डिजाइन व रंगों से है भारतीय कालीन की पहचान


भदोही। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद द्वारा भारत के महावाणिज्य दूतावास अटलांटा के सहयोग से एक वर्चुअल बायर सेलर मीट का आयोजन किया गया। यह वेबीनार विशेष रूप से सीईपीसी द्वारा आयोजित 42वें इंडिया कारपेट एक्सपो के निर्यातकों के लिए निर्धारित किया गया था, जिसमें सीजीआई अटलांटा द्वारा आमंत्रित यूएसए के खरीददारों से बातचीत किया गया। इस वेबीनार में महावाणिज्य दूतावास अटलांटा से मदन कुमार ने वेबीनार में बड़ी संख्या में खरीदार-विक्रेताओं के भाग लेने पर धन्यवाद दिया, डॉ स्वाति कुलकर्णी वाणिज्य दूतावास ने कहा कि भारत और दक्षिण पूर्व यूएसए के बीच एक मजबूत और महत्वपूर्ण बंधन है जो वर्षों से व्यापार और निवेश पर गति रखे हुए हैं, उन्होंने यह भी कहा कि भारत से 2019 में 40 निर्यातक सदस्यों ने डोमोटेक्स प्रदर्शनी में सीईपीसी द्वारा भाग लिया था । भारतीय कालीन अपने तरह-तरह के डिजाइन और रंगो से पहचाने जाते हैं । उन्होंने यह भी कहा कि कालीन भारत का एक महत्वपूर्ण उद्योग है । इस उद्योग से लाखों बुनकर महिला पुरुष जुड़े हुए हैं। भारत का कालीन यूएसए यूके आॅस्ट्रेलिया सहित 70 से अधिक देशों को निर्यात होता है ।
अध्यक्ष सीईपीसी ने कहा कि भारत में कालीन का निर्यात हर वर्ष बढ़ रहा है उन्होंने कहा कि कालीनो की उत्कृष्ट पहचान के लिए भारत सरकार द्वारा जी आई सर्टिफिकेट लागू किया गया है। भारतीय कालीन को 7 जी आई सर्टिफिकेट में विभाजित किया गया है जिसमें भदोही का हस्तनिर्मित कालीन मिर्जापुर की हस्तनिर्मित दरी गाजीपुर वारंगल दरी इत्यादि शामिल है उन्होंने कहा कि इंडिया कारपेट एक्सपो एशिया का बहुत बड़ा कालीन मेला है । सी ई पी सी द्वारा अभी तक 41 कालीन मेला भारत में सफलतापूर्वक लगाया जा चुका है।परिषद के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रशासनिक समिति के सदस्य महावीर प्रताप शर्मा ने वेबीनार में उपस्थित भारत के महावाणिज्य दूतावास एवं उपस्थित सभी सदस्यों का स्वागत किया।