डा. मृगेंद्र ने संगीता को संगीत बनाकर रचा था इतिहास


वाराणसी (काशीवार्ता)। 1994 में बेल्लौर में पीडियाट्रिक चिकित्सक के रूप में कार्य शुरू करने वाले डॉ.मृगेंद्र की शादी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ.मधुलिका राय से हुई, जिसके पश्चात वे दोनों वाराणसी आ गए और कबीरचौरा क्षेत्र में कबीर पीडियाट्रिक सर्जिकल हास्पिटल से अपने चिकित्सा सेवा की शुरूआत की।लेकिन कुछ वर्ष बाद इसे बंद करना पड़ा।इसी बीच डॉ.मधुलिका राय ने वर्ष 1996 में नेवादा, सुंदरपुर में केयर मैटर्निटी होम के नाम से अस्पताल की शुरूआत की। वर्ष 1997 में इसका नाम केयर सर्जिकल एंड मैटर्निटी होम रख दिया गया। वर्तमान में इसे केयर हास्पिटल के नाम से जाना जाता है। डा.मृगेंद्र ने यहां 1997 से निजी तौर पर पीडियाट्रिक सर्जरी की सेवा देनी शुरू की। 1998 में प्रदेश का पहला कंज्वाइंड ट्विन (सियामस ट्विन) का आपरेशन किया। डॉ.मृगेंद्र ने बताया कि जैतपुरा निवासी बुनकर अपनी बच्ची जो कि पेट से एक-दूसरे से जुड़ी थीं, को लेकर बहुत परेशान था। चिकित्सकों ने दिल्ली ले जाने की सलाह दी। कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर बुनकर ने मुझपर भरोसा जताया। उस वक्त मैं लक्सा स्थित रामकृष्ण मिशन अस्पताल में तैनात था, बुनकर की आर्थिक दशा को देखते हुए उसे रामकृष्ण मिशन अस्पताल ले आने की सलाह दी। आपरेशन के लिए मैंने दो टीमें तैयार की और आपरेशन कर उन्हें अलग किया। हालांकि कुछ समय पश्चात उनमें से एक की डायरिया से मृत्यु हो गई। दूसरी सामान्य जीवन जी रही है। डॉ. मृगेंद्र व डॉ.मधुलिका के पुत्र श्रीश व उत्कर्ष हैं। बड़ा वाराणसी में ही अपना बिजनेस करता है तो वहीं दूसरा बेटा सिडनी में पढ़ाई कर रहा है। डॉ.मृगेंद्र ने अब तक तो कई आपरेशन किए हैं, लेकिन 2004 में संगीता को संगीत बना कर उन्होंने इतिहास रच दिया था। हालांकि अमेरिका में इससे काफी पहले इस तरह के आॅपरेशन हो चुके हैं लेकिन भारत में इस तरह का यह अनोखा आॅपरेशन था। जिसके बाद डा. मृगेंद्र सुर्खियों में आ गये। बता दें कि संगीता कक्षा नौ में पढ़ती थी, उसने सेक्स बदल कर पुरुष बनने की इच्छा जाहिर की। दरअसल, उसमें पुरुषों वाली बात थी। डा. मृगेंद्र ने उसका आपरेशन कर उसका सेक्स बदल दिया तथा उसे पुरुष बना दिया।यह मामला इतना चर्चित हुआ कि कई दिनों तक इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया में छाया रहा। डॉ.मृगेंद्र ने बताया कि अब तक वे दर्जनों आइकॉनिक आपरेशन कर चुके हैं, जो मेडिकल साइंस के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुआ।


स्कूल में क्रिकेट टीम के कैप्टन थे
डॉ.मृगेंद्र का मानना है कि स्वस्थ मन-मस्तिष्क के लिए स्वस्थ तन की जरूरत होती है। इसलिए मैंने हमेशा पढ़ाई के साथ खेल को तरजीह दी। संपूर्ण शारीरिक विकास के लिए आउटडोर गेम बेहद जरूरी है। एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान क्रिकेट टीम का कैप्टन होने के साथ ही कालेज की टीम में भी रहे। इसके अलावा लिस्टर ओस्लर हाउस एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी थे। डॉ.मृगेंद्र क्रिकेट के अलावा नियमित रूप से बैडमिंटन भी खेलते रहे। 1997 में डॉ.मृगेंद्र ने पहली बार पीडियाट्रिक ब्रकोस्कोपी व नियो नेटल सिस्टोस्कोपी शुरू की। तब ये दोनों सेवाएं बीएचयू में भी नहीं थी।
दुनिया देखने का शौक
डॉ.मधुलिका को धार्मिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक किताबें पढ़ने के साथ ही दुनिया की ऐतिहासिक चीजो को जानने व देखने का शौक है।
खेल के प्रति भी
रही दीवानगी

डॉ.मृगेंद्र की ही तरह डॉ.मधुलिका का भी खेल से लगाव रहा। इन्होंने पढ़ाई के साथ ही खेल को तरजीह दी।उनका मानना है कि संपूर्ण शारीरिक विकास के लिए आउटडोर गेम बेहद जरूरी हैं। एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान बैडमिंटन खेलती थी, जो आज भी जारी है।वे कहती हैं हर व्यक्ति को स्वस्थ्य रहने के लिए नियमित खेल या योग अभ्यास करते रहना चाहिए।