कोरोना वायरस के लक्षण क्या हैं और कैसे कर सकते हैं बचाव, बच्चों में दिखे ये लक्षण तो सचेत हो जाएं


ब्रिटिश रिसर्चरों ने दावा किया है कि बच्चों में दस्त, उल्टी और पेट में ऐंठन- कोरोना वायरस के लक्षण हो सकते हैं.

क्वींस यूनिवर्सिटी बेलफास्ट ने बच्चों पर अध्ययन कर रहा है और उसके मुताबिक जिन लक्षणों पर नज़र रखी जा रही है, उसमें इसे भी जोड़े जाने की ज़रूरत है.

मौजूदा समय में कोरोना वायरस के तीन ही आधिकारिक लक्षण हैं- बुख़ार, खांसी और स्वाद या गंध की पहचान का जाना. इसमें से कोई भी लक्षण होने पर व्यक्ति को आइसोलेशन में रहने की सलाह दी जाती है और उनका टेस्ट कराया जाता है.

लेकिन बच्चों को लेकर ब्रिटिश रिसर्चरों के इस अध्ययन से लग रहा है कि इस सूची में बढ़ोत्तरी हो सकती है. इस अध्ययन में करीब एक हज़ार बच्चों को शामिल किया गया. मेडरेक्सि में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक 992 बच्चों में 68 के शरीर में वायरस के एंटीबॉडीज देखने को मिले हैं.

जिन बच्चों में एंटीबॉडीज पाया गया है उनमें से आधे को कोविड-10 के निर्धारित लक्षण भी देखने को मिले हैं. हालांकि इनमें से किसी भी बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत नहीं आयी है.

इस शोध दल के प्रमुख डॉ. टॉम वाटरफ़ील्ड ने बताया, “राहत की बात यह है कि बच्चे वायरस से बहुत बीमार नहीं हुए हैं. लेकिन हम ये नहीं जानते हैं कि उनसे वायरस कितने बच्चों तक पहुंचा है. हमारे अध्ययन से दस्त और उल्टी बच्चों में लक्षण के तौर पर देखे गए हैं. हमलोग इसे आधिकारिक लक्षण की सूची में जोड़ने पर विचार कर रहे हैं.”

अमरीकी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल ने कोविड-19 के संभावित लक्षणों में जी मितलाना, उल्टी और दस्त आने को शामिल किया है.

इससे पहले ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस ने कोरोना वायरस के तीन लक्षणों को चिन्हित किया हुआ है.

इन लक्षणों का अंदाज़ा होते ही आपको सचेत होना है और तमाम एहितायात बरतने होंगे, जिसमें चिकित्सीय सलाह लेना भी शामिल है.

क्या हैं ये तीन लक्षण

लगातार खांसी का आना- इस कारण लगातार खांसी हो सकती है यानी आपको एक घंटे या फिर उससे अधिक वक्त तक लगातार खांसी हो सकती है और 24 घंटों के भीतर कम से कम तीन बार इस तरह के दौरे पड़ सकते हैं. लेकिन अगर आपको खांसी में बलग़म आता है तो ये भी चिंता की बात हो सकती है.

बुख़ार- इस वायरस के कारण शरीर का तापमान 37.8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है जिस कारण व्यक्ति का शरीर गर्म हो सकता है और उसे ठंडी महसूस हो सकती है.

गंध और स्वाद का पता नहीं चलना- विशेषज्ञों का कहना है कि बुख़ार और खांसी के अलावा यह भी वायरस संक्रमण का वह संभावित महत्वपूर्ण लक्षण हैं जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए.

ऐसे में अगर आप या आप जिन लोगों के साथ रहते हों उनमें किसी में ये लक्षण हों तो उन्हें घर में ही खुद को सेल्फ़ आइसोलेट करना चाहिए ताकि यह संक्रमण दूसरों तक नहीं पहुंचे.

अमरीकी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक ठंड लगना, कंपकंपी महसूस होना, मासंपेशियों में दर्द और गले में खराश होना भी कोरोना वायरस की चपेट में आने के संकेत हो सकते हैं.

माना जा रहा है कोरोना वायरस के लक्षण दिखना शुरु होने में औसतन पांच दिन का वक्त लग सकता है लेकिन कुछ लोगों में ये वक्त कम भी हो सकता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार वायरस के शरीर में पहुंचने और लक्षण दिखने के बीच 14 दिनों तक का समय हो सकता है.

कब होती है अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत?

