क्सीन और दवाइयों से बचते बचते कोरोना बहरूपिया बन चुका है ताकि इसे पहचाना ना जा सके. जितना ज्यादा कोरोना अपना रूप बदलता जाएगा उतनी ही तेजी से फैलेगा और बीमारी बढ़ाएगा. वैक्सीन के प्रहार से बचने के लिए कोरोना का रंग-ढंग और संक्रमण का तरीका दूसरी वेव में बदला है. गंभीर मसला ये है कि जिन यंग लोगों को कोरोना हो रहा है बहुतों में कोई सिम्पट्म नहीं है और जिनमें लक्षण हैं वो कई बार टेस्ट होने के बाद भी नेगेटिव आ रहे हैं. लिहाजा सीटी स्कैन पर ही देखने से कोरोना की असल स्थिति का पता लग रहा है.
पिछली वेव में युवा लोग असिम्प्टोमैटिक या माइल्ड सिम्प्टमेटिक थे और ज्यादा संक्रमित नहीं हो रहे थे. बच्चों में इनफेक्शन बहुत कम था. नई वेव बच्चों में भी संक्रमण फैल रहा है और बच्चे बीमार भी हो रहे हैं. जबकि पिछली बार ये बड़े और बूढ़ों को ही इनफेक्ट कर रहा था. उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हास्पिटल्स के फाउंडर डायरेक्टर डॉ. शुचिन बजाज का कहना है कि ये नया ट्रेंड है कि घर में एक पॉजिटिव है तो सभी इनफेक्ट हो जा रहे हैं और बच्चे भी बीमार हो रहे हैं.
यानि नई वेब में बच्चों को बचाकर रखें. पुरानी वेब में सूंघने और टेस्ट की क्षमता कम होती थी बुखार और सूखी खासी होती थी. इस बार गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम यानि पेट से संबंधित उल्टी, दस्त, पेट में दर्द और आंखो में लाली आना और नाखूनों का रंग बदलना. शरीर में थकावट. जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं. इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर के मेडिकल डायरेक्टर एसएस छाबड़ा का कहना है कि देश भर में ही नहीं बल्कि विश्व में कोविड की नई वेव में बच्चे काफी प्रभावित हैं. कई असिम्प्टोमैटिक हैं.
पहले से ज्यादा संक्रमणकारी
पिछली बार 99000 हजार पर पीक था संक्रमण की रफ्तार नहीं रूकी तो इस वेव में दो लाख ज्यादा केसेज आने की आशंका है. दिल्ली में 8 हजार से 15 हजार मामले की आशंका है. ऐसे में अगर आईसीयू में गए तो स्थिति खतरनाक हो जाएगी. म्यूटेशन बहुत सारे दिख रहे हैं. कैलिफोर्निया, ब्राजील, यूके साउथ अफ्रीका, डबल म्यूटेशन वाले वैरियंट आ गए हैं. माना जा रहा है कि साउथ अफ्रीकन वैरियंट पर वैक्सीन उतना असर नहीं कर पा रही है.
वैक्सीन लेने के बाद भी कोरोना क्यों
अगर आपको लगता है कि एक बार संक्रमित होने के बाद आपको दूसरी बार कोरोना नहीं होगा तो आप गलत है. अगर आपको कोरोना हुआ है तो दोबारा होने का चांस 1 प्रतिशत ही है. ऐसे में वैक्सीन और सोशल दूरी का ध्यान देने की उतनी ही आवश्यकता है. पहली वेव में चीन में भी रिइनफैक्शन रिपोर्ट हुआ है. कोई भी वैक्सीन 100 प्रतिशत इफेक्टिव नहीं है. यानी दोनों डोज लगाने के बाद भी 5 में से 4 लोग सुरक्षित रहेंगे. ऐसे में एक शख्स के संक्रमित होने के चांस रहते हैं. लेकिन ये जरूर है कि वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद गंभीर बीमारी के चांस बहुत कम हैं. वैक्सीन सीट बेल्ट की तरह है जिससे एक्सीडेट नहीं होगा ये तय नहीं है, हां होने केस में सीरियस इंजरी नहीं होगी. दिल्ली सरकार के आचार्य भिक्षु अस्पताल में सीनियर डॉ. एस.के.काकरान का कहना है कि मास्क लगाइए. हाथो को मुंह आंख पर ना ले जाएं.दूरी बनाएं.तभी बचा जा सकता है.
प्रवासी मज़दूरों के पलायन की आशंका!
उधर, दिल्ली के मायापुरी इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी नीरज सहगल ने बताया कि नाइट कर्फ्यू के बाद से ही प्रवासी मजदूरों में डर का माहौल है. लेबर के मन में डर है कि लॉकडाउन कभी भी हो जाएगा. लिहाजा मजदूरों के बीच अफरा-तफरी है. दावा है कि मजदूर पलायन भी कर रहे हैं. सहगल ने सरकार से मांग की है कि इंडस्ट्रियल एरिया में लेबर को वैक्सीन लगने के लिए सरकार की तरफ से कैंप लगाए जाने चाहिए. जिससे कि प्रवासी मजदूरों को भरोसा दिलाया जा सके कि मजदूर पूरी तरह से सुरक्षित हैं.
ओखला चैबर ऑफ इंडस्ट्रीज के चैयरमैन अरूण पोपली ने कहा कि मजदूर बहाना बनाकर जाने लगे हैं. अधिकतर उद्योगों में रात में ही काम होता है ऐसे में नाइट कर्फ्यू से उद्योग धंधा चौपट हो जाएगा. अरूण पोपली का कहना है कि लॉकडाउन में गार्मेंट इंडस्ट्री को प्रवासी मजदूरों के पलायन की वजह से काफी घाटा हुआ है. थोड़ा बिजनेस उबर ही रहा था कि दिल्ली के नाइट कर्फ्यू ने मुश्किल बढ़ा दी है.
प्रवासी मजदूरो के पलायन से दिल्ली-एनसीआर के उद्योग धंधे काफी प्रभावित होंगे. मायापुरी के कारोबारी जेपी चौहान ने बताया कि ट्रेन का परिचालन पूरी तरह से बहाल भले ही ना हो बावजूद इसके बस या निजी वाहनों से मजदूरों के पलायन बढ़ेगा. वहीं, नादर्न रेलवे के चीफ पब्लिक रिलेशन ऑफिसर दीपक कुमार ने मजदूरों के पलायन को निराधार बताते हुए कहा कि 88 प्रतिशत ट्रेने चल रही है और सभी के लिए पर्याप्त साधन मौजूद हैँ.