नई दिल्ली,। भारत में कोरोना से पिछले एक साल में लाखों लोगों की जान चली गई है। लेकिन कोरोना से मौत के आंकड़ो को लेकर हाल ही में अलग-अलग तरह की रिपोर्ट सामने आई कि मरने वालों की संख्या बताई गई संख्या से 5-7 गुना अधिक है। लेकिन इन रिपोर्ट को सरकार ने खारिज किया है। इकोनॉमिस्ट में छपी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या असल में 5-7 गुना अधिक है। सरकार की ओर से इन आंकड़ों को खारिज करते हुए कहा गया कि लेख में कल्पना पर आधारित है, जिसका कोई आधार नहीं है और पूरी तरह से गलत जानकारी देता है। बिना किसी तथ्य के इस आर्टिकल को लिखा गया है।
आंकड़ों को सरकार ने बताया काल्पनिक
सरकार की ओर से कहा गया है कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के कोरोना से मरने वालों के आंकड़े आईसीएमआर द्वारा स्थापित प्रणाली के आधार पर ही इकट्ठा किए गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय लगातार हर रोज अलग-अलग शहरों के आंकड़े बृहद मॉनिटरिंग के आधार पर इकट्ठा कर रहा है। इंटरनेशनल मैग्जीन में दावा किया गया है कि कोरोना से मरने वालों की संख्या कहीं अधिक है वह निराधार है। मैग्जीन में आंकड़ों को इकट्ठा करने का तरीका भी नहीं बताया गया है। यह शोध मुख्य रूप से वर्जीनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी के क्रिस्टोफर लैफलर ने किया है जोकि इंटनेट सर्चऔर रिसर्च पर आधारित है।
आंकड़े इकट्ठा करने वाली संस्था पर ही सवाल
मैग्जीन में आंकड़ों को लेकर जो तथ्य रखे गए हैं उसमे तेलंगाना के आंकड़े बीमा के आधार पर दिए गए हैं। इसमे भी कोई वैज्ञानिक तरीका नहीं अपनाया गया है। दो अन्य शोध किए गए हैं वो प्रश्नम और सी वोटर के आधार पर किए गए हैं। लेकिन ये दोनों ही संस्था चुनाव के आंकड़े जुटाने का काम करती हैं इनके पास स्वास्थ्य के आंकड़ों को लेकर किसी भी तरह का कोई अनुभव नहीं है। यही नहीं चुनावी पोल देने के इनके तरीके पर कई बार सवाल खड़े हो चुके हैं और इनके आंकड़े कई बार गलत भी साबित हुए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक पर आधारित सरकार की पद्धति
सरकार की ओर से जो बयान जारी किया गया है उसमे कहा गया है कि मैग्जीन के लेख में खुद कहा गया है कि ये आंकड़ो को स्थानीय सरकार अक्सर विश्वसनीय नहीं मानती है। 20 मार्च 2020 में आईसीएमआर की ओर से जो गाइडलाइन जारी की गई थी उसमे भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या के आंकलन के लिए आईसीडी-10 कोड का इस्तेमाल किया जाता है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ही तैयार किया गया हैा।