बाबा का अर्धनारीश्वर रूप देख भक्त निहाल


वाराणसी (काशीवार्ता)। सावन के तीसरे सोमवार , हरियाली और सोमवती अमावस्या के साथ सर्वसिद्धि योग, अमृत योग, सिद्धि योग के दुर्लभ संयोग में शिवभक्तों ने काशी पुराधिपति के दरबार में हाजिरी लगाई। दरबार में मत्था टेक श्रद्धालुओं ने घर परिवार में सुख शान्ति के साथ कोरोना संकट से मुक्ति देने की कातर गुहार भी लगाई। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर हर-हर महादेव के नारों से गुजांयमान रहा।
कोरोना संकट काल में सुबह पांच बजे से बाबा के अर्धनारीश्वर स्वरूप की झांकी का दर्शन और जलाभिषेक के लिए श्रद्धालु शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए बैरिकेडिंग में कतार बद्ध होने लगे। रात 3.30 पर बाबा का भव्य श्रृंगार,भोग मंगला आरती के बाद मंदिर का पट भक्तों के लिए खुल गया। रेड कार्पेट पर चलकर भक्त मंदिर के प्रवेश द्वारों पर पहुंचे। कोरोना के चलते मंदिर के तीनों प्रवेश द्वारों पर थर्मल स्कैनर से होकर शिव भक्तों को गुजरना पड़ रहा है। मंदिर में प्रवेश से पहले उन्हें सैनिटाइज कर शारीरिक दूरी के नियमों का पालन कराते हुए मंदिर में एक बार में केवल 5 ही लोगों को प्रवेश दिया जा रहा है। दरबार में शिव भक्तों को सिर्फ झांकी दर्शन ही मिल रहा है। दर्शन पूजन के लिए आये श्रद्धालु,डाकबम सुबह आठ बजे के बाद हुई जोरदार बारिश में भी कतारबद्ध रहे। दर्शन के लिए अपनी बारी का पूरे श्रद्धाभाव से इंतजार करते रहे। मंदिर में मैदागिन की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं को गेट नंबर 4 के पांचों पांडव द्वार से प्रवेश दिया जा रहा है, जहां से श्रद्धालु रानी भवानी उत्तरी होते हुए गर्भ गृह के पूर्वी द्वार पर दर्शन कर दूसरे मार्ग से बाहर जा रहे हैं। दूसरा मार्ग गेट नंबर 4 छत्ता द्वार है जिसमें श्रद्धालु बद्रीनाथ द्वार से प्रवेश करते हुए गर्भगृह के उत्तरी दरवाजे पर दर्शन करते हुए पुन: उसी दरवाजे से बाहर श्रृंगार गौरी की तरफ से वापस आ रहे हैं। तीसरा मार्ग बांस फाटक से आने वाले श्रद्धालु ढुंढिराज गणेश, अन्नपूर्णा मंदिर होते हुए अभी मुक्तेश्वर द्वार से प्रवेश कर रहे हैं और गर्भगृह के दक्षिणी दरवाजे पर बाबा का दर्शन कर हनुमान मंदिर द्वार से होते हुए नंदू फारिया गली से बाहर निकल रहे हैं। पूरे मंदिर परिक्षेत्र में सुरक्षा का व्यापक इंतजाम किया गया है। एसपी सिटी विकास चंद्र त्रिपाठी और दशाश्वमेध सीओ अवधेश पांडेय फोर्स के साथ मंदिर परिक्षेत्र में चक्रमण करते रहे।

सावन के तीसरे सोमवार में दुर्लभ संयोग
इस बार सावन माह का तीसरा सोमवार दुर्लभ संयोग में है। लगभग 20 साल बाद तीसरे सोमवार को हरियाली और सोमवती अमावस्या का संयोग है। इसमें पुनर्वसु नक्षत्र, हर्षण योग, चतुष्पद करण, सर्वार्थसिद्धि योग का एक साथ होना सुखद संयोग है। आज के दिन कई नक्षत्रों का शुभ संयोग में काशी पुराधिपति की पूजा आराधना से सारे संकट से श्रद्धालु मुक्त हो जाएंगे। पांच ग्रह चंद्रमा, बुध, गुरु, शुक्र व शनि अपनी-अपनी राशियों में रहेंगे। इन पांच ग्रहों के अपनी-अपनी राशियों में रहने से पूजा का महत्व अधिक है। बाबा के अर्धनारीश्वर रूप की आराधना से विवाहितों का दाम्पत्य जीवन अच्छा चलता है तो अविवाहितों को योग्य वर मिलने के भी योग बनते हैं।