गाजीपुर (काशीवार्ता)। कांग्रेस ने अब जंगीपुर विधानसभा से अजय राजभर को मैदान में उतारकर सपा उम्मीदवार को चुनौती पेश की है। अजय राजभर मुंबई में रहकर कारोबार के साथ ही सियासत भी करते हैं। वह समय समय पर अपने समर्थकों से मिलकर कांग्रेस के पक्ष में काम करते रहे हैं। उनके मैदान में आने के बाद जंगीपुर का समीकरण एक बार फिर गड़बड़ा गया है। हालांकि जीत का दावा सपा उम्मीदवार डा. वीरेंद्र एवं बसपा उम्मीदवार डा. मुकेश सिंह ने भी किया है।
जंगीपुर के सियासी समीकरणों पर एक नजर दौड़ाई जाए तो यहां पर करीब 70 हजार के आसपास यादव मतदाता हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर 65 हजार दलित मतदाता आते हैं। 20 हजार से अधिक राजभर जाति के मतदाता हैं। इसके साथ ही राजपूत, ब्राम्हण और भूमिहार और कायस्थ समाज को मिला दिया जाए तो इनका वोट करीब 80 हजार पहुंच जाएगा। करीब 20 हजार के आसपास मुस्लिम मतदाता भी हैं। कांग्रेस उम्मीदवार अजय राजभर मनिहारी ब्लाक के सालिकपुर बंतरिया गांव के रहने वाले हैं। जो जंगीपुर विधानसभा से सटा हुआ ब्लाक है। अजय राजभर कहते हैं कि वह जल्द ही चुनाव प्रचार शुरू करेंगे। कहा कि वह राजभरों के हक की लड़ाई लड़ेंगे। इस विधानसभा में उनके मुताबिक 40 हजार राजभर वोटर हैं। अन्य उम्मीदवार 20 हजार से अधिक राजभर वोटर नहीं मानकर चल रहे हैं। जंगीपुर की बदाहाली बड़ा मुद्दा होगा। यहां पर पहले जो भी विधायक चुने जाते हैं, सभी ने क्षेत्र के साथ छल किया है। ऐसे लोगों को इस बार जनता सबक सिखाएगी। कांग्रेस द्वारा अजय राजभर को मैदान में उतारने के पीछे सियासी पंडित इसे सोची समझी रणनीति का हिस्सा बताते हैं। उनका कहना है कि सपा द्वारा ओमप्रकाश राजभर की पार्टी से गठबंधन करने के बाद उसे राजभर वोट काफी संख्या में हर विधानसभा में मिलेगा। मगर जंगीपुर में राजभर उम्मीदवार आने से इसका सीधा नुकसान सपा प्रत्याशी को होगा। यहां पर सपा से डा. वीरेंद्र को पार्टी ने फिर मैदान में उतारा है। वीरेंद्र के साथ ही बसपा से डा. मुकेश सिंह जीत के लिए हुंकार भर रहे हैं। यहां पर सवर्ण मतदाता इस बार बसपा के साथ जाने के कारण सिर्फ सपा ही नहीं बल्कि भाजपा खेमे में हलचल का माहौल है। हालांकि जंगीपुर की सियासी तस्वीर भाजपा उम्मीदवार आने के बाद ही तय हो जाएगी। वैसे इस विधानसभा में जीत हार का अंतर पांच हजार के भीतर ही सिमट कर रह जाएगा।