जिन लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण है उनमें से अधिकतर लोग आराम करने और पैरासिटामॉल जैसी दर्द कम करने की दवा लेने से ठीक हो सकते हैं.

अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत तब होती है जब व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत आनी शुरू हो जाए. मरीज़ के फेफड़ों की जांच कर डॉक्टर इस बात का पता लगाते हैं कि संक्रमण कितना बढ़ा है और क्या मरीज़ को ऑक्सीजन या वेंटिलेटर की ज़रूरत है.

लेकिन इसमें मरीज़ को अस्पताल के आपात विभाग यानी ऐक्सीडंट एंड इमर्जेंसी में भर्ती होने की ज़रूरत नहीं होती.

भारत में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की वेबसाइट पर कोरोना संक्रमण से जुड़ी हर जानकारी दी गई है. ब्रितानी नागरिक एनएचएस111 की वेबसाइट पर कोरोना से जुड़ी सभी जानकारी ले सकते हैं.

अगर मरीज़ को सांस लेने में काफी परेशानी हो रही है तो वो भारत सरकार के हेल्पलाइन नंबर +91-11-23978046 या फिर 24 घंटों चलने वाले टोल फ्री नंबर 1075 पर संपर्क कर सकते हैं. देश के विभिन्न राज्यों ने भी नागरिकों के लिए हेल्पलाइन शुरु किए हैं जहां ज़रूरत पड़ने पर फ़ोन किया जा सकता है.

वहीं ब्रिटेन में इमर्जेंसी की स्थिति में व्यक्ति 999 नंबर पर संपर्क कर सकते हैं.

इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में क्या होता है?

इंटेंसिव केयर यूनिट अस्पताल के ख़ास वार्ड होते हैं जहां गंभीर रूप से बीमार मरीज़ों को रखा जाता है.

यहां कोरोना वायरस के मरीज़ों के ऑक्सीजन की ज़रूरत को मुंह पर ऑक्सीजन मास्क लगा कर या फिर नाक में ट्यूब के ज़रिए पूरा किया जाता है.

जो लोग गंभीर रूप से बीमार हैं उन्हं वेंटिलेटर पर रखा जाता है. यहां सीधे फेफड़ों तक ऑक्सीजन की अधिक सप्लाई पहुंचाई जाती है. इसके लिए मरीज़ के मुंह में ट्यूब लगाया जाता है या फिर नाक या गले में चीरा लगा कर वहां से फेफड़ों में ऑक्सीजन दिया जाता है.

अगर कोरोना के माइल्ड लक्षण हों तो क्या करें

जिन लोगों को कोरोना के माइल्ड लक्षण हों उन्हें खुद को सात दिनों के लिए घर में ही सेल्फ़ आइसोलेट कर लेना चाहिए.

विशेषज्ञों की सलाह के मुताबिक कोरोना के माइल्ड लक्षण दिखने पर सीधे अस्पताल जाने से बचना चाहिए. लेकिन ज़रूरत पड़ने पर चिकित्सकों से संपर्क कर सकते हैं.

ख़ुद को कोरोना वायरस से कैसे बचाएं?

कोरोना वायरस यानी ‘कोविड 19’ से बचने के लिए आप नियमित रूप से अपने हाथ साबुन और पानी से अच्छे से धोएं.

जब कोरोना वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उसके थूक के बेहद बारीक कण हवा में फैलते हैं. इन कणों में कोरोना वायरस के विषाणु होते हैं.

संक्रमित व्यक्ति के नज़दीक जाने पर ये विषाणुयुक्त कण सांस के रास्ते आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं.

अगर आप किसी ऐसी जगह को छूते हैं, जहां ये कण गिरे हैं और फिर उसके बाद उसी हाथ से अपनी आंख, नाक या मुंह को छूते हैं तो ये कण आपके शरीर में पहुंचते हैं.

ऐसे में खांसते और छींकते वक्त टिश्यू का इस्तेमाल करना, बिना हाथ धोए अपने चेहरे को न छूना और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं.

चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार फ़ेस मास्क इससे प्रभावी सुरक्षा प्रदान नहीं करते.

कितना घातक है कोरोना वायरस?

कोरोना वायरस के संक्रमण के आँकड़ों की तुलना में मरने वालों की संख्या को देखा जाए तो ये बेहद कम हैं. हालांकि इन आंकड़ों पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता, लेकिन आंकड़ों की मानें तो संक्रमण होने पर मृत्यु की दर केवल एक से दो फ़ीसदी हो सकती है.

