नई दिल्ली,। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश को एक और बड़ी सफलता मिलने जा रही है। जल्द ही देश में दूसरी कोरोना वायरस की वैक्सीन लोगों को लगाई जाएगी। देश में कोरोना वायरस के टीकाकरण की रफ्तार को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने हैदराबाद की कंपनी की 30 करोड़ स्वदेशी वैक्सीन को एडवांस में बुक किया है। यह कंपनी हैदराबाद में स्थित है, जिसका नाम Biological-E है। कंपनी कोरोना की वैक्सीन का अभी क्लीनिकल ट्रायल कर रही है। लेकिन ट्रायल के दौरान ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऑर्डर बुक कर दिए हैं और कंपनी को 1500 करोड़ रुपए की राशि एडवांस में देने की बात कही गई है। यह भारत की दूसरी स्वदेशी कोरोना वैक्सीन होगी। इससे पहले भारत बायोटेक की कोवाक्सीन देश की पहली कोरोना वायरस की वैक्सीन है।
वैक्सीन की कमी के चलते घिरी सरकार
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि कंपनी कोरोना की वैक्सीन का उत्पादन और इसका भंडारण अगस्त से दिसबंर माह के बीच करेगी। दरअसल जिस तरह से केंद्र सरकार की कोरोना वायरस की वैक्सीन नीति पर लगातार सवाल उठ रहे हैं और विपक्ष हमलावर है उसके बाद सरकार की ओर से यह बड़ा कदम उठाया गया है। मार्च और अप्रैल माह के दौरान जब कोरोना की दूसरी लहर देश में आई तो वैक्सीन की भारी कमी देश को झेलनी पड़ी, जिसकी वजह से सरकार को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था। यही वजह है कि सरकार ने वैक्सीन के निर्यात पर रोक लगाई और वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम को भी रोक दिया, जिससे कि देश में कोरोना वैक्सीन की कमी को दूर किया जा सके।
क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण में वैक्सीन
बता दें कि बायोलॉजिकल ई वैक्सीन फिलहाल क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण में है, पहले और दूसरे चरण में इस वैक्सीन ने अच्छे नतीजे दिखाए थे। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह वैक्सीन अगले कुछ महीनों में उपलब्ध होगी। कोवाक्सिन और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के कोवीशील्ड, रूस के स्पूतनिक V का भी जल्द ही टीकाकरण में इस्तेमाल किया जाएगा। सरकार ने जून माह में एक करोड़ लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा है। साथ ही विदेशी वैक्सीन फाइजर, मॉडर्ना को भी लाने की कोशिश जारी है।
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स्वदेशी वैक्सीन योजना
गौरतलब है कि बायोलॉजिकल ई का परीक्षण किए जाने के बाद इसे स्वीकृति के लिए वैक्सीन एडमनिस्ट्रेशन फॉर कोविड यानि NEGVAC के पास भेजा गया है। सरकार की ओर से कहा गया है कि बायोलॉजिकल ई को 100 करोड़ रुपए की वित्तीय मदद बायोटेक्नोलॉजी विभाग की ओर से दी गई है, जोकि वैक्सीन के शोध में साझेदार है। सरकार ने स्वदेशी वैक्सीन के विकास के लिए योजना शुरू की है इसी योजना के तहत स्वदेशी कंपिनियों को कोरोना की वैक्सीन के शोध और उत्पादन में मदद की जा रही है।