिस तैनात की गई है। मगर इन्हें ही यह व्यवस्था रास नहीं आयी। इन्होंने गेटो को खुलवा दिया। शायद सड़कों पर लगने वाले जाम से जनता को निजात नहीं दिला पा रहे थे। आए दिन इन कालोनियों में तेज रफ्तार बाइक आपस में टकराती हैं। दिनभर यात्री वाहन धमा चौकड़ी मचाये रहते हैं, इनकी वजह से अक्सर बच्चे चोटिल होते हैं। पर इससे किसी को क्या। इसी तरह पिशाच मोचन, कामायनी नगर, बादशाह बाग के लोगो का भी बुरा हाल है। हालांकि इसको लेकर कई बार लोगों ने पुलिस प्रशासन से शिकायत भी की, लेकिन इसका कोई हल नहीं निकल सका। अब तो कालोनी वाले इस समस्या को भगवान भरोसे छोड़कर बच्चों का मोहल्ले में खेलना भी बंद कर चुके हैं। देखिए कब ये मोहल्ले दोबारा कब बच्चों के लिए महफूस हो पाते हैं।