कोरोना संक्रमण का नर्वस सिस्टम पर भी बुरा असर, पोस्ट कोविड में बेहद जरूरी न्यूरो केयर


पेशे से व्यापारी नरेश शर्मा (परिवर्तित नाम) कोरोना संक्रमित होने के कुछ दिनों बाद ठीक हो गए, लेकिन महीनेभर बाद ही उन्हें परिजनों को दोबारा से हॉस्पिटल लाना पड़ा। उन्हें न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाया गया, क्योंकि संक्रमित होने के बाद से उन्हें भूलने की समस्या होने लगी थी। वह छोटी-छोटी चीजें भी भूलने लगे थे, जो कोरोना संक्रमण से पहले कभी नहीं होता था। इस प्रकार के लक्षण कोविड के बाद शहर के कई मरीजों में देखने को मिल रहे हैं। इसे पोस्ट कोविड सिन्ड्रोम कहा जाता है। पोस्ट कोविड सिन्ड्रोम का मतलब है, कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज नेगेटिव होने के बाद भी कई दिनों या महीनों तक उससे जुड़े लक्षणों या दुष्प्रभावों का अनुभव करता रहता है। दिमाग में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचने से नुकसान
कोरोना संक्रमण के बाद कई मरीजों में नसों में सुन्न होना, अवसाद, भूलने की बीमारी जैसे लक्षण देखें गए है। यानी कोरोना वायरस ब्रेन एवं तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित कर सकता है। नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पृथ्वी गिरी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौरान कुछ मरीजों में ऑक्सीजन की काफी कमी हो जाती है। इस कारण उनके मस्तिष्क पर गहरा दुष्प्रभाव पड़ता है। इसे हाईपोक्सिक ब्रेन इंजरी कहा जाता है। इसके अलावा कोरोना संक्रमण के बाद सिरदर्द, लकवा व मिर्गी होने की संभावना का बढ़ जाना, सूंघने की क्षमता का कम होना, थकावट व कमजोरी, यादाश्त में कमी, शरीर के किसी अंग का सुन्न पड़ना, नींद न आना या नसों में शिथिलता का पैदा होना के लक्ष्ण सामने आ रहे हैं। यह लक्षण कई दिनों तक ठीक नहीं होते है तो मरीज को पोस्ट कोविड रिकवरी की आवश्यकता है।

ऐसे करें बचाव
डॉ. गिरी ने बताया कि पोस्ट कोविड रिकवरी प्रोग्राम में मरीज के लक्षणों का सही निदान एवं उपचार, फिजियोथेरेपी व सही पोषण से मरीज को जल्द रिकवर किया जा सकता है। जो लोग पहले से ही न्यूरो संबंधी बीमारी से ग्रसित हैं और कोरोना की चपेट में आए हैं, उन्हें पोस्ट कोविड रिकवरी प्रोग्राम की ज्यादा जरूरत है।