वाराणसी(काशीवार्ता)। औघड़ गुरुपद संभव राम ने कहा कि आजकल के समय-काल का दोष है या इस युग का दोष है कि हमारा श्रद्धा-विश्वास और लगाव जहां होना चाहिए, वहां से विरत हो गया है। हमारा समाज, शिक्षण-संस्थाएं, माता-पिता, भाई-बंधु सिखाने में असमर्थ हो चुके हैं। जीवन भी थोड़ा दूभर हो गया है, सबको सबकुछ चाहिए। सब चीजों को हमें समय-काल-परिस्थिति के हिसाब से समझना होगा। हम जो भी विचार सुनते हैं उसको अपने मापदंडों से तौलें। अपनी संतुष्टि के लिए हर चीज की व्याख्या हमलोग बहुत आसानी से कर देते हैं। हमें यह समझना होगा कि वास्तविकता है क्या, क्योंकि हमलोग वास्तविकता से बहुत दूर चले गए हैं, इतना दूर चले गए हैं कि यह सब चीजें समझ में आती भी नहीं हैं, बड़ा दुर्भाग्य है। आज सोचना पड़ रहा है कि कोई कुछ कह रहा है तो वह सही है कि नहीं है। वह ऐसे झूठ बोलेगा तो लगेगा कि सत्य ही बोल रहा है। हम झूठ या खराब चीजों को जल्दी ग्रहण करते हैं। आज सब लोग आगे बढ़ रहे हैं, सब कुछ कर रहे हैं, लेकिन परिवार टूट रहे हैं। परिवार तो छोड़िए, आपस के संबंध टूट रहे हैं, भाई-भाई, पति-पत्नी, माता-पिता तथा बालक-बालिकाएं सब एक-दूसरे से दूर ही होते जा रहे हैं। पाश्चात्य देशों की संस्कृति से अभी तक हमलोग प्रभावित हैं। अभी की पीढ़ी अर्थ के अलावा कुछ समझती भी नहीं। अर्थ से ही हम अपने भाइयों, बहनों, माता-पिता, गुरुजनों, सज्जनों व महापुरुषों को तौल देते हैं। उक्त बातें पड़ाव स्थित सर्वेश्वरी समूह की ओर से आयोजित तीन दिवसीय गुरु पूर्णिमा महोत्सव के अंतिम दिन महिला युवा गोष्ठी में परमपूज्य गुरुपद बाबा संभवराम ने कही। पूज्य बाबा ने कहा कि घर-द्वार या महल से ही घर-परिवार नहीं होता, घर-परिवार तो प्रेम भाव से बनता है,लेकिन आज एक-दूसरे को प्रताड़ित कर रहे हैं और घर को नर्क बना रखे हैं। हमारे कर्म और हमारे संस्कार यदि दूषित हो गए तो उसका परिणाम हमें भोगना ही होगा। मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो अपनी कमजोरियों पर नियंत्रण कर सकता है। गोष्ठी की अध्यक्षता पटना की प्रीति सिंह ने की। इस मौके पर रेनू सिंह, किरन, सोनी, पीसीएस अधिकारी शिल्पी यादव, अनूप सिन्हा, पूर्णिमा, प्रियांशु प्रिया, कृष्णमोहन, तुरबान (मानस), संतोष मिश्रा, राजेश मिश्रा तथा दिव्याम्बर सिंह ने अपने विचार व्यक्त किये। नचिकेता ने भजन प्रस्तुत किया और सुष्मिता ने मंगलाचरण किया। संचालन नीतू सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. एसपी सिंह ने किया। विशेष उल्लेखनीय है कि इस अवसर दूर-दूर से आये हुए श्रद्धालुओं को विदाई स्वरुप प्रसाद के साथ ही एक-एक पौधे भी दिए गए। पर्यावरण के रक्षार्थ संस्था की तरफ से कुल 2500 फलदार व छायादार पौधों का वितरण किया गया।
सर्वेश्वरी समूह ने श्रद्धालुओं में वितरित किए 2500 फलदार व छायादार पौधे