वाराणसी (काशीवार्ता)। जब से प्रदेश सरकार ने जनपद में कमिश्नरेट प्रणाली लागू की है। तब से पुलिस की कार्यप्रणाली में भी जबरदस्त बदलाव देखने को मिल रहा है। आमजन कमिश्नरेट प्रणाली के लागू होने से जहां परेशान है वहीं पुलिस से जुड़ा चाहे वह कोई भी कार्य हो कच्छप गति से हो रहा है। स्थिति यह हो गई है कि किसी भी कार्य के लिए लोगों को महीनों इंतजार करने के साथ ही थाना, सहायक पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त के कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला इन दिनों प्रकाश में आया है। विधानसभा चुनाव की अधिसूचना लागू होते ही वाराणसी कमिश्नरेट के थानों की पुलिस लगातार जिनके पास असलहों का लाइसेंस है उन्हें असलहा जमा करने की ताकीद कर रही है। साथ ही उनके द्वारा ऐसा न किये जाने की दशा में चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की धमकी भी दी जा रही है। जबकि कई ऐसे लोगों ने सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में आवेदन कर असलहा न जमा किये जाने की छूट मांगी गई है। परन्तु लगभग 20 दिनों से ज्यादा समय व्यतीत होने के पश्चात भी जिले की पुलिस ने ऐसे आवेदनकतार्ओं की जांच कर सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में उपलब्ध नहीं कराए जाने से असलहा धारक परेशान हो रहे हैं। विदित हो कि जिला प्रशासन से असलहों का लाइसेंस प्राप्त कर ज्यादातर असलहा धारक अपनी सुरक्षा के लिए असलहों को रखे हैं। ऐसा नहीं है कि जिन लोगों ने असलहे का लाइसेंस लिया हो उनके आपराधिक इतिहास की जांच पुलिस विभाग द्वारा न की गई हो।
आपराधिक इतिहास की जानकारी लेने के उपरांत जिन्हें असलहे का लाइसेंस निर्गत किया जाता है उनके विरूद्ध कोई मामला थाने में पंजीकृत नहीं होता है। बावजूद इसके थाने से असलहा धारकों को फोन कर यह दबाव बनाया जाना कि असलहा जमा करा दें अन्यथा आपके विरूद्ध चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज कर दिया जायेगा कहां तक न्याय संगत है। पुलिस की यह कार्य प्रणाली समझ से परे है।