56,000 संक्रमित लोगों के बारे में एकत्र की गई जानकारी आधारित विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक अध्ययन बताता है कि –

  • 6 फ़ीसदी लोग इस वायरस के कारण गंभीर रूप से बीमार हुए. इनमें फेफड़े फेल होना, सेप्टिक शॉक, ऑर्गन फेल होना और मौत का जोखिम था.
  • 14 फ़ीसदी लोगों में संक्रमण के गंभीर लक्षण देखे गए. इनमें सांस लेने में दिक्क़त और जल्दी-जल्दी सांस लेने जैसी समस्या हुई.
  • 80 फ़ीसदी लोगों में संक्रमण के मामूली लक्षण देखे गए, जैसे बुखार और खांसी. कइयों में इसके कारण निमोनिया भी देखा गया.

कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बूढ़ों और पहले से ही सांस की बीमारी (अस्थमा) से परेशान लोगों, मधुमेह और हृदय रोग जैसी परेशानियों का सामना करने वालों के गंभीर रूप से बीमार होने की आशंका अधिक होती है.

कोरोना वायरस का इलाज इस बात पर आधारित होता है कि मरीज़ के शरीर को सांस लेने में मदद की जाए और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाए ताकि व्यक्ति का शरीर ख़ुद वायरस से लड़ने में सक्षम हो जाए.

कोरोना वायरस का टीका बनाने का काम अभी चल रहा है. अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो आपको कुछ दिनों के लिए ख़ुद को दूसरों से दूर रहने की सलाह दी जा सकती है.

पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने कहा है कि जिन्हें लगता है कि वो संक्रमित हैं वो डॉक्टर, फार्मेसी या अस्पताल जाने से बचें और अपने इलाक़े में मौजूद स्वास्थ्य कर्मी से फ़ोन पर या ऑनलाइन जानकारी लें.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी लोगों के लिए एहतियात बरतने के तरीक़ों के बारे में जानकारी जारी की है.

संक्रमण के लक्षण दिखने पर व्यक्ति को अपने स्थानीय स्वास्थ्य सेवा अधिकारी या कर्मचारी से संपर्क करना चाहिए. जो लोग बीते दिनों कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं उनकी जांच की जाएगी.

अस्पताल पहुंचने वाले सभी मरीज़ जिनमें फ्लू (सर्दी ज़ुकाम और सांस लेने में तकलीफ) के लक्षण हैं, स्वास्थ्य सेवा अधिकारी उनका परीक्षण करेंगे.

परीक्षण के नतीजे आने तक आपको इंतज़ार करने और दूसरों से खुद को दूर रखने के लिए कहा जाएगा.

क्या है कोरोना संक्रमण की ताज़ा स्थिति

रोज़ दुनिया भर में कोरोना वायरस के हज़ारों मामले सामने आ रहे हैं. लेकिन ये भी माना जा रहा है कि अब भी कई मामले स्वास्थ्य एजेंसियों की नज़र से बच गए होंगे.

अमरीका स्थित जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी की डैशबोर्डके मुताबिक़ दुनिया भर में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या तीन करोड़26लाख के पार हो गई है.अब तक इस महामारी से नौ लाख 88 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

अमरीका कोरोना से सबसे ज़्यादा प्रभावित देश बना हुआ है. अमरीका में 70 लाख 33 हज़ार से ज़्यादा लोग संक्रमित हैं जबकि वहां अब तक दो लाख चार हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

संक्रमण के लिहाज से भारत दूसरे पायदान पर है जहां संक्रमितों की संख्या 60 लाख पहुंचने वाली है जबकि मरने वालों की संख्या 94 हज़ार के आसपास पहुंच गई है.

ब्राज़ील में कोरोना संक्रमितों की संख्या क़रीब 46 लाख 89 हज़ार हो चुकी है जबकि वहां मरने वाले लोगों की संख्या एक लाख 40 हज़ार से ज़्यादा है.

मरने वालों के लिहाज से देखें तो चौथे पायदान पर मैक्सिको है जहां अब तक क़रीब 76 हज़ार लोगों की मौत हुई है, संक्रमण के लिहाज से यहां सात लाख 20 हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आए हैं.

संक्रमितों के लिहाज से चौथे पायदान पर रूस है जहां 11 लाख से ज़यादा लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. वहां मरने वाले लोगों की संख्या 20 हज़ार से पहुंचने वाली है.